भारत आए सैम ऑल्टमैन, कहा- देश ने पूरे जोश के साथ अपनाया ChatGPT

ऑल्टमैन ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रेगुलेशन पर भारत एक जरूरी भूमिका निभा सकता है.

Representational Image (Source: Twitter/sama)

भारतीय यूजर्स ने ChatGPT को बहुत जल्द, पूरे उत्साह के साथ अपना लिया है. ये कहना है ChatGPT की पेरेंट कंपनी OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन का.

भारत आए सैम ऑल्टमैन

बुधवार को इकोनॉमिक टाइम्स के कार्यक्रम में OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) ने शिरकत की. उन्होंने कहा, 'सबसे शुरुआती घटनाओं में, हमें एक भारतीय किसान के बारे में जानकारी मिली जो सरकारी सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे. लेकिन ChatGPT की मदद से, वे WhatsApp के जरिए इन योजनाओं का इस्तेमाल करने में सफल हुए. हमें इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी.'

ऑल्टमैन ने भारत द्वारा नेशनल टेक्नोलॉजी को बतौर एसेट निर्माण करने के लिए की गई कोशिशों को प्रभावित करने वाला बताया. उनका इशारा इंडिया स्टैक की ओर था, जिसमें कई ओपन ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस जैसे UPI और CoWin शामिल हैं.

AI रेगुलेशन पर भारत की भूमिका

ऑल्टमैन ने कहा, 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रेगुलेशन पर भारत एक जरूरी भूमिका निभा सकता है. अभी G20 आ रहा है, ग्लोबल लेवल पर हो रही चर्चा के बीच इंटरनेशनल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर भारत अपने पक्ष को पुरजोर तरीके से रख सकता है और हम इस पर फोकस कर रहे हैं. अभी से लेकर सितंबर में तक हम इसे प्राथमिकता देने की पूरी कोशिश में हैं.'

'फर्जी खबरों से फैल रहा डर'

डीपफेक और फर्जी सूचनाओं के संदर्भ में ऑल्टमैन ने कहा कि वो समय दूर नहीं, जब दुनिया ऐसा कंटेंट बनाने में सक्षम होगी, जो बिल्कुल परफेक्ट हो. उन्होंने कहा, ' लोगों के बीच में एक बड़ा डर ये है कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चुनावों, समाज, मीडिया को प्रभावित कर रहा है. मेरे मन में भी इसे लेकर डर है, लेकिन एक समाज के तौर पर, मुझे लगता है कि हम काफी तेजी से सीख रहे हैं. हम उन वीडियो पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते, जब तक हम उनकी सत्यता के बारे में नहीं जान जाते.'

हमारे पास भी नई तकनीक होंगी, जैसे वॉटरमार्क और पहचानने वाले डिटेक्टर्स. अगर कोई सच्ची बात कर रहा है, तो वो इसे क्रिप्टोग्राफिक तरीके से साइन करेगा. मोबाइल फोन या वेब ब्राउजर इस तरह तैयार किए जाएंगे, जो किसी कंटेंट की ऑथेंटिसिटी बता सकें. हम इस तरह आगे बढ़ेंगे. समाज इन तरीकों को जल्द ही अपना लेगा.

'मौजूदा सिस्टम किसी तरह हानिकारक नहीं'

सैम ऑल्टमैन ने मौजूदा AI सिस्टम को किसी भी तरह से इंसानियत के लिए हानिकारक होने की बात से इंकार किया. उन्होंने कहा कि GPT4 किसी भी तरह से दुनिया के लिए हानिकारक नहीं है. हालांकि लोग इसके इस्तेमाल को लेकर गलत अवधारणा बनाए बैठे हैं. GPT10 अपने आप में बेहद अलग होगा.

सैम ऑल्टमैन ने कहा कि बड़े लेवल पर देखें, तो मौजूदा AI या GPT सिस्टम मैटर नहीं करते. हमारे पास एक ऐसा एल्गोरिद्म है, जिसे आसानी से सीखा जा सकता है और ये समय के साथ तेजी से बेहतर हो रहा है. हमें वापस अतीत की ओर देखना होगा. एक वक्त ऐसा होगा, जब एक सिस्टम किसी बीमारी को ठीक कर सकेगा या जलवायु परिवर्त को सुधार सकेगा, तो इसका बहुत गहरा असर पड़ेगा.

नौकरियों पर कितना पड़ेगा असर?

ऑल्टमैन ने AI के नौकरियों पर पड़न वाले संभावित असर को लेकर भी तफसील से बात की. उन्होंने कहा, 'नौकरियां बदलना अपने आप में ठीक है. बीती दो पीढ़ियों में हमने लोगों को नई-नई चीजें सीखते हुए देखा है. कुछ नौकरियां जाएंगी, उनकी जगह नई नौकरियां आएंगी. लेकिन इस बार कुछ अलग है. इस बार बदलाव की स्पीड काफी अलग होगी. इसके लिए सामाजिक-आर्थिक कॉन्ट्रैक्ट्स में बदलाव की जरूरत होगी और सरकारों का इस पर ध्यान होगा, अगर ये बेहद तेज गति से होता है.'

ऑल्टमैन ने कहा कि 10 साल पहले एक्सपर्ट्स मानते थे कि AI सभी फिजिकल लेबर वाली नौकरियां खा जाएगा जैसे ट्रक ड्राइवर, किसान और फिर मजदूर. और ये इसके बाद कॉग्निटिव लेबर और कंप्यूटर और शायद क्रिएटिव जॉब्स की ओर बढ़ेगा. अब हम देखते हैं कि इसकी दिशा एकदम उलटी है.