प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विजिट के दौरान कई परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इसमें सबसे प्रमुख पालघर में 76,200 करोड़ रुपये की लागत वाला वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट (Vadhavan Port) है, जिसकी आधारशिला PM मोदी ने रखी.
शुक्रवार की दोपहर मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करने के बाद वो पालघर के ‘सिडको ग्राउंड’ पहुंचे और कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया.
क्यों महत्वपूर्ण है वाधवन पोर्ट?
वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट कई मायनों में अहम है. डेवलप होने के बाद ये देश का सबसे बड़ा पोर्ट होगा. जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) मिलकर इसे डेवलप कर रहे हैं.
JNPA और MMB ने वाधवन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (VPPL) की नई यूनिट बनाई है, जिसमें JNPA की हिस्सेदारी 74% और MMB की 26% है.
इस पोर्ट को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत डेवलप किया जा रहा है. इस बंदरगाह की क्षमता 15 मिलियन TEU होगी.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य विश्वस्तरीय समुद्री प्रवेश द्वार स्थापित करना है, जो देश के व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा.
पालघर जिले के दहानू शहर के पास स्थित वाधवन बंदरगाह भारत में गहरे पानी में स्थित सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक होगा.
ये अंतरराष्ट्रीय समुद्री परिवहन के लिए सीधा संपर्क प्रदान करेगा, समय की बचत करेगा और लागत में भी कमी लाएगा.
यह बंदरगाह अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी से लैस होगा और इसकी प्रबंधन प्रणाली भी आधुनिक होगी.
PMO के मुताबिक, पोर्ट से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे. करीब 12 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा होने का दावा किया गया है.
स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलेगा और क्षेत्र के ओवरऑल आर्थिक विकास में मदद मिलने की उम्मीद है.
समुद्री इनफ्रास्ट्रक्चर में मील का नया पत्थर
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा, 'गुलामी की बेड़ियों के हर निशान को पीछे छोड़ते हुए नया भारत समुद्री इंफ्रास्ट्रक्चर में मील के नए पत्थर लगा रहा है. अब ये भारत, नया भारत है. नया भारत इतिहास से सबक लेता है और अपने सामर्थ्य को पहचानता है. अपने गौरव को पहचानता है.'
आगे उन्होंने कहा, 'एक समय था जब भारत को विश्व के सबसे समृद्ध और सशक्त राष्ट्रों में गिना जाता था. भारत की इस समृद्धि का एक बड़ा आधार था. भारत का सामुद्रिक सामर्थ्य. हमारी इस ताकत को महाराष्ट्र से बेहतर कौन जानेगा.'
छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, 'शिवाजी ने समुद्री व्यापार को, समुद्री शक्ति को एक नई ऊंचाई दी थी. उन्होंने नई नीतियां बनाई, देश की प्रगति के लिए फैसले लिए.'