SEBI ने शनिवार को कई बड़े फैसले लिए. सबसे बड़ा फैसला REITS के नियमों को लेकर किया गया है. अब निवेशक किसी REITS के तहत आने वाले रियल एस्टेट में हिस्सा भी मिल सकता है.
इसके अलावा इस बैठक में सोशल स्टॉक एक्सचेंज के नियमों को भी आसान किया गया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें हिस्सा ले सकें और ज्यादा से ज्यादा NGOs इसके जरिए पैसा जुटा सकें.
हालांकि SEBI ने डीलिस्टिंग के नियमों में बदलाव पर कोई फैसला नहीं लिया. अब इस पर फैसला SEBI की अगली किसी बैठक में होगा.
सोशल स्टॉक एक्सचेंज के नियम बदले
SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज फ्रेमवर्क (नियमों) में बदलाव को मंजूरी दे दी है. अब गैर सरकारी संस्थाएं (NGOs) सोशल स्टॉक एक्सचेंज से कम से कम 50 लाख रुपये तक जुटा सकती हैं. पहले ये सीमा 1 करोड़ रुपये थी. निवेशकों के लिए नियम आसान किए हैं. अब सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए निवेश की सीमा को 2 लाख से घटाकर 10,000 रुपये कर दिया है. सोशल स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत NGOs और दान देने वालों को एक-दूसरे के करीब लाने और दान में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किया गया है.
सोशल स्टॉक एक्सचेंज के नियम बदले
सोशल स्टॉक एक्सचेंज फ्रेमवर्क (नियमों) में बदलाव को मंजूरी
एक्सचेंज के जरिए निवेश की सीमा को 2 लाख से घटाकर 10,000 रुपये किया
सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए कम से कम 50 लाख रुपये जुटाए जा सकते हैं
पहले सोशल स्टॉक एक्सचेंज से कम से कम 1 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते थे
SEBI ने MSM यानी माइक्रो, स्मॉल, मीडियम REITS के नियमों को भी मंजूरी दे दी है. इसके तहत छोटे और मझोले REITs के लिए न्यूनतम AUM को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है. साथ ही SEBI ने MSM REITS में नए फ्रैक्शनल ओनरशिप के नियम को भी मंजूरी दे दी है. नए नियमों के मुताबिक निवेशक को किसी REITS के तहत आने वाले रियल एस्टेट में हिस्सा भी मिल सकता है
MSM REITS के नियमों को भी मंजूरी मिली
छोटे, मझोले REITs के लिए न्यूनतम AUM को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 50 करोड़ रुपये किया
MSM (माइक्रो, स्मॉल, मीडियम) REITS के नए नियमों में फ्रैक्शनल ओनरशिप के नियम को मंजूरी
MSM REITS के नियमों के मुताबिक निवेशक को किसी REITS के तहत आने वाले रियल एस्टेट में हिस्सा भी मिल सकता है
मार्केट रेगुलेटर ने AIF यानी अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड्स को भी मंजूरी दे दी है. SEBI ने AIF के लिए कस्टोडियन की नियुक्ति को अनिवार्य कर दिया है. साथ ही इसमें निवेश करने वालों के लिए डीमैट जरूरी होगा. SEBI ने इंडेक्स सर्विस प्रोवाइडर्स के नियमों को भी मंजूरी दे दी है
SEBI के दूसरे बड़े फैसले
AIF के लिए कस्टोडियन की नियुक्ति को अनिवार्य किया
AIF में निवेश के लिए डीमैट को अनिवार्य किया
इंडेक्स सर्विस प्रोवाइडर्स के नियमों को मंजूरी
इस बैठक में SEBI ने डीलिस्टिंग के नियमों में बदलाव पर कोई फैसला नहीं लिया. ये मुद्दा काफी वक्त से SEBI के एजेंडे में है. अगस्त में रेगुलेटर ने इस पर सुझाव लेने के लिए कंस्लटेशन पेपर जारी किया था. इस कंस्लटेशन में ही ज्यादातर सुझाव फिक्स्ड प्राइज मैकेनिज्म पर आए थे.
SEBI डीलिस्टिंग के दौरान शेयरों की कीमतों के लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकना चाहता है. SEBI को पिछले दिनों कुछ मामलों में इस तरह की गड़बड़ी का संदेह था. हालांकि फिक्स्ड प्राइस मैकेनिज्म का विकल्प मौजूदा रिवर्स बुक बिल्डिंग के विरुद्ध है. अब इस मसले पर चर्चा SEBI की अगली किसी बैठक में होगी.