इलेक्टोरल बॉन्ड पर SBI को आखिरी डेडलाइन, 21 मार्च तक सबकुछ साफ-साफ बताना होगा

सोमवार को हुई सुनवाई में CJI ने कहा कि SBI के MD और चेयरमैन सारी जानकारी चुनाव आयोग को देकर हमें जानकारी सबमिट करने का एफिडेविट भी दें. इन जानकारियों में अल्फा न्यूमरिक और सीरियल नंबर भी शामिल हैं.

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इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने SBI को सारी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दे दिया है. इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने SBI को 21 मार्च गुरुवार, शाम 5 बजे तक का समय दिया है है. सोमवार को हुई सुनवाई में CJI ने कहा कि SBI के MD और चेयरमैन सारी जानकारी चुनाव आयोग को देकर हमें जानकारी सबमिट करने का एफिडेविट भी दें.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SBI का रवैया ऐसा लगता है कि जैसे 'पहले आप हमें बताएं कि क्या खुलासा करना है, फिर हम खुलासा करेंगे.'

सुप्रीम कोर्ट ने SBI को लगाई फटकार

मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का लहजा सख्त था. उन्होंने कहा; आदेश में साफ-साफ लिखा है कि SBI को सारी जानकारी देनी थी, खरीद और इनकैश दोनों से संबंधित. साफ है कि SBI ने पूरी जानकरी नहीं दी. कोर्ट के आदेशों पर निर्भर मत रहिए. सभी जानकारी को पेश किया जाना चाहिए. SBI सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य हैं."

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, 'हम साफ करना चाहते हैं कि इस जानकारी में अल्फा न्यूमरिक और सीरियल नंबर शामिल है. SBI को जानकारी देने में सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए'.

ऐसे देनी थी जानकारी

SBI को कहा गया था कि वो दो हिस्सो में जानकारी दे. पहले हिस्से में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और कितने का बॉन्ड खरीदा गया और इसकी जानकारी दें, फिर दूसरे हिस्से में बताएं कि राजनीतिक पार्टियों को कितना बॉन्ड मिला और उन्होंने अंतरिम आदेश आने तक कितने बॉन्ड भुनाए.

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम?

चुनावी बॉन्ड योजना 2018 में काले धन को राजनीतिक सिस्टम में आने से रोकने के मकसद के साथ शुरू की गई थी. इसके जरिए भारत में कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक दलों को गुमनाम होकर चंदा दे सकते हैं. उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तब कहा था कि भारत में राजनीतिक फंडिंग की पारंपरिक प्रथा कैश में चलती है.

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