देश के कुल बेरोजगारों में 83% युवा, पढ़े-लिखे बेरोजगार भी बढ़े! क्‍या हैं उपाय?

रिपोर्ट दर्शाती है कि अनइम्‍प्‍लॉयमेंट रेट और वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन में भी सुधार के बावजूद बेरोजगारी के मोर्चे पर बहुत राहत नहीं मिल पाई है.

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देश में मौजूदा बेरोजगारी दर 8% के करीब है और इन कुल बेरोजगारों में करीब 83% युवा हैं. यानी 100 में से जो 8 लोग बेरोजगार हैं, उनमें 6 से ज्‍यादा लोग युवा हैं.

'इंडिया एम्‍प्‍लॉयमेंट रिपोर्ट 2024' के मुताबिक, देश में काम की तलाश कर रहे कुल बेरोजगारों में करीब 66% तो शिक्षित युवा हैं, यानी पढ़े-लिखे होने के बावजूद उनके पास रोजगार नहीं है.

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन और इंस्‍टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट ने मिलकर ये रिपोर्ट तैयार की है, जिसे देश के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्‍वरन ने बुधवार को जारी किया.

रिपोर्ट दर्शाती है कि अनइम्‍प्‍लॉयमेंट रेट और वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन में भी सुधार के बावजूद बेरोजगारी के मोर्चे पर बहुत राहत नहीं मिल पाई है.

2 दशक में ज्‍यादा सुधार नहीं

इन आंकड़ों पर भले ही राजनीति शुरू हो गई है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2000 में कुल बेरोजगार लोगों में युवाओं की हिस्‍सेदारी 88.6% थी, जो 2022 में 82.9% रह गई है. यानी बीते 22 वर्षों में देश में बेरोजगार युवाओं की संख्‍या महज 6% कम हो पाई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कुल बेरोजगारों में 10वीं पास युवाओं का आंकड़ा वर्ष 2000 के 35.2% से बढ़ कर 2022 में 65.7% हो गया है. इनमें महिलाओं की संख्‍या ज्‍यादा है.

Source: ILO
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सवाल ये भी है कि रोजगार के लिए क्‍या केवल शिक्षित होना काफी है?

जवाब है- नहीं.

रिपोर्ट कहती है कि ज्‍यादातर युवाओं के पास स्किल यानी काम करने का कौशल नहीं है.

75% युवा अटैचमेंट के साथ ईमेल नहीं भेज पाते तो वहीं 60% युवा फाइल्‍स को कॉपी-पेस्ट तक नहीं कर पाते. किसी फार्मूले को स्प्रेडशीट में डालना तो 90% के बस की बात नहीं.

इसी समस्‍या को ध्‍यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति में कौशल-विकास पर जोर दिया गया है. केंद्र सरकार पिछले 10 साल से लगातार इस पर काम भी कर रही है.

केवल सरकारी प्रयास काफी नहीं

चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर नागेश्‍वरन का कहना है कि सरकार अपने स्‍तर पर कई तरह के उपाय कर रही है, लेकिन उद्योग जगत को भी आगे आने की जरूरत है. उन्‍हें ज्‍यादा नियुक्तियां करने की जरूरत है.

रिपोर्ट ये भी कहती है कि अगले 10 साल श्रम आधारित रोजगार का इंतजाम करने की जरूरत है. साथ ही डिजिटल, केयरिंग जैसे फील्‍ड में काम की तलाश कर निवेश की जरूरत है.

बढ़ते शहरीकरण के बीच गरीब युवाओं और महिलाओं को शामिल करते हुए विकास योजनाएं डेवलप करने का भी सुझाव दिया गया है.

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