हर रोज साइबर क्राइम के 1500 मामले, लेकिन FIR कितनी दर्ज हुईं?

बैंक फ्रॉड का मामला हो या डेबिट कार्ड स्वैपिंग का, साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालांकि, मामलों की शिकायत दर्ज करने और उनपर FIR होने के बीच बड़ा अंतर है.

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ऑनलाइन फ्रॉड, मिस्ड कॉल स्कैम और साइबर क्राइम की ऐसी कई खबरें हर रोज सामने आती हैं. लेकिन, क्या इन मामलों में केस भी दर्ज होता है?

जवाब है- नहीं. लोकसभा में इस बात की जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देश में हर रोज, साइबर क्राइम की करीब 1500 शिकायतें दर्ज की जाती हैं. वो सदन में 1 जनवरी 2020 से 7 दिसंबर 2022 तक की जानकारी दे रहे थे. इस दौरान 16 लाख से ज्यादा शिकायतें रिपोर्ट की गईं लेकिन उनमें से महज 2% यानी 32,000 शिकायतें ही FIR में बदल सकीं. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर ये सारी जानकारी मौजूद है.

किस साइबर क्राइम के शिकार सबसे ज्यादा?

साइबर क्राइम का ये जाल तेजी से फैल रहा है और हैकर्स इसके नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. गृह मंत्रालय की 'साइबर प्रवाह' रिपोर्ट के मुताबिक,

  •  एक तिमाही के बीच, UPI फ्रॉड के मामलों में 21,795 की बढ़ोतरी देखी गई.

  • 2022 की पहली तिमाही में जहां UPI फ्रॉड के 62,350 मामले सामने आए, तो दूसरी तिमाही में ये आंकड़ा 84,145 पर पहुंच गया.

  • डेबिट/क्रेडिट या सिम कार्ड स्वैपिंग और इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड दूसरे ऐसे स्कैम हैं जो लोगों पर अपना शिकंजा कसते जा रहे हैं.

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कैसे करें साइबर क्राइम की शिकायत?

रोज फोन हैक होने और बैंक अकाउंट खाली होने की खबरें सुनकर घबराना जायज है, क्योंकि ऐसे कई मामलों में खुद को सुरक्षित रख पाना मुश्किल होता है. खासतौर पर तब, जब इन हमलों का तरीका बिलकुल नया हो. ऐसे में, अगर आप किसी ऐसे अपराध का शिकार होते हैं, तो आपका पहला कदम होना चाहिए इसकी शिकायत दर्ज करना, ताकि अपने नुकसान को कुछ कम किया जा सके. शिकायत का ये प्रोसेस इस तरह काम करता है:

  • सबसे पहले, साइबर क्राइम की नेशनल हेल्पलाइन, 1930 पर कॉल करके फ्रॉड की जानकारी दें.

  • फिर ऑपरेटर आपके केस को दर्ज करता है और बैंक को इसकी जानकारी देता है.

  • इसके बाद आपको SMS के जरिए आगे की कार्रवाई की जानकारी दी जाती है.

  • जिसके बाद बैंक, फ्रॉड के अमाउंट को होल्ड कर देता है.

हालांकि, साइबर क्राइम जिस तादाद में बढ़ रहा है उसे रोकने या कम करने के लिए सिर्फ बैंकों तक जानकारी पहुंचाना या शिकायत दर्ज करना काफी नहीं होगा. यहां और मजबूत साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर और इन अपराधों से जुड़ी अवेरयनेस बढ़ाना भी बेहद जरूरी है.