250 रुपये में म्यूचुअल फंड SIP जल्द बनेगी हकीकत: माधबी पुरी बुच

अभी कोई व्यक्ति 500 रुपये से म्यूचुअल फंड की SIP शुरू कर सकता है, हालांकि 250 रुपये की SIP की चर्चा पहले से चल रही है.

SEBI Chairperson Madhabi Puri Buch. (Source: NDTV Profit)

'अगला दशक हमारे लिए काफी शानदार रहने वाला है, इस दौरान जो वेल्थ बनेगी, उसे देश के सामान्य व्यक्ति के हाथों में जाना चाहिए. इसलिए इन्क्लूजन का एजेंडा हमारे लिए काफी जरूरी है, इसलिए हम इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर 250 रुपये से म्यूचुअल फंड निवेश की शुरुआत करने पर काम कर रहे हैं'. ये कहना है मार्केट रेगुलेटर SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच का, वो CII समिट ऑन ‘Financing 3.0’ में बोल रहीं थीं, जिसका विषय था - फाइनेंसिंग फॉर 'विकसित भारत'.

250 रुपये की SIP जल्द हकीकत बनेगी

SEBI चीफ ने कहा कि 250 रुपये की SIP बहुत जल्द हकीकत बनेगी, जिससे सभी के लिए चाहे वो कहीं पर भी हो, उसे टेक्नोलॉजी का फायदा मिले, उसके लिए ऑनबोर्डिंग और सर्विसिंग की लागत कम हो सके. उन्होंने बताया - जब मैं ये बात वैश्विक तौर पर कहतीं हूं तो लोग चौंक जाते हैं कि कैसे करीब 3 डॉलर में म्यूचुअल फंड निवेश हो सकता है, इतने में तो स्टारबक्स कॉफी भी नहीं आती है. लेकिन ऐसा होगा, लोग सिर्फ 3 डॉलर में वेल्थ क्रिएशन कर पाएंगे और विकसित भारत की दिशा में ये हमारा बड़ा कदम होगा.

अभी कोई व्यक्ति 500 रुपये से म्यूचुअल फंड की SIP शुरू कर सकता है, हालांकि 250 रुपये की SIP की चर्चा पहले से चल रही है. माधबी पुरी बुच बीते कुछ समय से म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री के साथ इस दिशा में काम कर रही हैं. उन्होंने इस बारे में इस साल कई मौकों पर इसका जिक्र भी किया है. इंडस्ट्री का तर्क ये है कि SIP बहुत कम रखना बिजनेस के दृष्टिकोण से संभव नहीं है. हालांकि इस इवेंट में उन्होंने बताया कि आदित्य बिरला सन लाइफ म्यूचुअल फंड 250 रुपये की SIP लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है.

कई भाषाओं में डॉक्यूमेंट्स और रेगुलेशंस

माधबी पुरी बुच ने कहा कि SEBI का लक्ष्य सूचित भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए 'रेगुलेशंस' और 'डॉक्यूमेंट्स' को एक से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध कराना है. बुच ने कहा कि लोगों को एम्पावर करना, जैसे ग्रामीण महिलाओं को ATM का इस्तेमाल करना सिखाना ये व्यापक वित्तीय समावेशन (Financial inclusion) है. उन्होंने कहा कि AI की मदद से भाषा की रुकावट अब बीते जमाने की बात होगी, भविष्य में हमारे रेगुलेशंस कैसे होंगे, तो हम ये सोचते हैं कि हम अपनी इंग्लिश को और ज्यादा सरल करने की दिशा में काम करेंगे.

उन्होंने कहा कि हमारे लिए इन्क्लूजन का एजेंडा बहुत बड़ा है, लेकिन अगर लागत कम नहीं होती है तो इन्क्लूजन हकीकत नहीं बन सकता है. क्योंकि हम मार्केट को उस प्रोडक्ट को बेचने के लिए नहीं कह सकते हैं जो व्यवाहारिक न हो. इसलिए हमने 250 रुपये की SIP को व्यवाहारिक बनाने के लिए ज्यादा वक्त लिया, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया तो ये चल नहीं पाएगा.