अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर, ट्रंप के रूसी कच्चा तेल खरीदने पर भारत को दी धमकी का असर

ट्रंप के रूसी तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, भारतीय रुपया दबाव में देखा गया था और इस सप्ताह भी दबाव में रहने की आशंका है.

Dollar vs Rupee Rate: पिछले कारोबारी सत्र में यानी गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 82.76 के स्तर पर बंद हुआ था.

रुपया कमजोर है और ये फिलहाल अपने रिकॉर्ड निचले स्तरों के करीब करोबार कर रहा है. भारत को रूस को छोड़ दूसरे देशों से क्रूड ज्यादा भाव पर खरीदना पड़ सकता है, इससे रुपये पर दबाव बनता दिख रहा है.

रुपया कमजोर है और ये अब तक रिकॉर्ड निचले स्तर के बेहद करीब पहुंच गया है. मंगलवार को रुपया 19 पैसे की गिरावट के साथ 87.85 प्रति डॉलर पर खुला, जबकि सोमवार को ये 87.66 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. कारोबारी सत्र की शुरुआत में रुपये में सुधार के संकेत मिलने के बाद, इसमें फिर से उतार-चढ़ाव शुरू हो गया है

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि दिन के लिए रुपये का दायरा 87.50 और 88.25 के बीच रहने की उम्मीद है.

भंसाली ने कहा कि ट्रंप के रूसी तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर उच्च टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, भारतीय रुपया दबाव में देखा गया था और इस सप्ताह भी दबाव में रहने की आशंका है.

उन्होंने कहा, "व्यापार वार्ता जारी रहने के बावजूद, ट्रंप का सभी भारतीय निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद FPI की ओर से भी लगातार दबाव बना हुआ है.सोमवार को रुपया 87.6550 पर बंद हुआ था, लेकिन ट्रंप द्वारा सिर्फ भारत पर निशाना साधे जाने के बाद आज सुबह इसके 88 के निचले स्तर पर खुलने की उम्मीद है."

उन्होंने निर्यातकों को अपने निर्यातों की हेजिंग करने और आयातकों को हेजिंग का इंतजार करने और दिन के सबसे निचले स्तर पर नकद खरीदारी करने की सलाह दी. उन्होंने आगे बताया, "RBI नए निचले स्तरों को कैसे देखता है, ये आज के कारोबार में देखने को मिलेगा."

ओपेक+ का सितंबर में उत्पादन में एक और बड़ी वृद्धि करने पर सहमति जताए जाने के बाद मंगलवार को ब्रेंट ऑयल की कीमतें एक हफ्ते के निचले स्तर पर आ गईं, जिससे आपूर्ति संबंधी चिंताएं बढ़ गईं क्योंकि अमेरिकी आंकड़ों से पता चला है कि ईंधन की सबसे ज्यादा खपत करने वाले देशों की ओर से ईंधन की माँग कम है.

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