RBI ने अपनाया न्यूट्रल रुख, दिसंबर 2024 तक ब्याज दरों में कटौती की क्या है संभावना, जानिए एनालिस्ट क्या सोचते हैं

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में सदस्यों ने दरों में कोई बदलाव नहीं करने पर अपनी सहमति जताई है.

Source: NDTV Profit

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बुधवार को लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. RBI ने रेपो रेट को बाजार और अर्थशास्त्रियों की उम्मीद के मुताबिक ही 6.5% पर बरकरार रखा है. एनालिस्टों ने इस फैसले के बाद अब दिसंबर में दरों में कटौती की संभावनाओं पर जोर दिया है.

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने अपने रुख को 'न्यूट्रल' रखा है, ताकि भविष्य में दरों में कटौती के लिए जगह बनाई जा सके. इकोनॉमिस्ट्स इस 'न्यूट्रल' रुख को कैसे देख रहे हैं. समझते हैं...

क्या दिसंबर में दरों में कटौती की संभावना है?

रिजर्व बैंक ने कहा कि मौसम में अप्रत्याशित बदलाव और जियो पॉलिटिकल स्थिति ने महंगाई बढ़ाने का काम किया है.

DSP फाइनेंस के वाइस चेयरमैन और CEO जयेश मेहता ने कहा कि दरों में कटौती से पहले आंकड़ों का इंतजार करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि महंगाई काबू में है और ग्रोथ रेट स्थिर बनी हुई है, ऐसी संभावना है कि रिजर्व बैंक दिसंबर तक महंगाई और GDP आंकड़ों में सुधार का इंतजार करे. अतिरिक्त लिक्विडिटी से रिजर्व बैंक ने अपना 'रुख' बदला, लेकिन दर में कटौती करने से पहले वे आकड़े अपने दायरे में देखना चाहेंगे.

मूडीज एनालिटिक्स की कैटरीना एल ने कहा, RBI के न्यूट्रल रुख ने इस साल बाद में संभावित कटौती के लिए मंच तैयार किया है. RBI के रुख में बदलाव से दिसंबर में रेट कट की उम्मीद की जा रही है.

हालांकि, उन्होंने ग्लोबल बाजारों में अस्थिरता की ओर इशारा करते हुए दरों में 'कटौती की निश्चितता' पर चेतावनी भी दी है, विशेष रूप से भू-राजनीतिक तनाव के कारण तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए महंगाई बढ़ भी सकती है. कैटरीना ने कहा, "मौसम के प्रभाव और मिडिल ईस्ट में हिंसा बढ़ने से तेल की कीमतों में उछाल से फूड इंफ्लेशन में ग्रोथ का जोखिम है.

इस बार क्यों नहीं हुई कटौती?

RBL बैंक के जयदीप अय्यर ने कहा कि महंगाई काफी हद तक नियंत्रण में है, लेकिन RBI के लिए मौजूदा माहौल में सावधानी बरतना समझदारी है. अय्यर ने कहा, 'गवर्नर स्थिर ग्रोथ और फिस्कल कंसोलिडेशन मजबूती तथा भू-राजनीतिक जोखिम जैसे मैक्रोइकॉनॉमिक्स फैक्टर्स के कारण दरों को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं.

उन्होंने ये भी कहा कि ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने से बैंकिंग सेक्टर को लाभ होता है, जिसमें रेपो रेट से जुड़े कई लोन हैं. बैंकिंग के नजरिए से, रेट कट साइकिल शुरू करने से पहले लिक्विडिटी को लिए कुछ समय के लिए आसान बनाना बेहतर है.

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