दिल्ली में प्रदूषण (Delhi Air Pollution) स्तर बद से बदतर होता जा रहा है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से पूछा है कि इन राज्यों ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. राज्यों को जवाब समेत शपथ पत्र दाखिल करने के लिए 5 दिन का वक्त दिया गया है. मामले में अगली सुनवाई 7 नवंबर को है.
कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि वायु प्रदूषण का आने वाली पीढ़ियों पर गहरा असर होगा. प्रदूषण के चलते अब घर से बाहर कदम रखना भी मुश्किल हो रहा है, एक समय पहले तक जो वक्त दिल्ली में सबसे सुहाना माना जाता था, आज उसी दौरान सबसे ज्यादा मुश्किल होती है.
CPCB से मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) को मौजूदा मैदानी स्थिति पर रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा. इस रिपोर्ट में अलग-अलग इलाकों में AQI और पराली जलाने की घटनाएं की संख्या शामिल होगी.
सरकार बोली- पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं
इस बीच सरकार ने कोर्ट में कहा कि प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सरकार ने प्रदूषण पर रिपोर्ट भी दाखिल की, जिसमें बीते तीन साल और आज का ब्योरा मौजूद था. सरकार ने माना कि बीते दो दिन में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन ये बीते साल की तुलना में 40% कम है.
सिर्फ कागजी बातें, हकीकत में कुछ नहीं- कोर्ट
कोर्ट ने सरकार से प्रदूषण के मौजूदा हालातों पर भी सवाल किया. जिसके जवाब में सरकार ने माना कि आज भी दिल्ली का AQI खराब है. इसके बाद कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि चीजें सिर्फ पेपर पर हैं, लेकिन हकीकत अलग ही है और दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है.
कोर्ट ने कहा कि ठंड के दिनों में प्रदूषण की ये समस्या हर साल आती है. जस्टिस एस के कौल, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पी के मिश्रा की बेंच ने ये भी माना कि इस प्रदूषण की मुख्य वजह पराली का जलाना है.