महंगाई और बारिश से बिगड़ा ग्रामीण सेक्टर का माहौल, लेकिन जल्द ही सुधार की संभावनाएं: Q3 नतीजों पर कमेंट्री

कई कंपनी नतीजों ने ग्रामीण सेक्टर के दोबारा जागने के भी संकेत दिए हैं. इस फेस्टिव सीजन के दौरान ग्रामीण इलाकों में कंट्रिब्यूशन में तेजी आई है.

Source: Envato

भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड निफ्टी 50 कंपनियों ने दिसंबर तिमाही के नतीजे जारी किए. कंपनी नतीजों से भारत के ग्रामीण क्षेत्र की एक झलक दिखाई पड़ती है.

जो 2 बातें साफ नजर आती हैं, उनमें बेमौसम मॉनसून और बढ़ती महंगाई के चलते ग्रामीण क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव है. अधिकतर कंपनी नतीजों पर इनका निगेटिव असर दिखा.

हालांकि, कई कंपनियों के नतीजों ने ग्रामीण सेक्टर के दोबारा जागने के भी संकेत दिए हैं. इस फेस्टिव सीजन के दौरान ग्रामीण इलाकों में कंट्रिब्यूशन में तेजी आई है.

कुल मिलाकर कहा जाए, तो लकड़ी में हल्की चिंगारी तो सुलग गई है, लेकिन कोई तेज हवा का झोंका इस चिंगारी को न बुझा दे, इस पर भी नजर रखना जरूरी है

ग्रामीण इलाकों में खपत

हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) के CEO व MD रोहित जावा (Rohit Jawa) ने कहा, मॉनसून का प्रभाव पूरी तरह से खरीफ की फसल पर पड़ा, जिससे एग्रीकल्चर यील्ड और ग्रामीण इलाकों से होने वाली कमाई पर असर पड़ा.

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उन्होंने कहा कि देर से आने वाली सर्दी और तालाबों के गिरता जलस्तर ने भी अपना प्रभाव छोड़ा. कमजोर एग्रीकल्चर यील्ड और आने वाली फसल को लेकर अनिश्चितता ने ग्रामीण कंज्यूमर सेंटिमेंट्स को कमजोर रखा. इसके चलते Q3 में चल रहे फेस्टिव सीजन को सही तरीके से भुनाया नहीं जा सका.

उन्होंने कहा, 'बीते कुछ सालों में आने वाला अंतर अभी भी दिख रहा है. जहां एक जगह मार्केट में तेज रिकवरी है, वहीं दूसरी तरफ सूखा पड़ा हुआ है'. जावा ने कहा, 'कई क्षेत्रों में शहरी इलाकों में होने वाली ग्रोथ ने ग्रामीण इलाकों में ज्यादा रही, हम इसमें प्रीमियम सेगमेंट की भी अच्छी परफॉर्मेंस देख रहे हैं'.

खपत को वापस बढ़ाने की कोशिश

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के VC व MD वरुण बेरी (Varun Berry) ने कहा, 'हमने बीते 10 साल में ऐसी ग्रोथ नहीं देखी, जो अभी देख रहे हैं'. उन्होंने कहा, 'हम ग्रामीण इलाकों में डिस्ट्रीब्यूशन पर फोकस कर रहे हैं और हम ये भी जानते हैं कि यहां से हमें ऐसी ग्रोथ नहीं मिल रही, जो हमें पहले मिला करती थी'. शहरी ग्रोथ ग्रामीण ग्रोथ के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर रही है, बेरी ने कहा.

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बेरी ने आगे कहा, 'मेरा मानना है कि अब हम उस दौर में हैं जहां पर हमें निश्चित रूप से अच्छा ग्रोथ वॉल्यूम मिलेगा क्योंकि बीते 2 या 3 साल से तो महंगाई ही हमारी पूरी मेहनत पर भारी पड़ रही थी'. हालांकि, अगली तिमाही में भी हम डबल डिजिट ग्रोथ वॉल्यूम का टारगेट पूरा नहीं कर सकेंगे, लेकिन अगले कुछ वक्त में हमको कंजप्शन साफ नजर आने वाला है, बेरी ने कहा.

उन्होंने आगे कहा, 'निश्चित रूप से, इकोनॉमी हो या फिर शेयर बाजार, सभी सही दिशा में जाते नजर आ रहे हैं. आने वाले वक्त में वस्तुओं की खपत में भी किसी तरह की गिरावट नहीं आएगी'.

सुधार की संभावनाएं

महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के MD व CEO अनीष शाह का मानना है कि इस साल फार्म इंडस्ट्री में 5-6% की गिरावट दिख सकती है.

'भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है, लेकिन हर जगह की कुछ पॉजिटिव और निगेटिव होते हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में एक बड़ा कारक सरकार की ओर से किया जाने वाला खर्च है.

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कंपनी के आंतरिक इंडेक्स पर नजर डालें, तो धीरे-धीरे बदलाव नजर आ रहा है. हमको ऐसे अंदेशे मिल रहे हैं, जिनके आधार पर हम कह सकते हैं कि आने वाले कुछ समय में हमको यहां से फायदा होता नजर आएगा', शाह ने कहा.

रिकवरी के संकेत

एशियन पेंट्स के CEO व MD अमित सिंग्ले (Amit Syngle) ने कहा, 'पिछली तिमाही में जहां ग्रामीण इलाकों से चिंता भरे संकेत मिल रहे थे, इस तिमाही में कई T3 व T4 मार्केट्स में रिकवरी आई है. ग्रोथ रेट पर नजर डालें तो ये शुरुआती रिकवरी का साफ संकेत देता है. कंपनी ने शहरी और ग्रामीण इलाकों को T1, T2 व T3,T4 सेगमेंट में बांट रखा है'.

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उन्होंने कहा, 'हम T1, T2 व T3,T4 सेगमेंट में लगभग बराबर की ग्रोथ देख रहे हैं. T3 व T4 में हो रही रिकवरी के आधार पर हम कह सकते हैं भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ में उछाल साफ नजर आ रहा है'.

कितनी बढ़ेगी रूरल ग्रोथ?

2-व्हीलर गाड़ियां बनाने वाली हीरो मोटोकॉर्प के CEO निरंजन गुप्ता (Niranjan Gupta) का मानना है कि आने वाली कुछ तिमाहियों में ग्रामीण सेक्टर में अच्छी डिमांड नजर आ सकती है.

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उन्होंने कहा, 'अगर आप बीते कुछ महीनों के दौरान चल रहे फेस्टिव सीजन पर नजर डालें, तो हमें शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ज्यादा कंट्रिब्यूशन देखने को मिला. अगर आप और भी लेटेस्ट आंकड़े देखें, तो ओवरऑल कंट्रिब्यूशन में 40% हिस्सेदारी ग्रामीण इलाकों की और 60% हिस्सेदारी शहरी इलाकों में दिखी'.

'भारत के सबसे टॉप लोगों से आगे बढ़कर नीचे भी देखें, आपको लोगों की ग्रोथ करने की इच्छा साफ नजर आएगी'. गुप्ता ने कहा, 'अगर आप पिरामिड के सबसे निचले हिस्से पर नजर डालें, तो कैपेक्स खर्च, डिजिटलाइजेशन हो रहा है. हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री पर काफी खर्च किया जा रहा है, जिससे कंज्यूमर का सेंटिमेंट भी बेहतर हो रहा है'.

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