Delhi Liquor Policy Case: मनीष सिसोदिया के बाद के कविता को भी SC ने दी बेल, CBI और ED को लगाई फटकार

कोर्ट ने कहा, 'के कविता PMLA की धारा 45 के तहत लाभ की हकदार है. शिक्षित महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता.'

Source: PTI/x@kkavitha

दिल्ली शराब घोटाले में दिल्‍ली के डिप्‍टी CM और आम आदमी पार्टी (AAP) लीडर मनीष सिसोदिया के बाद अब तेलंगाना की BRS नेता 'के कविता' को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. जस्टिस BR गवई और जस्टिस KV विश्वनाथन की बेंच ने ⁠⁠ED और CBI को फटकार लगाते हुए उन्हें सशर्त जमानत दी है. उन्हें दोनों एजेंसियों की ओर से दर्ज मामलों में जमानत मिल गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ⁠कविता 5 महीने से जेल में बंद हैं. इस ⁠केस में 493 गवाह और 50,000 दस्तावेज हैं. ⁠जल्द ट्रायल पूरा होने की उम्मीद नहीं है. ⁠मामले की जांच पूरी हो चुकी है. कानून में महिलाओं के लिए जमानत पर विचार करते हुए विशेष बर्ताव का प्रावधान है.

कोर्ट ने कहा, 'के कविता PMLA की धारा 45 के तहत लाभ की हकदार है. शिक्षित महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. अदालतों को इस श्रेणी के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए.'

इन बातों पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली ⁠हाईकोर्ट के जमानत ना देने के फैसले को रद्द कर दिया. इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी भी की है कि विचाराधीन हिरासत को सजा में नहीं बदलना चाहिए.

किन शर्तों पर मिली जमानत?

के कविता ⁠9 मार्च को हुई गिरफ्तार हुई थीं. करीब साढ़े 5 महीने बाद उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. ⁠हालांकि उन्‍हें कुछ शर्तों पर जमानत दी गई.

  • सुप्रीम कोर्ट ने के कविता को दोनों केस में 10-10 लाख का बेल बॉन्ड भरने के लिए कहा है.

  • के कविता ट्रायल जज के पास अपना पासपोर्ट सरेंडर करेंगी, ताकि वे देश छोड़ कर न जा पाएं.

  • ⁠उन्‍हें ये भी हिदायत दी गई है कि वे सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगी.

  • सुप्रीम कोर्ट ने के कविता से ये भी कहा कि वे ट्रायल में सहयोग करेंगी.

सुप्रीम कोर्ट की तल्‍ख टिप्‍पणी

सुप्रीम कोर्ट ने CBI और ED पर तल्‍ख टिप्‍पणियां भी की. जस्टिस BR गवई ने कहा 'अभियोजन निष्पक्ष होना चाहिए. एक शख्स जिसने खुद को दोषी बताया हो, उसे गवाह बना दिया गया! कल को आप जिसे चाहेंगे उसे उठा लेंगे? आप किसी आरोपी को चुन नहीं सकते. ये कैसी निष्पक्षता है? बहुत ही निष्पक्ष और उचित विवेक लगाया है!'

जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया SV राजू को चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा, अगर ASG ने मेरिट के आधार पर जमानत का विरोध करना जारी रखा तो वो ऐसी टिप्पणियां अपने आदेश में भी लिखेंगे.

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