भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने सोमवार को कहा कि इंटरऑपरेबल इंटरनेट बैंकिंग इस साल लॉन्च होने की उम्मीद है. दास ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन (NPCI) को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है, ऐसे सिस्टम को शुरू करने का काम जारी है. हमने NPCI भारत बिल-पे को ऐसे इंटरऑपरेबल सिस्टम को लागू करने की मंजूरी दे दी है.
दास ने सिस्टम को क्यों बताया जरूरी?
दास ने कहा कि ये कदम RBI के पेमेंट्स विजन 2025 का भी हिस्सा है. सिस्टम में कई पेमेंट एग्रीगेटर्स मौजूद हैं. इसे देखते हुए भी ये नया सिस्टम लाया जा सकता है. मौजूदा समय में PAs के जरिए प्रोसेसिंग किए गए इंटरनेट बैंकिंग ट्रांजेक्शंस इंटरऑपरेबल नहीं हैं. ऐसे मामलों में बैंकों को अलग-अलग विक्रेताओं के हर PA के साथ अलग इंटिग्रेशन करना होता है.
RBI गवर्नर ने आगे कहा कि इस मुश्किल और इन ट्रांजैक्शंस के लिए नियमों के अभाव को देखते हुए भुगतान मिलने में देरी होती है. पेमेंट्स सिस्टम की ग्रोथ की सराहना करते हुए दास ने कहा कि भारत ऑथेंटिकेशन सिस्टम के एडिशनल फैक्टर को अपनाने वाले पहले देशों में से एक है. उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया के 46% से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन होते हैं. डिजिटल पेमेंट्स में UPI की हिस्सेदारी 2023 में बढ़कर 80% हो गई है.
क्या है इंटरऑपरेबिलिटी इंटरनेट बैंकिंग?
इंटरऑपरेबिलिटी टेक्निकल कंपेटिबिलिटी को बढ़ाती है. इससे एक पेमेंट सिस्टम, दूसरे पेमेंट सिस्टम से बिना किसी तकनीकी दिक्कत के जुड़ा होगा. UPI पेमेंट सिस्टम इसका सबसे सटीक उदाहरण है जिसके जरिए वॉलेट, अलग-अलग बैंकों के डिजिटल ट्रांजैक्शन एक ही सिस्टम के जरिए होते हैं.