महाराष्ट्र सरकार ने धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए करीब 256 एकड़ सॉल्ट पैन लैंड या नमक भूमि क्षेत्र (Salt Pan Lands) को मंजूरी दे दी है. सॉल्ट पैन लैंड उन समुद्र तटीय इलाकों को कहते हैं जहां कभी समुद्र का पानी हुआ करता था लेकिन अब नहीं है. ये जमीन अक्सर दलदली होती है. जिन जमीनों की मंजूरी मिली है ये जमीन मुलुंड, कांजुरमार्ग और भांडुप इलाकों में है. कुछ लोग इस जमीन पर सस्ते घर बनाने की योजना का विरोध कर रहे हैं और पर्यावरण को लेकर चिंता जता रहे हैं. लेकिन धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट (DRP) के CEO SVR श्रीनिवास ने साफ कर दिया है कि ये जमीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसके इस्तेमाल में कोई दिक्कत नहीं है.
समुद्र से दूर है जमीन
DRP के CEO श्रीनिवास ने कहा है कि ये जमीन ईस्टर्न एक्सप्रेस वे के पश्चिम की तरफ है और पिछले करीब 10 साल से समुद्र से इसका कोई संपर्क नहीं है. पहले ये नमक बनाने के लिए इस्तेमाल होती थी, लेकिन कई साल पहले भारत के सॉल्ट कमिश्नर ने इसे ऑफिशियली बंद कर दिया था. एक्सप्रेस-वे बनने के बाद समुद्र का पानी यहां तक पहुंचता ही नहीं. इस पर सस्ते घर बनाना बिल्कुल मुमकिन है. अगर वे ऐसे कदम नहीं उठाएंगे तो आने वाले साल में मुंबई बस्तियों के बोझ से दब सकती है."
उन्होंने ये भी साफ किया कि ये जमीन बाढ़ग्रस्त नहीं है और न ही ये कोस्टल रेगुलेशन जोन (CRZ) के नियमों के दायरे में आती है.
एक्सप्रेस वे के पूर्व में एक खाड़ी और वेटलैंड्स हैं, जहां फ्लेमिंगो जैसे पक्षी आते हैं. लेकिन पश्चिम में, जहां DRP की जमीन है, वहां कोई पर्यावरणीय संवेदनशीलता या CRZ प्रतिबंध नहीं है. हम हर जरूरी पर्यावरण मंजूरी लेने के बाद ही काम शुरू करेंगे और नियमों का सख्ती से पालन करेंगे.SVR श्रीनिवास, CEO, धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट
पहले भी बनी थी योजना
2018 में जब शिवसेना मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCGM) और राज्य सरकार में थी, तब डेवलपमेंट प्लान (DP) में इस सॉल्ट पैन की जमीन को सस्ते घरों के लिए रिजर्व किया गया था. 2007 में कांग्रेस की सरकार ने भी प्रोजेक्ट से प्रभावित लोगों के लिए 2,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा था. मुंबई डेवलपमेंट प्लान 2014-34 में 2021 तक 10 लाख सस्ते घरों की जरूरत बताई गई थी, जिसमें 3.5 लाख घर गरीब तबके के लिए थे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी कह चुके हैं कि सॉल्ट पैन की जमीन के बिना मुंबई का रिडेवलपमेंट मुमकिन नहीं है.
विरोध के बावजूद कोशिश जारी
केंद्र और राज्य सरकार लाखों झुग्गीवासियों को बेहतर जिंदगी देने की कोशिश कर रही है, लेकिन कुछ लोग इस कदम का विरोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार का एक्साइज और कस्टम विभाग वडाला में 55 एकड़ सॉल्ट पैन लैंड पर ऑफिस और स्टाफ क्वार्टर्स बनाने जा रहा है.
इसके अलावा, मेट्रो लाइन 6 के कार शेड के लिए कांजुर में 15 एकड़ सॉल्ट पैन लैंड जमीन दी गई है. खास बात ये है कि पिछली महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार ने भी चार मेट्रो लाइनों के लिए इसी कांजुर की जमीन को इस्तेमाल करने का प्लान बनाया था.
विरोध पर उठे सवाल
NMDPL के एक प्रवक्ता ने इस विरोध पर कहा कि अगर कार शेड बनाने से बाढ़ नहीं आती, तो गरीबों के लिए घर क्यों नहीं बन सकते? जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उनके पास मुंबई के विकास के लिए दूर की सोच नहीं है.
जमीन का मालिकाना हक पर जवाब
कुछ लोग इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर सवाल उठा रहे थे.
इस पर श्रीनिवास ने कहा,
"ये जमीन भारत सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को दी है. इसे DRP और स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) को अयोग्य धारावी वासियों के पुनर्वास के लिए सौंपा जा रहा है. जमीन का मालिकाना हक हमेशा राज्य सरकार के पास रहेगा. NMDPL सिर्फ प्रीमियम दे रहा है, जमीन पर कोई दावा नहीं कर रहा."
सिर्फ घर नहीं, बदलाव का मिशन
श्रीनिवास का कहना है कि धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट सिर्फ घर बनाने का प्रोजेक्ट नहीं है, ये एक ह्यूमन ट्रांसफॉर्मेशन मिशन है. उनका मकसद झुग्गी-मुक्त मुंबई बनाना है.
कुल मिलाकर कहें तो, सॉल्ट पैन लैंड पर सस्ते घर बनाने की योजना से मुंबई के लाखों लोगों को नई उम्मीद मिल सकती है. सरकार का दावा है कि ये कदम शहर के विकास के लिए जरूरी है और इसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पूरा किया जाएगा. अब देखना ये है कि विरोध के बावजूद ये प्रोजेक्ट कितनी तेजी से आगे बढ़ता है.