NDTV World Summit 2024: IIT में दाखिले से लेकर H-1B वीजा एप्लीकेशन तक, जानिए स्नैपडील के को-फाउंडर कुणाल बहल की कहानी

बहल ने कहा, प्रधानमंत्री ने देश में स्‍टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया है. इसके कारण, स्टार्टअप को वैधता और मान्यता हासिल हुई."

द इंडिया सेंचुरी (NDTV World Summit 2024 - The India Century) के दूसरे दिन की चर्चा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्नैपडील के को-फाउंडर कुणाल बहल ने अपने एंटरप्रेन्योर बनने की कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि कैसे IIT में प्रवेश पाने के उनके असफल प्रयास और अमेरिका में काम करने के दौरान उनके H-1B वीजा एप्लीकेशन को अस्वीकार करने से उन्हें भारत में एक बड़े टेक एंटरप्रेन्योर बनने की यात्रा में मदद मिली.

बहल ने कहा "मैं IIT में नहीं गया, मेरा परिवार परेशान था, लेकिन मुझे एक अमेरिकी कॉलेज मिला, जिसने मुझे आगे बढ़ने में मदद की. उन्होंने अपनी पढ़ाई पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से की.

उन्होंने कहा, 'मैं माइक्रोसॉफ्ट (अमेरिका) में काम कर रहा था और मैंने H1-B वीजा के लिए एप्लीकेशन दिया था लेकिन खारिज कर दिया गया. मैं वापस आया और एक एंटरप्रेन्योर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की.

स्टार्टअप इकोसिस्टम पर बोले बहल

भारत के तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम पर बोलते हुए, बहल ने कहा कि वो "यूनिकॉर्न" कल्चर से असहमत हैं.

"हम कई सालों से यूनिकॉर्न शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये शब्द अमेरिका के संदर्भ में है. हम ऐसी करेन्सी या कहें शब्दावली के प्रति जुनूनी क्यों हैं जो हमारी नहीं है? भारत को 200-300 यूनिकॉर्न नहीं, बल्कि 10,000 इंडिकॉर्न की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने 2007 में अपनी जर्नी शुरू की थी, तब स्टार्टअप्स के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. 23 साल की उम्र में मैंने बिजनेस करने के बारे में सोचा था. तब स्‍टार्टअप्स जैसा कोई कॉन्‍सेप्‍ट नहीं था. बहल ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने स्‍टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया है. इसके कारण स्टार्टअप्स को वैधता और मान्यता हासिल हुई."

रतन टाटा को किया याद

कुणाल ने करीब 10 साल पहले दिवंगत रतन टाटा के साथ एक मुलाकात का एक किस्सा भी साझा किया."मैं उनसे 2014 में उनके दक्षिण मुंबई कार्यालय में मिला था. बिजनेस के बारे में एक छोटी चर्चा के बाद, उन्होंने कहा कि यदि आप मेरे पास होंगे तो मैं वास्तव में निवेश करना चाहूंगा. उनमें बहुत विनम्रता थी.

उन्होंने टाटा से दिल्ली में अपनी टीम का दौरा करने का अनुरोध किया था, जो बाद में काम के शेड्यूल के कारण नहीं हो सका. लेकिन, उन्होंने कुणाल से अपने अधूरे वादे को स्वीकार किया जब वे सालों बाद एक शादी में मिले थे.

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