अर्थव्यवस्था की रफ्तार में आ रही गिरावट का दबाव भारत की टॉप कंपनियों पर बन रहा है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने तमाम कंपनियों की अर्निंग्स अनुमानों में बीते 4 साल की सबसे बड़ी कटौती की है.
जेफरीज ने FY25 में 98 कंपनियों में से करीब 60% कंपनियों के अर्निंग्स अनुमानों में कटौती की है. ये 2020 की शुरुआत से अब तक सबसे बड़ा डाउनग्रेड रेश्यो है. जेफरीज के मुताबिक, 'सामान्य से ज्यादा बारिश और सरकारी खर्च के कम रहने के चलते कंपनियों के नतीजों पर असर हुआ है.'
वैसे कंपनियों की आय में गिरावट का साफ-साफ ट्रेंड दिसंबर तिमाही नतीजों के बाद दिखाई देगा. लेकिन कुछ स्लोडाउन के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. जेफरीज का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में निफ्टी कंपनियों EPS यानी प्रति शेयर आय में ग्रोथ 10% रहेगी.
जेफरीज ने जिन 98 कंपनियों के सितंबर नतीजों का विश्लेषण किया है, उनमें 63% की अर्निंग्स अनुमानों को डाउनग्रेड किया है, जबकि 32% की अर्निंग्स अपग्रेड की गई है. प्रति शेयर आय अनुमानों में सबसे ज्यादा कटौती सीमेंट, ऑयल और फाइनेंशियल्स, ऑटो और रोजमर्रा की जरूरत का सामान बनाने वाली कंपनियों में है.
दरअसल अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, जिसके चलते शहरी मांग कमजोर हो रही है, जिसका असर कंपनियों पर दिखाई दे रहा है. हाल में आए नतीजों के बाद कई कंपनियों के प्रमुखों ने खाद्यान्न, शैंपू से लेकर कार और मोटरसाइकिलों तक में कमजोर खपत की बात कही थी.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आशावादी अनुमानों के उलट, नोमुरा ग्लोबल मार्केट रिसर्च का मानना है कि FY25 की तीसरी तिमाही में भारत की आर्थिक गति धीमी होगी.
लेकिन मोजेक एसेट मैनेजमेंट के CEO और को-फाउंडर मनीष दांगी का कहना है कि भारत में स्ट्रक्चरल स्लोडाउन नहीं होगा. उन्होंने एक इंटरव्यू में NDTV Profit से कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि बीते दो महीनों में भारत की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन ये धीमापन साइक्लिकल नजर आता है.'
पिछले महीने टैक्स रेवेन्यू के बढ़ने की रफ्तार में आई गिरावट ने भी अर्थव्यवस्था में कमजोरी की आशंका बढ़ा दी है. सितंबर में GST कलेक्शन में बढ़ोतरी (6.5%) बीते 40 महीनों में सबसे कम रही.
दिवाली के दौरान शायद एक बहुत लंबे वक्त के बाद हमें सबसे खराब अर्निंग साइकिल देखने को मिला है. ये बहुत साफ है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी दिक्कत में है. हिंदुस्तान यूनिलीवर की वॉल्यूम ग्रोथ 2-3% रही है, 2-व्हीलर मैन्युफैक्चरर्स के आंकड़े कमजोर हैं, यहां तक कि कुछ कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी कंपनियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.'राहुल अरोड़ा, CEO, निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इ्क्विटीज
हालांकि निर्मल बंग के राहुल अरोसा को अब भी नहीं लगता कि बाजार में बहुत ज्यादा गिरावट आएगी. वे कहते हैं, 'निफ्टी-50 में 22,000 के आसपास रुकावट थम जाएगी और बाजार को एक आधार मिल जाएगा. हालांकि ऊपर की तरफ 26,000 अब भी बहुत चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.'
निफ्टी हाल में अपने उच्चतम स्तर से 8.8% नीचे आया है. जबकि मिड और स्मॉल कैप सूचकांकों में क्रमश: 7.3% और 4.5% की गिरावट आई है.
NSE के प्रोविजनल डेटा के मुताबिक ग्लोबल फंड्स 27 सितंबर से 1.25 लाख करोड़ रुपये के स्टॉक्स बेच चुके हैं. डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशंस इस अवधि में 1.20 लाख करोड़ रुपये के स्टॉक्स के नेट बायर्स रहे हैं.