निवेशकों के करीब 9 लाख करोड़ रुपये साफ! आखिर बाजार में क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट, ये हैं वो 7 कारण

जिन शेयरों ने बाजार को रसातल में घसीटा है उसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज भी है, रिलायंस का शेयर आज 3.95% टूटकर 1,286 रुपये पर पहुंच गया, जो कि 8 जनवरी के बाद इसका सबसे निचला स्तर है.

Source: Canva

भारतीय बाजारों में सोमवार को जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है. सेंसेक्स और निफ्टी ने अपने कई महत्वपूर्ण स्तर तोड़ दिए हैं. सेंसेक्स और निफ्टी में 2% की गिरावट देखने को मिल रही है. निफ्टी ने 6 अगस्त के बाद 24,000 का स्तर तोड़ा है और ये 3 महीने के निचले स्तर पर फिसल गया है, सेंसेक्स भी 1,400 अंकों से ज्यादा टूटकर 78,232 के स्तर तक फिसल चुका है.

करीब 9 लाख करोड़  रुपये की मार्केट कैप साफ

निफ्टी50 कंपनियों की 3.2 लाख करोड़ रुपये की मार्केटकैप कैप साफ हो चुकी है, जबकि BSE की लिस्टेड कंपनियों की 8.9 लाख करोड़ रुपये की मार्केट कैप साफ हो चुकी है और अब 439 लाख करोड़ रुपये पर आ चुकी है.

जिन शेयरों ने बाजार को रसातल में घसीटा है उसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज भी है, रिलायंस का शेयर आज 3.96% टूटकर 1,285 रुपये पर पहुंच गया, जो कि 10 जनवरी के बाद इसका सबसे निचला स्तर है.

सितंबर तिमाही में रिलायंस के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे. जिसकी वजह से इसके शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिली है. एक महीने में RIL का शेयर 7% तक टूट चुका है. इसके अलावा ICICI Bank, HDFC Bank और सनफार्मा ने भी सेंसेक्स को नीचे की ओर घसीटा, इन्होंने सेंसेक्स की गिरावट में 450 अंकों से ज्यादा का योगदान दिया है.

बाजार में क्यों आई गिरावट

अब सवाल ये है कि इतनी बड़ी गिरावट आई क्यों, आखिर ऐसा क्या हो गया जो बाजार को रास नहीं आ रहा है. दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन जब सबकुछ अच्छा-अच्छा लग रहा था, तो सोमवार को बाजार खुलते ही क्यों औंधे मुंह गिर पड़े. इसके लिए कोई एक फैक्टर जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कई कारण हैं.

वजह 1 - निराशाजनक Q2 नतीजे

दूसरी तिमाही में ज्यादा कंपनियों ने बहुत खराब नतीजे पेश किए. जिसकी वजह से बाजार में निराशा फैली, FIIs ने लगातार बिकवाली जारी रखी.

वजह 2- FPIs की बिकवाली

FPI ने अक्टूबर में 1.14 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है, जो कि अक्टूबर में भी किसी एक महीने में सबसे ज्यादा है. भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों के लिए अब थोड़ा ज्यादा महंगे हो चुके हैं, इसलिए विदेशी निवेशक आगे भी प्रॉफिट बुकिंग करके भारतीय बाजार से निकलना जारी रख सकते हैं

वजह 3- अक्टूबर ऑटो बिक्री

ऑटो कंपनियों ने अक्टूबर में बिक्री के निराशाजनक आकड़े पेश किए हैं. मारुति, टाटा मोटर्स या ह्युंदई की अक्टूबर में बिक्री त्योहारों के बावजूद ज्यादा उत्साहजनक नहीं रही

वजह 4-  अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के लिए 5 नवंबर को वोटिंग होनी है. इससे पहले भारतीय बाजार भी थोड़ा आशंकित हैं. क्योंकि रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस से कड़ी टक्कर मिल रही है. एनालिस्ट्स मान रहे हैं कि इनमें से कोई भी जीता तो पॉलिसी के स्तर पर भारत पर इसका असर पड़ना तय है.

वजह 5 - फेड पॉलिसी

आमतौर पर बुधवार को आने वाली फेडरल रिजर्व की पॉलिसी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की वजह से इस बार गुरुवार को आएगी. बाजार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती को डिस्काउंट करके चल रहा है, लेकिन जेरोम पॉवेल की कमेंट्री पर सबकी नजरें टिकी होंगी. विदेशी निवेशक भारत में बने रहेंगे या पैसा निकालकर चले जाएंगे, ये पॉलिसी कमेंट्री पर निर्भर कर सकता है.

वजह 6 - मजबूत कच्चा तेल

70 डॉलर तक फिसलने के बाद कच्चा तेल एक बार फिर से 75 डॉलर तक चढ़ चुका है. दरअसल, OPEC+ जो कि पहले दिसंबर से 1.8 लाख बैरल तेल का उत्पादन बढ़ाने वाला था, उसने इसे एक महीने के लिए टाल दिया है. इसकी वजह से कच्चा तेल मजबूत हुआ है. कच्चे तेल की मजबूती भारत के लिए अच्छी खबर तो नहीं है.

वजह 7 - कमजोर रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो गया है, रुपये ने सोमवार को 84.12 का नया ऑल टाइम लो बनाया है. रुपये की लगातार कमजोरी की वजह से भी मार्केट सेंटीमेंट्स खराब हुए हैं. हालांकि डॉलर में हल्की कमजोरी जरूर आई है और ये 104 के नीचे फिसल गया है. बावजूद इसके रुपया लगातार कमजोर हो रहा है.