SEBI ने संस्थागत निवेशकों के लिए शॉर्ट सेलिंग के नियमों में किया बदलाव

SEBI का ये कदम बाजार की उथल-पुथल (market volatility) को रोकने की दिशा में उठाया गया है.

Source: Reuters

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने शॉर्ट सेलिंग (Short selling) के नियमों में हल्का सा बदलाव किया है. SEBI ने संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) के लिए किसी सौदे का ऑर्डर प्लेस करते समय ही ये बताना जरूरी होगी कि ये ट्रांजैक्शन शॉर्ट सेल है या नहीं.

बाजार की उथल-पुथल रोकने की कोशिश

SEBI का ये कदम बाजार की उथल-पुथल (market volatility) को रोकने की दिशा में उठाया गया है. शॉर्ट सेलिंग का मतलब होता है कि कोई सेलर उन शेयरों को बेचता है जो ट्रेड के समय उसके पास नहीं होते हैं. अभी SEBI के नियमों के मुताबिक रिटेल और संस्थागत निवेशकों, दोनों को ही शेयरों के शॉर्ट सेलिंग की इजाजत होती है.

SEBI के सर्कुलर में नया क्या है?

अब सवाल उठता है कि SEBI के सर्कुलर में नया क्या है? ऐसा क्या है जिससे किसी को फर्क पड़ेगा. तो नया सिर्फ इतना ही है कि

  • अगर ट्रांजैक्शन किसी संस्थागत निवेशक की तरफ से किया जा रहा है तो उसे ये ऑर्डर प्लेस करते समय ही बताना होका कि ये शॉर्ट सेल है या नहीं.

  • अगर ट्रांजैक्शन किसी रिटेल निवेशक की तरफ से किया जा रहा है तो उसे कारोबारी दिन के अंत में इस बात का डिस्क्लोजर देना होगा कि ये शॉर्ट सेल है या नहीं.

ब्रोकर्स, स्टॉक एक्सचेंज को क्या करना होगा?

SEBI की ओर से शुक्रवार को जारी सर्कुलर के मुताबिक 'ब्रोकरों को शेयर वार शॉर्ट सेल पोजीशन पर डेटा इकट्टा करने, उनका मिलान करने और अगले ट्रेडिंग सेशन में कारोबार शुरू होने से पहले स्टॉक एक्सचेंजों पर अपलोड करने के लिए अनिवार्य किया जाएगा. इसके बाद स्टॉक एक्सचेंज इन डेटा को लोगों की जानकारी के लिए वीकली आधार पर अपनी वेबसाइट्स पर डालेंगे.'

स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी को जारी सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि SEBI की मंजूरी के साथ समय-समय पर ऐसे डिस्क्लोजर्स फ्रीक्वेंसी की समीक्षा की जा सकती है.