ओला-उबर के खिलाफ जारी है हाई-लेवल जांच, लोकसभा में सरकार ने दी जानकारी; डार्क पैटर्न्स का है आरोप

जनवरी में लोकलसर्कल्स (LocalCircles) ने एक सर्वे प्रकाशित किया, जिसमें पता चला कि एक ही राइड के लिए एंड्रॉइड और आईफोन यूजर्स को अलग-अलग किराए चुकाने पड़ रहे हैं.

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आईफोन और एंड्रॉयड फोन यूजर्स से एक ही डेस्टिनेशन के लिए अलग-अलग किराया वसूले जाने के आरोपों से भले ही ओला और उबर ने इनकार कर दिया हो, लेकिन केंद्र सरकार इनकी उच्‍च स्‍तरीय जांच करवा रही है.

सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि कैब सर्विस देने वाली कंपनियां ओला और उबर पर लगे आरोपों की जांच की जा रही है.

उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने 10 फरवरी को दोनों कंपनियों को इस बारे में पत्र भेजा था. इन दोनों कंपनियों ने 'डिवाइस बेस्‍ड अलग-अलग किराया वसूलने' के आरोपों से इनकार किया है. इसलिए आगे की विस्‍तृत जांच के लिए मामले को महानिदेशक (DG) के पास भेज दिया गया है.

किन सांसदों ने किया था सवाल?

लोकसभा सांसद बालाशौरी वल्लभनेनी और रविंद्र वसंतराव चव्हाण ने संसद में सरकार से पूछा था कि कैब सर्विस कंपनियों ने कथित रूप से अलग-अलग किराया वसूलने के मामले में क्या कदम उठाए गए हैं. राइड हेलिंग ऐप्‍स में एक ही डेस्टिनेशन के लिए अलग-अलग किराया वसूले जाने का अनुभव हजारों यूजर्स ने किया है. सैकड़ों यूजर्स ने सोशल मीडिया पर इस मामले की शिकायत भी की थी. बाद में सरकार का ध्‍यान इस ओर गया और केंद्र ने मामले में एक्‍शन लिया.

सर्वे में भी हुआ था खुलासा

इस मुद्दे पर जनवरी में लोकलसर्कल्स (LocalCircles) ने एक सर्वे प्रकाशित किया, जिसमें पता चला कि एक ही राइड के लिए एंड्रॉइड और आईफोन यूजर्स को अलग-अलग किराए चुकाने पड़ रहे हैं. इस सर्वे में पूरे भारत से 33,000 से अधिक कंज्‍यूमर्स की प्रतिक्रियाएं मिली थीं.

इसमें पाया गया कि राइडिंग इंडस्ट्री में 'डार्क पैटर्न्स' का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें ग्राहक को भ्रमित करने वाली रणनीतियां अपनाई जा रही हैं.

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उपभोक्ताओं ने 'बेट एंड स्विच' (लुभाने और बदलने की स्‍ट्रैटजी), जबरन फैसले थोपने और हिडेन चार्ज लगाने जैसी शिकायतें दर्ज कराई थीं. सबसे बड़ी चिंता ये थी कि जब ग्राहक अपने पिकअप लोकेशन में मामूली बदलाव करते हैं, तो किराए में अचानक 100 से 200 रुपये तक का चेंज आ जाता है.

(नीचे देखिए, सर्वे में क्‍या कुछ सामने आया था.)

सरकार 'डार्क पैटर्न्स' के सख्‍त खिलाफ

केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के तहत किसी भी प्लेटफॉर्म को अनुचित लाभ कमाने के लिए ग्राहकों पर अन्यायपूर्ण शुल्क लगाने की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा, 'कोई भी कंपनी एक ही तरह के उपभोक्ताओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकती या कोई ऐसा वर्गीकरण नहीं कर सकती जिससे उपभोक्ताओं के अधिकारों पर असर पड़े.' अब इस मामले में लोगों की नजर DG स्‍तर की जांच पर है.

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