प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के संविधान को जीवंत दस्तावेज बताया है, जिसकी प्रासंगिकता समय से परे है. दरअसल PM मोदी ने संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इसमें उन्होंने समय से परे संविधान की प्रासंगिकता पर खुलकर विचार रखे.
बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था कि संविधान महज किसी वकील का दस्तावेज नहीं है. संविधान निर्माता जानते थे कि समय बदलेगा. इसलिए संविधान को एक जीते-जागते जीवंत दस्तावेज के तौर पर बनाया गया. बीते 75 साल में संविधान ने हमें सभी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए सशक्त किया है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
संविधान के दायरे में रहकर पूरे किए कर्तव्य: PM
PM ने विपक्ष के संविधान के उल्लंघन से जुड़े आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने अपने सभी कर्तव्य संविधान के दायरे में रहकर पूरे किए हैं, किसी दूसरे अंग के क्षेत्राधिकार का कभी उल्लंघन नहीं किया. संविधान हमेशा सरकार को दिशा देने वाला प्रकाश रहा है.
वहीं जम्मू-कश्मीर पर चर्चा करते हुए PM ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में अब पूरी तरह भारतीय संविधान लागू कर दिया गया है. वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है.'
दंड के बजाए न्याय पर आधारित नई न्याय संहिता
वहीं न्याय और दंड कानूनों में हुए हालिया बदलावों पर प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारतीयों को त्वरित न्याय के लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है. अब दंड आधारित न्याय संहिता को न्याय आधारित संहिता में बदला गया है.'
आज 2008 में हुए मुंबई हमले की बरसी भी है. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में मुंबई हमले के पीड़ितों को भी श्रद्धांजलि दी और कहा कि जो भी आतंकी ग्रुप भारत की सुरक्षा को चुनौती देंगे, उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. बता दें आज से ठीक 75 साल पहले 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया था, इसके दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को इसे पूरे देश में लागू किया गया था.