नागरिक उड्डयन नियामक (DGCA) ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट से पायलट संगठनों की ओर से दायर याचिका को खारिज करने का आग्रह किया. मामला पायलटों की ड्यूटी से जुड़ा है, जिसका विरोध हो रहा है. कोर्ट से DGCA ने कहा कि नए नियमों को दो चरणों में लागू किया जाएगा ताकि पायलटों को पर्याप्त आराम मिल सके और विमानन सेवाएं सुचारू रूप से जारी रहें.
DGCA ने हाईकोर्ट में एक विस्तृत योजना पेश की, जिसमें बताया कि नए नियम जुलाई 2025 से लागू किए जाएंगे.
पहला चरण (1 जुलाई 2025 से): 22 में से 15 नियम लागू होंगे, जिनमें पायलटों के आराम के घंटे बढ़ाना शामिल है.
दूसरा चरण (1 नवंबर 2025 से): बाकी 7 नियम लागू किए जाएंगे, जो मुख्य रूप से नाइट ड्यूटी से जुड़े होंगे.
नए नियमों में क्या बदलाव होगा?
जनवरी 2024 में DGCA ने पायलटों के लिए नए नियम प्रस्तावित किए थे, जिनमें साप्ताहिक आराम को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे करना और रात में उड़ान की सीमा तय करना शामिल था. लेकिन एयरलाइंस के कड़े विरोध के कारण ये नियम रोक दिए गए. अब, नए संशोधित नियमों के अनुसार:
रात में उड़ान का समय 8 घंटे तक सीमित रहेगा और पायलट अधिकतम 2 लैंडिंग कर सकेंगे.
रात का समय पहले रात 12 बजे से सुबह 5 बजे तक माना जाता था, लेकिन अब इसे सुबह 6 बजे तक बढ़ा दिया गया है.
अल्ट्रा-लॉन्ग फ्लाइट्स पर काम करने वाले पायलटों को 120 घंटे का अनिवार्य आराम दिया जाएगा.
अगर किसी कारण से उड़ान में देरी होती है, तो उड़ान का समय अधिकतम 1 घंटे और ड्यूटी का समय अधिकतम 2 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है.
एयरलाइंस का विरोध क्यों?
बजट एयरलाइंस IndiGo और SpiceJet ने नाइट ड्यूटी के नए नियमों का विरोध किया है. कंपनियों का कहना है कि अगर ये नियम लागू किए गए, तो उन्हें गर्मी के पीक सीजन में 20% उड़ानें रद्द करनी पड़ेंगी.
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स, एयर इंडिया पायलट यूनियन, इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड जैसी कई पायलट यूनियनों ने पहले ही 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
उनका कहना था कि बढ़ती इंटरनेशनल उड़ानों के कारण रात में उड़ान भरने का दबाव काफी ज्यादा बढ़ गया है, लेकिन आराम के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है.
वहीं, फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस ने नए नियमों का विरोध यह कहते हुए किया कि 6 महीने का समय नियम लागू करने के लिए बहुत कम है. उनका मानना है कि 10-20% अधिक पायलटों की भर्ती करनी होगी, वरना उड़ानें रद्द करनी पड़ेंगी.
DGCA का क्या है तर्क?
DGCA ने कहा कि उन्होंने नए नियम बनाते समय एयरलाइंस, पायलट यूनियनों और अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखा है. नियामक ने अदालत से अनुरोध किया कि अब इस योजना को अंतिम रूप माना जाए और 1934 के विमान अधिनियम के तहत नागरिक उड्डयन नियमों को लागू करने का आदेश दिया जाए. दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी 2025 को करेगा.