अहमदाबाद में तापमान 19 मई और 25 मई के बीच हर दिन बढ़कर 43 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इससे बहुत से श्रमिकों के लिए हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं.
बेहद मुश्किल का करना पड़ रहा था सामना
40 साल की लताबेन अरविंदभाई मकवाना के लिए अपने टीन के छत वाले घर में सिलाई मशीन पर काम करना बेहद मुश्किल हो गया था. उनके घर में बहुत कम वेंटिलेशन है और सिर्फ सीलिंग फैन ही मौजूद है. वो एक दिहाड़ी मजदूर हैं.
ऐसे में उन्हें अपने बच्चों को खाना खिलाने और खुद के लिए ब्लड प्रेशर की दवाइयां खरीदने के लिए जरूरी पैसा नहीं मिल पा रहा था.
मकवाना ने कहा कि हर गर्मी में ये ज्यादा बुरा होता जा रहा है. बेहद ज्यादा गर्मी उनके जैसे लोगों के लिए खतरनाक है, जो हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं. जलवायु परिवर्तन के साथ तापमान बढ़े हैं और करोड़ों भारतीय मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.
उनके पास दो विकल्प हैं- खतरनाक हालात में काम करना या भूखे रहना. लेकिन मकवाना जैसी कुछ महिलाओं को एक प्रोग्राम मदद कर रहा है. इसकी मदद से वो कुछ घंटों के लिए काम करना बंद कर सकते हैं.
कैसे काम करती है इंश्योरेंस स्कीम?
अहदाबाद में तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है. मकवाना और हजारों अन्य महिलाओं को बताया गया है कि बीमा कंपनी ICICI लोम्बार्ड उन्हें उनके रोजाना के वेतन के कुछ हिस्से का भुगतान करेगी.
भारत के 22 जिलों में 46,000 से ज्यादा महिलाओं को पिछले महीने की गर्मी के दौरान 3,40,000 डॉलर का भुगतान किया गया था. कार्यक्रम में करीब 50,000 महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया गया था.
मकवाना को 750 रुपये का इंश्योरेंस मिलता था, जो कुछ दिनों के लिए खाने और दवाइयों के लिए काफी है. इस इंश्योरेंस प्रोग्राम को सेल्फ एंप्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन लेबर यूनियन चलाती है. इसके प्रीमियम का कुछ हिस्सा कार्यक्रम में रजिस्टर्ड महिलाएं चुकाती हैं. बाकी हिस्सा चैरिटी से कवर किया जाता है. पायलट प्रोग्राम को पिछले साल लॉन्च किया गया था और ये अप्रैल 2025 तक चलती रहेगी.