'अगर मकसद सट्टेबाजी रोकना है तो...; SEBI की F&O सख्ती पर बोले नितिन कामत

ऑप्शंस करीब असीमित लीवरेज के साथ आते हैं, जबकि फ्चूचर्स लीवरेज 6 गुना (इंडेक्स के लिए 15%) पर सीमित है: नितिन कामत

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शेयर बाजार में वायदा कारोबार को लेकर मार्केट रेगुलेटर SEBI के सुझावों को लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जीरोधा के फाउंडर और CEO नितिन कामत का कहना है कि STT बढ़ाने के बावजूद, ऑप्शन वॉल्यूम में वास्तव में कोई बदलाव नहीं आएगा, लेकिन इसके ठीक दूसरी तरफ फ्यूचर्स वॉल्यूम में कमी आएगी.

F&O पर सख्ती की क्या वजह

वित्त मंत्रालय और मार्केट रेगुलेटर SEBI दोनों ही शेयर बाजार में वायदा कारोबार में रिटेल निवेशकों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसलों को लेकर एक ही पक्ष में नजर आते हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% ​​और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स को को 15% से बढ़ाकर 20% करने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा 1 अक्टूबर से ऑप्शंस पर STT 0.062% से बढ़कर 0.1% और फ्यूचर्स पर 0.0125% से बढ़कर 0.02% हो गया है.

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इधर SEBI ने F&O में ट्रेडिंग सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए 7 नए नियमों का प्रस्ताव रखा है, मंगलवार को SEBI ने कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. इस पेपर कई तरह के कदमों को उठाने की बात कही गई है. जिसमें ऑप्शन स्ट्राइक का रेशनलाइजेशन, ऑप्शन प्रीमियम का अपफ्रंट भुगतान, वायदा में सौदों के लिए न्यूनतम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को 15 से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करना शामिल है.

ऑप्शंस या फ्यूचर्स ट्रेडर्स, किस पर कैसा होगा असर?

वायदा पर इन सख्तियों को लेकर नितिन कामत का कहना है, जीरोधा में मैंने जो देखा है, उसके मुताबिक फ्यूचर्स ट्रेडर्स के पास ऑप्शंस ट्रेडर्स के मुकाबले पैसा बनाने की संभावना ज्यादा होती है, फ्यूचर्स ट्रेडर्स करीब 50% समय प्रॉफिट में होते हैं, जबकि ऑप्शंस ट्रेडर्स करीब 10% समय ही फायदे में होते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑप्शंस करीब असीमित लीवरेज के साथ आते हैं. जबकि फ्चूचर्स लीवरेज 6 गुना (इंडेक्स के लिए 15%) पर सीमित है.

नितिन कामत का कहना है कि बजट में STT बढ़ाया गया हो या कॉन्ट्रैक्ट साइज को बढ़ाकर 20 लाख रुपये तक किया जाना हो, ये बदलाव फ्यूचर्स ट्रेडर्स को ऑप्शंस की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित करेगा. अगर इस बदलावों का मकसद सट्टेबाजी को कम करना है, तो इसका हल ये हो सकता है कि प्रोडक्ट सूटेबिलिटी फ्रेमवर्क बनाकर ऐसे लोगों के लिए ट्रेडिंग को कठिन बना दिया जाए जो गंभीर नहीं हैं.

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