पेंट सेक्टर के लिए कहां हैं मुश्किलें? नीलकंठ मिश्रा ने समझाया

डायवर्सिफिकेशन के इस चरण से नई कंपनियों को एक खास सेक्टर में आने का मौका मिलेगा, और नए प्रतिस्पर्धी पुनर्गठन होंगे. और उस अनिश्चितता का मतलब है कम PE (प्राइस-टू-अर्निंग).

Source: NDTV Profit

एशियन पेंट्स (Asian Paints Ltd.) के सितंबर तिमाही के नतीजों के बाद शेयरों में जो गिरावट शुरू हुई है, वो अबतक जारी है. सोमवार को 9% तक टूटने के बाद मंगलवार को भी इसमें 2% की गिरावट देखने को मिल रही है.

क्या है सुस्ती की वजह

एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा का कहना है कि कुछ टॉप मैक्रो-इकोनॉमिक ट्रेंड इस समय कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी सहित कई सेक्टर्स के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. NDTV प्रॉफिट के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि एक जरूरी ट्रेंड जो सामने आया है वो ये कि हमारा करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) करीब 1% (GDP का) है. ये तब है जब जनरल गवर्नमेंट डेफिसिट 7.5–8% के बीच है और घरेलू बचत अभी जारी है, लेकिन नेट बेसिस पर अभी थोड़ी कम है.

उन्होंने कहा कि इस समय परिवार उतनी बचत नहीं कर रहे हैं और केवल कॉरपोरेट ही बचत कर रहे हैं. ये आप BSE 200 के डेटा में देख सकते हैं.FY2019 और FY24 के दौरान कंपनियों का ऑपरेटिंग कैश फ्लो 22% CAGR से बढ़ा है, उनका इनवेस्टिंग कैश फ्लो भी तेजी से बढ़ रहा है.

ऑपरेटिंग कैश फ्लो के परसेंट के रूप में इनवेस्टिंग कैश फ्लो जो 2012 और 2014 में 140% था, अब गिरकर 70 हो गया है. उन्होंने बताया कि अब, इन सभी समूहों को ये पता लगाने की जरूरत है कि कहां निवेश करना है - कुछ ज्वेलरी में जा रहे हैं, कुछ पेंट में, कुछ ऑटो कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद रहे हैं.

वो आगे कहते हैं कि आप डायवर्सिफिकेशन के इस चरण को देखेंगे और इसलिए, इनमें से कुछ सेक्टर्स में कंपिटीशन की लड़ाई बदलने वाली है'

डायवर्सिफिकेशन के इस चरण से नई कंपनियों को एक खास सेक्टर में आने का मौका मिलेगा, और नए प्रतिस्पर्धी पुनर्गठन होंगे. और उस अनिश्चितता का मतलब है कम PE (प्राइस-टू-अर्निंग).

आगे कैसी है रिकवरी?

शहरी मांग में धीमेपन की वजह से कई सेक्टर में कमजोर प्रदर्शन के बावजूद, नीलकंठ मिश्रा ये मानते हैं कि सरकारी खर्च में बढ़ोतरी के साथ अगले साल की शुरुआत में चीजें बदल सकती हैं.

उन्होंने कहा कि ये उम्मीद करना उचित है कि एक बार वित्तीय मॉनिटरी सख्ती खत्म हो जाएगी और जैसे ही हालात आसान होंगे मांग बढ़ जाएगी. ये मांग रियल एस्टेट सेक्टर में देखी जा सकती है, इसके अलावा कारों, कंजम्पशन आइटम्स, कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी आइटम्स की डिमांड में भी दिखाई दे सकती है.

रिजर्व बैंक ने पिछले साल जुलाई से बेंचमार्क लेंडिंग रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था, ऐसी उम्मीद है कि ब्याज दरों में कटौती का चक्र जल्द ही शुरू किया जाएगा क्योंकि सेंट्रल बैंक ने अक्टूबर में अपना आउटलुक 'विद्ड्रॉल ऑफ अकोमोडेशन' से बदलकर 'न्यूट्रल' कर दिया है.

उन्होंने कहा कि मंदी में बहुत तेजी से बढ़ोतरी नहीं हो रही है. मई से, ये साफ था कि चीजें धीमी हो रही थीं और रफ्तार भी निगेटिव थी. अब, ऐसा लगता है कि चीजें बॉटम आउट हो रही हैं (यानी ऊपर उठने से पहले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं) लेकिन, फिर भी, ये कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि केवल कुछ इंडिकेटर्स ही ऐसा संकेत दे रहे हैं.

निराशाजनक रहे एशियन पेंट्स के नतीजे

नीलकंठ मिश्रा की टिप्पणियां एशियन पेंट्स की ओर से जुलाई-सितंबर अवधि के लिए जारी नतीजों में सभी मोर्चों पर अनुमान से बेहद खराब प्रदर्शन को लेकर की गई हैं. ब्लूमबर्ग की ओर से ट्रैक किए गए एनालिस्ट्स के 1,079 करोड़ रुपये के अनुमान के मुकाबले कंपनी का मुनाफा सालाना 44% गिरकर 694 करोड़ रुपये हो गया है.

आय 5.3% गिरकर 8,028 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि अनुमान 8,581 करोड़ रुपये था. इतने खराब नतीजों का असर ये रहा कि शेयर सोमवार को तीन साल में सबसे निचले स्तर पर फिसल गया, क्योंकि ब्रोकरेज ने निकट अवधि में ग्रोथ को लेकर चिंता जताई थी.

नोमुरा को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में एशियन पेंट्स की EBITDA स्थिर रहेगी. हालांकि, ब्रोकरेज ने रविवार को एक नोट में कहा कि ग्रामीण इलाकों में मांग थमने से दूसरी छमाही में वॉल्यूम में सुधार हो सकता है.