'बाजार अच्छा कर रहा था, डिजिटल बदलाव आ रहे थे. हमें सही जगह पर सही वक्त पर रहने का फायदा भी मिला'
ये कहना है कि ग्रो ऐप के को-फाउंडर ललिते केशरे का. NDTV वर्ल्ड समिट 2024 के दूसरे दिन केशरे चर्चा के लिए पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय शेयर बाजार के बढ़ते दायरे, इसकी सीमाओं से लेकर ग्रो की अपनी यात्रा तक विस्तार से अपनी बात रखी.
उन्होंने फिनटेक में इन्वेस्टमेंट की जरूरत पर जोर दिया, साथ ही इस धंधे के लिए भरोसे को सबसे बड़ी पूंजी बताया. वे कहते हैं, 'हमारी 400 इंजीनियर्स की टीम चीजों को सही बनाने के लिए काम कर रही होती है, क्योंकि ये ग्राहकों का पैसा है. भरोसा सबसे अहम चीज है, बाकी सब दूसरे नंबर पर आता है.'
सही समय पर सही जगह पर...
ललित केशरे अपनी निवेश की यात्रा की शुरुआत के बारे में कहते हैं, 'वैसे तो मैंने अपने कॉलेज के दूसरे साल से ही निवेश करना शुरू कर दिया था. ये 2001 की बात है. बाद में जब मैं फ्लिपकार्ट में काम कर रहा था, तब हमने भारत में ई-कॉमर्स की ग्रोथ देखी. हमने बाजार की आम लोगों में बढ़ती पहुंच देखी. फिर हमारे पास एक मौका आया कि हम तकनीक का इस्तेमाल कर भारत में लाखों लोगों तक पहुंच सकें, ये हमारा स्टार्टिंग प्वाइंट था.'
वहीं Groww की जबरदस्त ग्रोथ पर ललित केशरे ने माना कि उन्हें 'सही जगह पर सही वक्त पर मौजूद' रहने का फायदा मिला.
उन्होंने कहा, 'हम निश्चित ही लकी थे. मार्केट अच्छा था, फंडामेंटल बदल रहे थे, खास डिजिटल एरिया में काफी बदलाव आ रहे थे, तो संकेत साफ थे कि भारत का टाइम आ गया है. हमने ज्यादा कुछ सोचा नहीं था, कुछ प्लान थे, लेकिन हम नहीं जानते थे कि हम कहां पहुंचेंगे.'
डेरिवेटिव्स पर कड़ाई से पड़ेगा असर?
हाल में SEBI ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के नियम कड़े किए हैं. इसके जरिए रिटेल ट्रेडर को सुरक्षित करने की कोशिश है. जब ललित से पूछा गया कि इस कदम का उनकी कंपनी पर कितना असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, 'ग्रो एक बड़ा प्लेटफॉर्म है, इसमें कई प्रोडक्ट हैं. जैसे- म्यूचुअल फंड्स, स्टॉक, डेरिवेटिव्स आदि. हमारे 15-20% ग्राहक डेरिवेटिव्स में पैसा लगाते हैं. बीते 2 साल में इसमें ज्यादा उत्साह रहा है. रेगुलेटर रिटेल ट्रेडर्स के बारे में सोच रहा है, जो हमारी सोच से भी मेल खाता है. दरअसल मायने ये रखता है कि लंबे वक्त में लोग कैसा पैसा बना रहे हैं. यही हमारी सोच है.'
उन्होंने आगे कहा, 'कुछ चीजों में कस्टमर प्रोटेक्शन बहुत जरूरी होता है, रेगुलेटर्स के एक्शन से निश्चित हम पर असर होगा, लेकिन कितना होगा, हम इसके बारे में कुछ निश्चित नहीं कह सकते.'
बाजार की पहुंच बढ़ी, लेकिन अब भी दायरा सीमित
इक्विटी इन्वेस्टमेंट के बढ़ते दायरे की वजह बताते हुए ललित कहते हैं, 'इंटरनेट, आधार, UPI ने बाधाएं कम कीं, फिर हमारे जैसे लोगों ने निवेश करना बहुत आसान, पारदर्शी बना दिया. हमने निवेश के बारे में भी लोगों को जागरुक किया.'
वे कहते हैं, 'पहले निवेशकों का दायरा मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों या गुजरात जैसी जगहों तक सीमित था, लेकिन अब टियर-2 टियर-3 शहरों से बड़ी मात्रा में निवेश हो रहा है, क्योंकि अब शेयर बाजार की जानकारी हर कहीं उपलब्ध है. आप ग्रो ऐप खोलकर फंडामेंटल, टेक्निकल, म्यूचुअल फंड जैसी सभी चीजों की जानकारी ले सकते हैं. इस तरह का ट्रेंड 2015-16 से शुरू हो गया था.'
ललित केशरे कहते हैं कि भारत में शेयर बाजार की पहुंच अब भी बहुत सीमित है.
वे कहते हैं, 'अगर हम 2020-21 से तुलना करें तो ठीक है, लेकिन अगर हम दूसरे देशों से तुलना करें तो पाएंगे कि भारत में अभी शेयर बाजार की पहुंच काफी सीमित है.'
वही IPO को लेकर उन्होंने कहा कि निश्चित ही भविष्य में IPO आ सकता है, लेकिन ये कब होगा, इसके बारे में नहीं कहा जा सकता.
तकनीकी खामियों पर बोले केशरे
हाल में कई ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप्स को तकनीकी खामियों का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते ग्राहकों ने कई बार सोशल मीडिया पर भी अपनी शिकायतें साझा की हैं.
इस पर ललित केशरे कहते हैं, 'निश्चित ही जब आप तकनीक पर आधारित चीजें बड़े स्केल पर बना रहे होते हैं, तब कुछ दिक्कतें आती हैं. लेकिन हर दिन हमें कस्टमर्स का प्यार मिलता है, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ दिक्कतों को ज्यादा हाईलाइट किया जाता है.'
वहीं कंपिटीशन के मुद्दे पर ललित केशरे कहते हैं कि ग्राहकों का विश्वास उनकी सबसे बड़ी पूंजी है. उनके मुताबिक 'अगर आप कस्टमर्स को अच्छी सर्विस देना जारी रखते हैं, तो आपका विश्वास जमा होता जाता है. आप अपना ब्रैंड बनाते हैं. अगर आप बड़ी फाइनेंशियल सर्विसेज को देखें तो उनके ऊपर लोगों का काफी विश्वास है. मुझे लगता है कि भारत एक बड़ा प्लेग्राउंड है और आप ग्राहकों के लिए काम करना जारी रखते हैं, तो बेहतर नतीजे आते हैं.'