वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस की मालिक रहीं नीरा राडिया ने NDTV Profit के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में रतन टाटा के साथ अनुभवों पर खुलकर बात रखी है. इस दौरान उन्होंने नैनो और इसकी प्राइसिंग पर भी बात की.
ये बीते 12 साल में पहली बार है, जब नीरा राडिया ने किसी मीडिया हाउस से विस्तार से बात की है.
नीरा राडिया एक पब्लिक रिलेशन कंपनी चलाती थीं, जिसका नाम वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस था. ये कंपनी अब बंद हो चुकी है. नीरा राडिया ने एयरपोर्ट पर रतन टाटा के साथ मुलाकात को याद करते हुए बताया कि वो कितने विनम्र थे.
निरा राडिया एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी चेक पर महिलाओं का लाइन में खड़ी हुईं, उनकी नजर रतन टाटा पर टिकी थी. रतन टाटा अपने सिक्योरिटी प्रोटोकॉल से धीरे थे. मगर उन्होंने एक सामान्य यात्री की तरह जनरल सुरक्षा जांच से गुजरने का फैसला किया. स्क्रीनिंग के लिए वो खड़े थो तो सिक्योरिटी ऑफिसर ने उन्हें सलाम किया और आग्रह किया कि उन्हें सिक्योरिटी चेक की जरूरत नहीं है. सिक्योरिटी ऑफिसर ने कहा कि वो देश का गौरव हैं और उन्हें इसकी जरूरत नहीं है. मगर टाटा ने शालीनता के साथ अधिकारी से हाथ मिलाने से पहले जवाब दिया, "नहीं, नहीं, आपको अपना काम करना होगा"
राडिया ने कहा रतन टाटा ऐसे ही थे, सभी के प्रति, चाहे उनका पद कुछ भी हो, रतन टाटा उनका गहरा सम्मान करते थे.
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रतन टाटा से राडिया की पहली मुलाकात तब हुई जब टाटा ग्रुप एविएशन के कारोबार में उतरना चाह रहा था। 1998-99 में सिंगापुर एयरलाइंस के सलाहकार के रूप में उन्होंने एयर इंडिया के लिए टाटा की बोली पर चर्चा की. शुरू में उन्हें मिलने के लिए सिर्फ 20 मिनट का समय दिया गया था, लेकिन ये बैठक कई घंटों तक बढ़ गई क्योंकि टाटा के दूरदर्शी नजरिए से राडिया काफी प्रभावित हुईं. यही नहीं रतन टाटा बातचीत में उनकी जानकारी और बातचीत की गहराई की काफी तारीफ भी की. ये मुलाकात ही वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस और टाटा ग्रुप की कामकाजी रिश्ते की बुनियाद बनी.
नीरा राडिया ने कहा कि "रतन टाटा निश्चित रूप से शर्मीले स्वभाव के थे. टाटा ग्रुप को निगेटिव पब्लिसिटी मिल रही थी, लेकिन वे चुप रहे. उन्होंने अपना फोकस काम पर रखा, केवल उतनी बातें बोलते थे जो जरूरी था.
राडिया ने अपनी कंपनी और टाटा समूह के बीच कारोबारी रिश्ते को दोनों के लिए पॉजिटिव बताया. उन्होंने कहा "मुझे लगता है कि ये बदलाव उनके और उनकी कंपनियों के मैनेजमेंट का स्वागतयोग्य फैसला था. इसकी शुरुआत कठिन थी, लेकिन बाद में हम एक अद्भुत टीम बन गए.'
नीरा राडिया बताती हैं कि रतन टाटा कैंसर के इलाज को लेकर बहुत भावुक जो जाते थे. टाटा की मां और नीरा राडिया के पिता को कैंसर था, इसलिए उनकी बातचीत में कैंसर एक संवेदनशील मुद्दा था. रतन टाटा चाहते थे कि कोई ऐसी दवा बनाई जाए जो कीमोथैरिपी की जगह ले, क्योंकि ये थैरिपी बहुत कष्टदायी है.
रतन टाटा को पालतू जानवरों खासकर कुत्तों से खास लगाव था. राडिया ने कुत्तों के प्रति उनके लगाव का एक किस्सा भी साझा किया. उन्होंने बतयाा कि टाटा की कंपनी के गेस्ट हाउस में एक आवारा कुत्ता था जिसे टाटा पसंद करते थे. टाटा ने उनसे पूछा था कि क्या वो इस कुत्ते की देखभाल करेंगी. टाटा का ड्राइवर हर रोज उसके लिए खाना लाता था. यही नहीं गेस्ट हाउस का रसोइया कुत्ते के लिए भी खाना तैयार करता था.
वो बताती हैं कि कैसे एक दिन रसोइया गलती से टहालते हुए कुत्ते को भूल गया था. राडिया ने कहा कि उनकी पूरी टीम उस कुत्ते की तलाश में लग गई. जब कुत्ता मिल गया तब इस घटना के बारे में रतन टाटा को बताया गया.