देश में आएगा नया नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान, पीक डिमांड टारगेट को बढ़ाकर 458 GW किया गया

एलारा कैपिटल में सीनियर पावर यूटिलिटीज एनालिस्ट रुपेश सांखे ने कहा कि योजना 2032 तक 458 GW की पीक डिमांड को हासिल करने की है.

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केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने हाल ही में कहा कि 2023-32 की अवधि के दौरान केंद्र और राज्य के ट्रांसमिशन सिस्टम्स के लिए नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान (National Electricity Plan) को तय कर लिया गया है. एलारा कैपिटल में सीनियर पावर यूटिलिटीज एनालिस्ट रुपेश सांखे ने कहा कि योजना 2032 तक 458 GW की पीक डिमांड को हासिल करने की है.

ये पीक डिमांड टागरेट 380 GW के पिछले अनुमान से ज्यादा है. प्रोजेक्ट के लिए कुल 9.15 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैं.

उन्होंने कहा कि इससे पिछला अनुमान 5.7% के कंजर्वेटिव कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट पर आधारित था. डिमांड 7% की दर पर ग्रोथ कर रही है. इसलिए अनुमान में बदलाव जरूरी थी. सांखे ने बताया कि आने वाले नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान से न सिर्फ भारत की बढ़ती बिजली की मांग पूरी होगी. बल्कि देश के इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड में रिन्युएबल एनर्जी और ग्रीन हाइड्रोजन के इंटिग्रेशन में भी मदद मिलेगी.

मुख्य फीचर्स

  • भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क को FY24 के 4.85 लाख सर्किट किलोमीटर से बढ़ाकर 2032 तक 6.48 लाख सर्किट किलोमीटर किया जाएगा

  • ट्रांसफोर्मेशन कैपेसिटी को 1,251 GVA से बढ़ाकर 2032 तक 2,342 GVA किया जाएगा

  • 33.25 GW की कुल कैपेसिटी के साथ नौ ज्यादा वोल्टेज वाले डायरेक्ट करंट ट्रांसमिशन सिस्टम्स को शुरू किया जाएगा. नई क्षमता से 33.50 GW की मौजूदा ऑपरेशनल कैपेसिटी करीब डबल हो जाएगी.

  • 2032 तक इंटर-रीजनल ट्रांसफर कैपेसिटी को 119 GW से बढ़ाकर 168 GW किया जाएगा.

इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम कैपेसिटी (ISTS)

ऊर्जा मंत्री खट्टर ने इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) के लिए अतिरिक्त 50 GW को मंजूरी का ऐलान किया, जो प्रभावी इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसफर के लिए देश भर में हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइंस को कनेक्ट करता है. 2030 तक देश ISTS के जरिए 335 GW निकालने की योजना बना रहा है. इसमें से 280 GW रिन्युएबल स्रोतों से आ रहे हैं.

इसमें से 50 GW को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. मौजूदा समय में करीब 42 GW के लिए ट्रांसमिशन सिस्टम को पूरा किया जा चुका है. 85 GW पर काम जारी है और 75 GW बिडिंग की प्रक्रिया में है. जबकि बाकी 82 GW को बाद में मंजूरी दी जाएगी.

पहले 100 दिनों में उपलब्धि

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के दौरान 50.9 GW की कुल कैपेसिटी की ट्रांसमिशन स्कीम्स को मंजूरी दी गई है. इसकी कुल अनुमानित लागत 60,676 करोड़ रुपये है.

गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ के लिए ट्रांसमिशन सिस्टम्स को मंजूरी दी गई है.

पंप्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट्स

खट्टर ने ये भी जिक्र किया कि भारत के पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट की क्षमता 184 GW से ज्यादा है.

देश स्टोरेज और ग्रिड स्टेबिलिटी की जरूरतों का समाधान करने के लिए 2030 तक 39 GW की PSP कैपेसिटी जोड़ने की योजना बना रहा है. मौजूदा समय में इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 4.7 GW है, जबकि 6.47 GW पर काम चल रहा है और 60 GW सर्वे और जांच के अलग-अलग चरणों में हैं.

पहले 100 दिनों में अतिरिक्त 3.77 GW PSP के लिए कॉन्ट्रैक्ट्स भी दिए गए हैं.

थर्मल कैपेसिटी

खट्टर ने कहा कि भारत रिन्युएबल एनर्जी पर आक्रामक तौर पर फोकस कर रहा है, जिससे ये सुनिश्चित हुआ है कि ऊर्जा सुरक्षा अहम बनी रहे. ऊर्जा मंत्रालय पीक डिमांड को पूरा करने के लिए थर्मल कैपेसिटी बढ़ाने को प्राथमिकता दे रहा है.

मौजूदा समय में भारत में कोयले और लिग्नाइट से कुल थर्मल कैपेसिटी 217 GW है. 28.4 GW की कैपेसिटी पर काम चल रहा है. इसमें से 14 GW कैपेसिटी मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान कमीशन की जाएगी. इसके अलावा 58.4 GW कैपेसिटी प्लानिंग, बिडिंग के अलग-अलग चरणों में है.

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लेखक Mihika Barve