मुंबई के धारावी रीडेवलपमेंट को लेकर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने पहली बार अपने विचार रखे हैं. एक ओपन लेटर में उन्होंने धारावी से अपने शुरुआती जुड़ाव से लेकर प्रोजेक्ट के रास्ते आने वाली अड़चनों का जिक्र किया है. धारावी उनके लिए क्या मायने रखता है, धारावी को वो क्या बनते देखना चाहते हैं और कैसे वो धारावी की मूल आत्मा को मारे बिना उसे एक मॉडर्न सिटी हब बनाना चाहते हैं.
धारावी को जब पहली बार देखा
गौतम अदाणी लिखते हैं कि धारावी से उनकी मुलाकात 1970 के आखिर में हुई. जब वो नए नए मुंबई शहर आए थे, और इस बड़े से शहर में उन्हें अपार संभावनाएं दिखीं थी, तब उस छोटी सी उम्र में ही उन्होंने हीरों के कारोबार में चमकने का एक सपना भी देखा था.
गौतम अदाणी धारावी के बारे में लिखते हैं कि कि 'उस समय भी धारावी भारत के हर हिस्से की विविध प्रकार की मान्यताओं, संस्कृतियों और भाषाओं का संगम था. धारावी की गलियों में मैंने जो उद्यमी उथल-पुथल देखी, उससे मैं मंत्रमुग्ध हो गया, जहां लगभग हर भारतीय भाषा बराबर आवाज में गूंजती महसूस होती थी. लेकिन उस उथल-पुथल में एक व्यवस्था थी, जो धारावी की आत्मा द्वारा दी गई मालूम होती थी. मैं इसे कभी परिभाषित नहीं कर सका लेकिन इसे बहुत मजबूती के साथ महसूस किया.
'गौरव और उद्देश्य का एक नया अध्याय शुरू'
240 हेक्टेयर में फैला धारावी, एशिया का सबसे बड़ा स्लम है. इस प्रोजेक्ट की योजना दो दशक पहले बनाई गई थी, लेकिन इसमें कई दिक्कतें आती रहीं. यहां करीब 8 लाख की आबादी है और 13,000 छोटे धंधे हैं. नवंबर, 2022 में अदाणी ग्रुप ने धारावी को फिर से विकसित करने के प्रोजेक्ट की बोली जीती थी. ग्रुप ने इसके लिए 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.
गौतम अदाणी लिखते हैं कि गौरव और उद्देश्य का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है. यह हमारे लिए प्रतिष्ठा, सुरक्षा और समावेशिता की एक नई धारावी बनाने का एक ऐतिहासिक अवसर है.
जैसे ही हम इस पूरी तरह से अज्ञात यात्रा पर निकल रहे हैं, मैं आगे आने वाली भारी चुनौतियों से अवगत हूं। 1960 के दशक में अपने आवास संकट को हल करने के लिए सिंगापुर की अग्रणी परियोजना की तुलना में भी, धारावी तीन कारणों से अपने आप में एक अनूठी परियोजना है
वो लिखते हैं कि अब जब हम एक अनजान सफर पर निकल रहे हैं, मैं भविष्य की चुनौतियों से अवगत हूं. 1960 के दशक में अपने आवास संकट को हल करने के लिए सिंगापुर की पथप्रदर्शक परियोजना की तुलना में भी, धारावी तीन वजहों से अपने आप में एक अनूठी परियोजना है.
पहला, ये दुनिया की सबसे बड़ी शहरी रीसेटलमेंट और रीजेनरेशन प्रोजेक्ट्स में से एक है. इसमें करीब 10 लाख लोगों का दोबारा बसाया जाएगा.
दूसरा, पुनर्वास में न केवल आवासीय इकाइयों को दोबारा बसाना शामिल है बल्कि ट्रेडिंग, शॉपिंग और दूसरे बिजनेस ट्रांजैक्शन से जुड़ी कई साइज और पैमाने के अलग अलग प्रतिष्ठानों का भी पुनर्वास शामिल है. धारावी में पनप रहे ढेरों बिजनेस के पूरे सिस्टम और व्यापारिक ताने-बाने का पुनर्वास और पुनर्निर्माण किया जाएगा.
तीसरा, इस प्रोजेक्ट का मकसद व्यापक और समग्र पुनर्विकास होगा क्योंकि यह पात्र और अपात्र दोनों निवासियों की आवास और पुनर्वास आवश्यकताओं को शामिल करता है.
'नई धारावी पर सबको गर्व होगा'
गौतम अदाणी लिखते हैं कि - हालांकि धारावी के रीडेवपलमेंट को लेकर मेरे पास कोई तयशुदा विचार या पहले से सोची गई अवधारणा नहीं है, मेरे पास धारावी के लोगों को केंद्र में रखते हुए मानव-केंद्रित परिवर्तन के लिए अच्छे इरादे और दृढ़ इच्छाशक्ति जरूर है. नई धारावी मुंबई की भावना, धैर्य, विविधता में एकता, रंग और दृढ़ संकल्प के सर्वोत्कृष्ट चरित्र को प्रतिबिंबित करेगी और वो भी पुरानी धारावी के शाश्वत भाव को खोए बिना.
वो लिखते है कि ये मेरी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता भी है कि धारावी के पात्र निवासी अपने नए घरों की ओर कदम बढ़ाएंगे. वो अपनी आंखों के सामने अपना घर बनता हुआ ही नहीं देखेंगे बल्कि उसको आकार देने में भी उनका पूरा योगदान होगा.
उनके घरों में जो अबतक नहीं है, हम उनको देंगे - गैस, पानी, बिजली और जल निकासी, स्वास्थ्य देखभाल और मनोरंजन सुविधाएं और खुली जगहें - और उन्हें एक विश्व स्तरीय अस्पताल और एक स्कूल भी मुहैया कराया जाएगा. एक धुंधली याद की तरह अपर्याप्तता का ये दर्द भी चला जाएगा और इसकी जगह होगी नई धारावी, जिसे गर्व का अनुभव होगा.
गौतम अदाणी इस बात का जिक्र करते हैं कि धारावी में पुनर्वास के अलावा आजीविका एक बड़ी चुनौती है. वो कहते हैं कि मैं मौजूदा लघु और छोटे उद्योगों को सपोर्ट करने और मजबूत करने के तरीकों और साधनों पर ध्यान देकर, युवाओं और महिलाओं पर खास फोकस देने के साथ नए युग की नौकरियों को बढ़ावा देकर धारावी को एक मॉडर्न सिटी हब में बदलने का इरादा रखता हूं.
धारावी की नई पहचान स्लमडॉग्स से नहीं, मिलियनेयर्स से होगी
गौतम अदाणी उस एक किस्से का भी जिक्र करते हैं जिसमें दुनिया के महानतम मुक्केबाज माइक टायसन भारत आकर सिर्फ दो चीजों को देखने की इच्छा रखते हैं, पहला ताजमहल और दूसरा धारावी.
गौतम अदाणी लिखते हैं कि अगर माइक टायसन दोबारा धारावी आते हैं, तो हो सकता है कि वो इसे पहचान भी नहीं पाएं, लेकिन नई धारावी में वो उसकी आत्मा को उतना ही जीवित महसूस करेंगे, जितना उन्होंने पहले किया होगा.
अगर ईश्वर ने चाहा तो डैनी बॉयल जैसे लोगों को पता चल जाएगा कि नई धारावी मिलियनेयर्स तो पैदा कर रही है, लेकिन स्लमडॉग्स टैग के बिना.
वो लिखते हैं कि मेरी टीम और मैं जानते हैं कि धारावी प्रोजेक्ट को डिजाइन और इसे लागू करने के रास्ते में बड़ी चुनौतियां हैं. हम यह भी जानते हैं कि ये परियोजना हमारी परिस्थितियों के प्रति जुझारूपन, हमारी क्षमता और हमारे निष्पादन कौशल को उनकी हद तक परखेगी. लेकिन मुझे विश्वास है कि सभी का साथ मिलने से हम इतिहास रचेंगे.