हाल के महीनों में साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) का एक नया तरीका सामने आया है- डिजिटल अरेस्ट. ठग आए दिन लोगों को शिकार बना रहे हैं और करोड़ों रुपये ऐंठ रहे हैं. इससे बचने के लिए समय-समय पर साइबर सेल की ओर से जागरूक किया जाता है और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे बचने के उपाय बताए हैं.
मन की बात कार्यक्रम के दौरान, PM मोदी ने स्पष्ट रूप से सावधान किया है कि कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था या प्रावधान नहीं है. उन्होंने लोगों से बदमाशों के चक्कर में नहीं आने की अपील की है.
डिजिटल अरेस्ट में वीडियो कॉल के जरिये व्यक्ति पर नजर रखी जाती है और उन्हें किसी से संपर्क करने की मनाही होती है. इस दौरान उन्हें डरा-धमका कर पैसे ऐंठ लिए जाते हैं.
बता दें कि पिछले दिनों वर्धमान ग्रुप के मालिक SP ओसवाल भी इसके शिकार हुए थे, ठगों ने उनसे 7 करोड़ रुपये ऐंठ लिए थे. हालांकि बाद में पुलिस की चपलता से अपराधी पकड़े गए और पैसे की भी रिकवरी हो गई.
पुलिस या जांच एजेंसी ऐसा नहीं करती
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कहा, 'डिजिटल अरेस्ट के शिकार होने वालों में हर वर्ग, हर उम्र के लोग हैं. लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपये गंवा दिए हैं.'
उन्होंने कहा, 'कभी भी आपको इस तरह का कोई कॉल आए तो डरना नहीं है. आप को पता होना चाहिए कोई भी जांच एजेंसी, फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह की पूछताछ कभी भी नहीं करती.'
डिजिटल सुरक्षा के लिए ध्यान रखें 3 स्टेप
PM मोदी ने डिजिटल सुरक्षा के लिए 3 स्टेप भी बताए हैं. उन्होंने मन की बात पाॅडकास्ट में कहा, 'मैं आपको डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताता हूं, जो कि हैं- 'रुको, सोचो और एक्शन लो'.
कॉल आते ही रुको- घबराएं नहीं, शांत रहें, जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं. किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें, संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और कॉल रिकॉर्डिंग जरूर करें.
सोचो- कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसे धमकी नहीं देती, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है, न ही ऐसे पैसे की मांग करती है. अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है.
एक्शन लो- राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करें, cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें, परिवार और पुलिस को सूचित करें, सबूत सुरक्षित रखें.
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर चल रहा फरेब
PM मोदी ने कहा, 'डिजिटल अरेस्ट सी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है, ये सिर्फ फ्रॉड है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वो समाज के दुश्मन हैं. डिजिटल अरेस्ट के नाम पर जो फरेब चल रहा है, उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसियां, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं.' उन्होंने बताया कि इन एजेंसियों में तालमेल बनाने के लिए नेशनल साइबर को-ऑर्डिनेशन सेंटर की स्थापना की गई है.