भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने रिलायंस (RIL) के साथ 2022 में प्रिंसपल स्पॉन्सरशिप के लिए एग्रीमेंट किया था. इसके तहत शुरू में 6 टूर्नामेंट्स के लिए रिलायंस को कवरेज मिली थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में CAG ऑडिट के हवाले से IOA को घाटे के दावे किए गए हैं. दरअसल रिलायंस को बाद में 4 टूर्नामेंट की स्पॉन्सरशिप और मिली, इसके लिए IOA ने रिलायंस से कोई पैसा नहीं लिया. ऑडिट के मुताबिक इससे IOA को 24 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.
मामले में IOA की प्रेसिडेंट PT ऊषा को CAG ने तलब किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
मुख्य एग्रीमेंट 1 अगस्त 2022 को साइन किया गया था, जिसके तहत रिलायंस को IOA ने प्रिंसपल स्पॉन्सरशिप दी थी. इसमें 6 टूर्नामेंट कवर थे: 1) 2022 के एशियन गेम्स 2) 2026 के एशियन गेम्स 3) पेरिस ओलंपिक्स 4) 2028 का लॉस एंजेल्स ओलंपिक्स 5) 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स और 6) 2026 के कॉमनवेल्थ गेम्स
इन टूर्नामेंट्स में प्रिंसपल स्पॉन्सर बनने के लिए रिलायंस ने 35 करोड़ रुपये चुकाए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक 5 दिसंबर 2023 को इस एग्रीमेंट में फेरबदल हुआ और रिलायंस को 4 अन्य टूर्नामेंट्स के स्पॉन्सरशिप राइट्स भी दे दिए गए. ये राइट्स 2026 और 2030 के विंटर ओलंपिक और यूथ ओलंपिक के लिए थे.
लेकिन इसके लिए रिलायंस से कोई अतिरिक्त पैसा नहीं लिया गया.
IOA ने अपने हितों का नहीं रखा ख्याल
रिपोर्ट में CAG के हवाले से कहा गया है, 'IOA ने अपने हितों का ख्याल नहीं रखा, क्योंकि अतिरिक्त टूर्नामेंट की स्पॉन्सरशिप देने के बावजूद 35 करोड़ रुपये की रकम में कोई बदलाव नहीं किया गया.'
CAG के मुताबिक नए टूर्नामेंट को एग्रीमेंट में शामिल किए जाने के बाद 24 करोड़ रुपये अतिरिक्त, मतलब कुल 59 करोड़ रुपये लिए जाने थे. इसके लिए हर एक टूर्नामेंट के लिए 6 करोड़ रुपये का एवरेज लगाया गया है.