F&O ट्रेडिंग रिटेल निवेशकों के लिए होगी महंगी! एक्सपर्ट पैनल की सिफारिशें तैयार, अगले हफ्ते होगा विचार

SMAC में SEBI के अधिकारी, स्टॉक एक्सचेंज और प्रमुख ब्रोकरेज और ब्रोकर एसोसिएशन शामिल हैं. डेरिवेटिव सेगमेंट में टर्नओवर SEBI के साथ साथ रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के लिए विवाद का मुद्दा बन गया है

Source: NDTV Profit

मार्केट रेगुलेटर SEBI की ओर से गठित सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमिटी (SMAC) फ्यूचर एंड ऑप्शंस (futures and options) पर बनी एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों पर विचार करने के लिए 15 जुलाई यानी अगले सोमवार को बैठक करेगी. मामले की जानकारी रखने वालों के मुताबिक इस कमिटी का गठन रिटेल निवेशकों के लिए लीवरेज और उतार-चढ़ाव में कमी लाने के उपायों पर विचार करने के लिए किया गया था.

SMAC में SEBI के अधिकारी, स्टॉक एक्सचेंज और प्रमुख ब्रोकरेज और ब्रोकर एसोसिएशन शामिल हैं. डेरिवेटिव सेगमेंट में टर्नओवर SEBI के साथ साथ रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के लिए विवाद का मुद्दा बन गया है

उतार-चढ़ाव पर सुझाव

कॉन्ट्रैक्ट साइज

SMAC डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के लॉट साइज को मौजूदा स्तर करीब 5 लाख रुपये प्रति कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू से बढ़ाकर 10-20 लाख रुपये प्रति कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के बीच करने की सिफारिश पर विचार करेगा. ऐसा कॉन्ट्रैक्ट का लॉट साइज बढ़ाकर किया जाएगा. इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि चूंकि पिछले छह साल में मार्केट वॉल्यूम और टर्नओवर करीब ढाई से तीन गुना बढ़ गया है, इसलिए कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को मार्केट वॉल्यूम और टर्नोवर के मुताबिक बढ़ना चाहिए.

वीकली एक्सपायरी

एक्सपर्ट पैनल ने ये भी सिफारिश की है कि एक्सचेंजों को ऑप्शन प्रोडक्ट्स की डेली एक्सपायरी को खत्म करने पर फिर से विचार करना चाहिए. किसी भी हफ्ते में, किसी एक्सचेंज को अपने सभी प्रोडक्ट्स की एक्सपायरी के लिए कोई एक दिन ही तय कर देना चाहिए. पैनल का कहना है कि हफ्ते के सभी पांच दिनों में एक्पायरी दिन के उतार-चढ़ाव को दूर करने में मदद मिलेगी. हर एक्सचेंज को एक्सपायरी के लिए एक ही दिन तय होगा. इससे इंडेक्स में अस्थिरता और शेयरों की कीमतों में किसी भी तरह की हेरफेर में कमी आएगी. देखने वाली बात ये है कि एक्सपर्ट पैनल ने ये नहीं कहा है कि वीकली एक्सपायरी प्रोडक्ट्स की संख्या कम की जाए, बल्कि सिफारिश ये की गई है कि इन प्रोडक्ट्स की एक्सपायरी को हर एक्सचेंज एक ही दिन रखे.

स्ट्राइक प्राइस को तर्कसंगत बनाने की सिफारिश

कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू बढ़ाने के लिए, पैनल ने इक्विटी ऑप्शंस में स्ट्राइक इंटरवल को बढ़ाकर स्ट्राइक प्राइस को तर्कसंगत बनाने की भी सिफारिश की है. स्ट्राइक प्राइस के इंटरवल को बढ़ाने से कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू और ज्यादा मार्जिन की जरूरत में बढ़ोतरी होगी.

लीवरेज पर सुझाव

अपफ्रंट प्रीमियम

एक्सपर्ट कमिटी ने निवेशकों से अपफ्रंट प्रीमियम वसूलने की सिफारिश की है. अभी ब्रोकर्स को एक्सचेंजों को अपफ्रंट प्रीमियम देना होता है. वो निवेशकों की ओर से ब्रोकर्स के पास रखे गए कोलैटरल के आधार पर लीवरेज के जरिए अपफ्रंड मार्जिन की रकम देते हैं. रेगुलेटर अपफ्रंट प्रीमियम को ब्रोकर्स के जरिए दिए जाने की बजाय निवेशकों से सीधे पेमेंट पर विचार कर सकता है.

मार्जिन बढ़ाने का सुझाव

एक्सपर्ट पैनल ने F&O ट्रेड्स के लिए इंट्राडे मार्जिन बढ़ाने पर भी विचार किया है, लेकिन इस कदम को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इंडस्ट्री डेरिवेटिव ट्रेड में ऊंचे मार्जिन को लेकर पहले से ही शिकायत करती आ रही है.

SEBI ने हाल ही में डेटा साझा किया है जिसमें दावा किया गया है कि ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर 2018 में 4.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 140 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इसी अवधि के दौरान कुल डेरिवेटिव टर्नओवर 210 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 500 लाख करोड़ रुपये हो गया है. पिछले छह साल में ऑप्शन ट्रेडिंग में इंडिविजुअल्स की हिस्सेदारी 2% से बढ़कर 41% हो गई है.