वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय बेहतर कुशलता वाली कूलिंग टेक्नोलॉजी को प्रोमोट करने के लिए एक स्कीम पर विचार कर रही है. इसके तहत कम बिजली वाले खपत के AC की मैन्युफैक्चरिंग की जाएगी. हालांकि इसकी कीमत शुरुआत में पारंपरिक AC के मुकाबले ज्यादा रहेगी, लेकिन इसकी भरपाई के लिए सरकार मदद करेगी.
नाम ना छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि DPIIT सप्लाई पर फोकस करेगा और बेहद कुशल कूलिंग डिवाइसेज के मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को बनाने की कोशिश करेगा. जबकि ब्यूरो ऑफ एफिशिएंसी मांग बढ़ाने और ग्राहकों में जागरुकता फैलाने की दिशा में काम करेगा.
फिलहाल डिपार्टमेंट इस प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण में है और अलग-अलग साझेदारों के साथ बातचीत कर रहा है.
DPIIT ने आयोजित की वर्कशॉप
DPIIT ने सोमवार को एक इंडस्ट्री वर्कशॉप का आयोजन भी किया था, जिसे क्लाइमेट एडॉप्टेशन की तरफ बढ़ता कदम बताया गया. वर्ल्ड बैंक के साथ साझेदारी में और पर्यावरण मंत्रालय व ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी के सपोर्ट से आयोजित किए गए इस वर्कशॉप का नाम 'Alleviating Heat stress by Enhancing production of Affordable cooling Devices' था.
इस संबंध में जारी की गई एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, 'बढ़ती हीट वेव के खिलाफ भारत की सुरक्षा के उद्देश्य से सस्टेनेबल और अफॉर्डेबल कूलिंग सॉल्यूशन के लिए ये एक बड़ा कदम है. ये इंडस्ट्री के नेतृत्व वाली पहली ऐसी वर्कशॉप है, जिसमें कूलिंग को एक अहम क्लाइमेट एडॉप्टेशन इश्यू के तौर पर देखा गया है.'
सरकार पहले से AC पर दे रही PLI
बता दें सरकार पहले से ही AC पर PLI (Production Linked Incentive) दे रही है. इसमें AC और LED लाइट्स पर मिलाकर 14 PLI स्कीम्स में 6,238 करोड़ रुपये तक का लाभ दिया जा रहा है.
कुल-मिलाकर 42 आवेदकों ने इन सभी PLI स्कीम्स में दिलचस्पी दिखाई है. इन्होंने कुल 4,614 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है. 42 में से 26 एयर कंडीशनर मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित हैं.