शिव नादर. सॉफ्टवेयर की दुनिया में भारत के सबसे बड़े नामों में से एक. करीब 40 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ देश के सबसे अमीर 5 लोगों में शामिल शिव नादर. लेकिन बीते कुछ वक्त से शिव नादर अपने सामाजिक कार्यों के चलते ज्यादा चर्चा में रहे हैं. हर साल वे रिकॉर्ड दान कर रहे हैं और इसमें कहीं से भी कमी के संकेत नहीं दिख रहे हैं.
FY23 में शिव नादर ने औसतन हर दिन करीब 6 करोड़ रुपये दान किए. कुल मिलाकर नादर परिवार ने सालभर में 2,153 करोड़ रुपये का दान दिया. ये खुलासा एडलवाइज और हुरुन इंडिया की 'EdelGive-Hurun India Philanthropy List 2024' में हुआ है.
इस लिस्ट में देश के सबसे बड़े दानवीरों का नाम शामिल है. शिव नादर और परिवार लगातार तीसरी बार इस लिस्ट में टॉप पर रहा है.
FY23 की तुलना में FY24 में दिए गए दान की मात्रा में 5% (111 करोड़ रुपये) का इजाफा भी हुआ है.
शिव नादर फाउंडेशन के जरिए ये परोपकारी कार्य किए जाते हैं. फाउंडेशन का फोकस शिक्षा, आर्ट्स & कल्चर जैसे विषयों पर है.
इसके तहत शिव नादर यूनिवर्सिटी और विद्याज्ञान जैसे संस्थान बनाए गए हैं, जिनसे भारत के युवाओं के लिए नए मौके बनाने की कोशिश होती है.
लिस्ट में शामिल दानवीरों ने सबसे ज्यादा शिक्षा क्षेत्र में ही दान किया है. 123 दानवीरों ने करीब 3,680 करोड़ रुपये इस सेक्टर को दान किए, इनमें से 1,936 करोड़ रुपये शिव नादर और परिवार ने दान किए हैं.
परोपकारी कार्यों के इस क्रम की शुरुआत 1994 से हुई, जब शिव नादर फाउंडेशन की स्थापना की गई. शिव नादर ने 1996 में चेन्नई में अपने पिता के नाम पर SSN कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग खोला. आज कॉलेज रिसर्च को भी प्रोमोट करता है, साथ ही यहां के छात्रों को विदेशी यूनिवर्सिटी के साथ टाइअप्स का फायदा भी मिलता है. 2008 में उत्तर प्रदेश में 2 विद्याविज्ञान स्कूलों की स्थापना की गई, जहां राज्य के 50 जिलों से 200 छात्रों को फ्री स्कॉलरशिप दी जाती है.
ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं शिव नादर
शिव नादर ग्रामीण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने अपने दम पर HCL टेक जैसी दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी खड़ी की है, जिसका कारोबार आज 30 से ज्यादा देशों में है.
उनका जन्म 14 जुलाई 1945 को तमिलनाडु (तत्कालीन मद्रास प्रांत) में थिरुचेंदुर के पास मूलईपोझी गांव में हुआ था. उनकी स्कूली पढ़ाई कुंबकोनम, मदुरई और त्रिची जैसी जगहों से हुई. इसके बाद उन्होंने कोयंबटूर के PSG कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री ली.
दोस्तों के साथ शुरू की एंटरप्रेन्योरशिप की जर्नी
उन्होंने पुणे में 1967 में कूपर इंजीनियरिंग से अपना करियर शुरू किया. जल्द ही उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर माइक्रोकॉम्प नाम की कंपनी शुरू की. ये कंपनी टेलीडिजिटल कैलकुलेटर्स बेचती थी. इस वक्त नादर के पार्टनर्स में अजय चौधरी (HCL के पूर्व चेयरमैन), अर्जुन मल्होत्रा जैसे लोग शामिल थे.
1976 में शिव नादर ने करीब 2 लाख रुपये के निवेश के साथ HCL की नींव डाली. 1991 में ग्रुप सॉफ्टवेयर बिजनेस में आया और HCL टेक की स्थापना की गई. बस, यहां से आगे की कहानी तो अब एक शानदार इतिहास है. HCL टेक आज देश की चर्चित सॉफ्टवेयर कंपनी है, जो लाखों लोगों को रोजगार दे रही है.
2020 में शिव नादर ने कंपनी की कमान अगली पीढ़ी को ट्रांसफर की और उनकी बेटी रोशनी शिव नादर HCL टेक की पहली महिला चेयरमैन बनीं. 2021 में शिव नादर ने बोर्ड में मैनेजिंग डायरेक्टर पद से भी इस्तीफा दे दिया.
आज तक शिव नादर करीब परोपकारी कार्यों में 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा का दान दे चुके हैं. जबकि बीते दो साल से वे लगातार 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का दान दे रहे हैं. कहा जा सकता है कि शिव नादर उस कल्याणकारी एंटरप्रेन्योरशिप के बिल्कुल सही उदाहरण हैं, जो अपने लाभ को समाज को बराबर लौटाने में यकीन रखती है.