प्याज की कीमतों में एक बार फिर आग लग गई है और कीमतें पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. इसकी अहम वजह खराब फसल, सप्लाई में कमी और निर्यात मांग में इजाफा है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नासिक और लासलगांव जैसे प्रमुख बाजारों में प्याज के होलसेल रेट में तेजी आई है, जिससे आम लोग और व्यापारी दोनों ही तनाव महसूस कर रहे हैं. नासिक के पिंपलगांव बाजार में सबसे अच्छी क्वालिटी वाले प्याज की अधिकतम कीमत दो सप्ताह पहले 51 रुपये/किलोग्राम से बढ़कर 70 रुपये/किलोग्राम हो गई है.
ट्रेडर्स बढ़े हुए रेट की वजह बताते हुए कहते हैं कि राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ की फसल की गुणवत्ता खराब रही है, ऊपर से भारी बारिश के चलते नई फसल आने में भी देरी हो गई है.
दिवाली में सप्लाई में कमी और एक्सपोर्ट डिमांड बढ़ने का भी असर
प्याज की कीमतों में उछाल दिवाली की छुट्टियों के कारण सप्लाई में आई कमी से भी जुड़ा है. त्योहार के दौरान देश के तमाम थोक बाजार कई दिनों तक बंद रहे, जिससे सप्लाई में गिरावट आई. इसका नतीजा थोक कीमतों में तेज वृद्धि के रूप में सामने आया है. अकेले पिछले सप्ताह ही प्याज की थोक कीमतों में 30-35% का इजाफा हुआ है.
एक्सपोर्ट मांग में भी वृद्धि ने प्याज की कीमतों में तेजी को और बढ़ा दिया है. बांग्लादेश ने हाल ही में स्थानीय कीमतों को कम करने की कोशिश में 15 जनवरी तक प्याज पर अपना आयात शुल्क हटा दिया, जिससे भारत से प्याज एक्सपोर्ट में तेजी आई.
भारत ने सितंबर में प्याज पर अपना एक्सपोर्ट शुल्क आधा कर 20% कर दिया था, ताकि किसानों पर दबाव कम किया जा सके. किसान लगातार ये मांग करते आ रहे थे.
कब सस्ती होगी प्याज?
मौजूदा तेजी के बावजूद व्यापारियों को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में कीमतें कम होने लगेंगी. उन्हें अगले 8-10 दिनों के भीतर प्याज की कीमतों में गिरावट की उम्मीद है, क्योंकि देश के अन्य क्षेत्रों से नई फसल की आवक, मांग की कमी को दूर कर देगी.
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का अनुमान है कि नवंबर के अंत तक प्याज की थोक कीमतें 30 रुपये/किलोग्राम के आसपास तक आ सकती हैं.