आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम से मनरेगा में नहीं मिला फायदा, सामान्य ट्रांसफर जितना ही लगा समय

सरकार की मनरेगा स्कीम में आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम लागू किए जाने से कोई फायदा नहीं हुआ. सरकार ने मनरेगा में भ्रष्टाचार रोकने और भुगतान ट्रांसफर में समय घटाने के मकसद से इसे लागू शुरू किया था

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सरकार की मनरेगा स्कीम (MGNREGA) में आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम लागू करने से कोई फायदा नहीं हुआ है. सरकार ने मनरेगा स्कीम में भ्रष्टाचार रोकने और मजदूरी ट्रांसफर समय घटाने के मकसद से आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम (Aadhaar Based Payment System) को शुरू किया था. सरकार चाहती थी कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए लोगों को उनके पैसे कम समय में मिलें और फर्जी लाभार्थियों को भी इससे बाहर किया जा सके.

सुगुणा भीमारशेट्टी, अनुराधा डे, राजेंद्रन नारायण, पारुल साबू और लवन्या तेमांग ने एक वर्किंग पेपर पेश किया है. इसके मुताबिक, पारंपरिक तरीके से बैंक अकाउंट में पैसे डालने और डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर में लगने वाले समय में कोई अंतर नहीं है.

63% मामलों में मजदूरी मिलने में हुई देरी

स्टडी में कहा गया है कि 63% मामलों में केंद्र सरकार की ओर से तय सात दिन के मुकाबले ज्यादा दिन में मजदूरी आई. वहीं 42% मामलों में मजदूरी आने में 15 दिनों से ज्यादा की देरी हुई. NREGA एक्ट के तहत, केंद्र सरकार को ट्रांजैक्शंस की सात दिनों के अंदर प्रोसेसिंग करनी होती है.

इस स्टडी के लिए, हर जिले के एक ब्लॉक को सैंपल के तौर पर लिया गया था. और FY22 में उस ब्लॉक के लिए हर ट्रांजैक्शन को देखा गया है, जिससे उसे करीब 31.4 मिलियन ट्रांजैक्शंस का डेटा मिला. पेपर के लेखकों ने देखा कि सरकार ने मजदूरों के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने के लिए कितना समय लिया है. आधिकारिक नियमों के मुताबिक, केंद्र सरकार को राज्यों से इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस मिलने के सात दिनों के अंदर वेतन ट्रांसफर करना होता है.

पेमेंट रिजेक्ट होने के आंकड़ों में भी बड़ा अंतर नहीं

एनालिसिस में सामने आया कि आधार पेमेंट और अकाउंट में पैसा डालने में लगने वाले समय के बीच कोई खास अंतर नहीं है. बैंक अकाउंट में पैसा डालने के जरिए 36% ट्रांजैक्शंस की सात दिनों के अंदर प्रोसेसिंग हुई. जबकि, आधार बेस्ड पेमेंट के जरिए 39% ट्रांजैक्शंस की सात दिनों के अंदर प्रोसेसिंग हुई है.

इसके साथ पेमेंट रिजेक्ट होने के आंकड़ों में भी कोई बड़ा अंतर नहीं है. जहां अकाउंट पेमेंट में 2.85% रिजेक्ट हुईं. जबकि, आधार बेस्ड पेमेंट्स में 2.1% रिजेक्ट हुईं हैं.

केंद्र सरकार ने 30 जनवरी को एक लेटर जारी किया था. इसमें मनरेगा के तहत वेतन देने के लिए आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम को अनिवार्य कर दिया था.

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