फिजिकल शेयर नहीं होंगे रद्दी का टुकड़ा! डीमैट में कन्वर्ट कराने से पहले लीजिए पूरी जानकारी

ऐसे कई निवेशक हैं जिनके पास आज भी शेयर फिजिकल फॉर्म में होते हैं. इनमें से कई पुराने शेयर होते हैं, क्योंकि आजकल कंपनियां सिर्फ डीमैट फॉर्म में ही शेयरों को जारी करती हैं.

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ऐसे निवेशक जिनके पास आज भी फिजिकल फॉर्म में शेयर्स मौजूद हैं, हो सकता है कि उनका फोलिया फ्रीज हो जाए, अगर उन्होंने अपनी डिटेल्स जैसे- PAN, कॉन्टैक्ट डिटेल्स वगैरह को अपडेट नहीं किया है, और शेयरों के नॉमिनेशन की जानकारी भी नहीं दी हो.

लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं है, मार्केट रेगुलेटर SEBI ने इस शर्त को ही खत्म कर दिया है, जो फिजिकल शेयर रखने वाले शेयरधारकों के लिए बड़ी राहत की खबर है. इसका निवेशकों खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों पर बड़ा असर होगा, जो ये सुनिश्चित करता है कि वे आने वाली समय के दौरान डिटेल्स को अपडेट कर सकें और उन्हें अपने निवेश के फ्रीज होने की चिंता न हो.

फिजिकल शेयर क्या होते हैं?

ऐसे कई निवेशक हैं जिनके पास आज भी शेयर फिजिकल फॉर्म में होते हैं. इनमें से कई पुराने शेयर होते हैं, क्योंकि आजकल कंपनियां सिर्फ डीमैट फॉर्म में ही शेयरों को जारी करती हैं.

पुराने फिजिकल शेयरों के साथ एक दिक्कत ये है कि रजिस्ट्रार के पास निवेशकों के बारे में कम जानकारी होती है.

जब शेयरों को डीमैट फॉर्म में रखा जाता है तो PAN, ई-मेल ID, मोबाइल नंबर वगैरह जैसी बेसिक जानकारियां पहले से ही डीमैट खाते में मौजूद होती हैं और इनका इस्तेमाल कंपनियों और उनके रजिस्ट्रार की ओर से निवेशकों से संपर्क करने के लिए किया जाता है.ऐसा तब नहीं हो पाता है, जब निवेशक के पास फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट होता है और हर कंपनी के लिए और हर फोलियो के लिए निवेशक को ढेरों डिटेल्स को अपडेट रखना होता है.

इसकी जरूरत क्यों?

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें निवेशकों को फिजिकल रूप में शेयर रखने पर कुछ खास डिटेल्स अपडेट करने की जरूरत थी.

इन डिटेल्स में सभी निवेशकों का PAN, उस फोलियो के लिए नॉमिनेशन जहां निवेशक के शेयर हैं, मोबाइल नंबर और ई-मेल ID के रूप में निवेशक की कॉन्टैक्ट डिटेल्स, निवेशक के बैंक अकाउंट की जानकारी और सभी निवेशकों के सिग्नेचर के नमूने शामिल हैं. इसके लिए शुरुआत में समय सीमा 31 मार्च, 2023 थी लेकिन शुरुआती घोषणा के बाद इसे बढ़ा दिया गया.

पोर्टफोलियो को फ्रीज करने का मतलब

फिजिकल शेयरों की डिटेल्स को अपडेट करने की पूरी प्रक्रिया का मुख्य हिस्सा उस हालत में जुर्माना लगाना था जब प्रक्रिया एक तय तारीख तक शुरू नहीं की गई थी. ओरिजिनल सर्कुलर में कहा गया था कि फोलियो अपडेट नहीं किया गया तो वो फ्रीज कर दिया जाएगा.

फोलियो को फ्रीज करने का मतलब ये होगा कि निवेशक फोलियो के संबंध में अपनी किसी भी शिकायत का निपटारा या समाधान नहीं कर पाएंगे और फोलियो में डिविडेंड की रकम का भुगतान भी नहीं किया जा सकेगा. इसे तभी पलटा जाएगा जब जरूरी डिटेल्स रजिस्ट्रार या कंपनी को जमा कर दिए जाएंगे. अब एक बड़े बदलाव में मार्केट रेगुलेटर ने फोलियो को फ्रीज करने की जरूरत को ही खत्म कर दिया है, और ये निवेशक के लिए एक बड़ी राहत है.

क्या होगा इसका असर

फोलियो फ्रीज न करने का असर बहुत अहम होगा, क्योंकि ऐसे कई मामले हैं जहां निवेशक डिटेल्स को अपडेट नहीं कर पाए हैं. ऐसा क्यों है, इसकी कई वजहें हैं. एक ये है कि कई निवेशकों के लिए वास्तव में डिटेल देना काफी मुश्किल है, क्योंकि ये उन शेयरों से संबंधित हैं जो निवेशक के पास कहीं पड़े हैं लेकिन उनके पास इसका कोई ट्रैक नहीं हो सकता है.

कई मामलों में ऐसी डिटेल्स को देना इस वजह से भी मुश्किल होता है क्योंकि किसी ज्वाइंट अकाउंट में कोई एक जीवित नहीं हो सकता है. इसके लिए ट्रांसमिशन की पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसे पूरा होने में कई महीने लग सकते हैं.

ये भी एक फैक्ट है कि कई निवेशकों के पते बदल जाते हैं, इसलिए जबकि निवेशक के पास फिजिकल शेयर है, उनसे कंपनियों संपर्क नहीं कर पा रही हों. एक और स्थिति जो फिजिकल शेयरधारकों के साथ ज्यादा होने की संभावना है, वो ये कि ये निवेशक नई जरूरतों के बारे में जानते ही न हों.

जिन निवेशकों के पास फिजिकल सर्टिफिकेट्स होते हैं, वे अक्सर उन्हें छोड़ देते हैं और वो इससे जुड़ी डिटेल्स की भी परवाह नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें किसी भी कार्रवाई की जरूरत महसूस नहीं होती. इस मुश्किल का हल निकालने के लिए निवेशकों को ये सुनिश्चित करने की जरूरत होती है कि वो जरूरी डिटेल्स को अपडेट करें. फ्रीज नहीं करने का फैसला निवेशकों के लिए अच्छी बात है, क्योंकि उन्हें तुरंत खराब नतीजे नहीं भुगतने होंगे.

(इसके लेखक अर्णव पंड्या है, जो कि Moneyeduschool के फाउंडर हैं)