NEET-PG में अब नहीं होगी सीट-ब्लॉकिंग! सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए सख्‍त निर्देश, मेडिकल संस्थानों को पहले ही देनी होगी फीस डिटेल्स

पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज के लिए काउंसलिंग के दौरान सीटें ब्लॉक करने से हाई रैंक वाले कैंडिडेट्स और योग्यता आधारित चयन को नुकसान पहुंचता है.

Source : Supreme Court of India

होगीसुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार यानी 22 मई को पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज (NEET-PG काउंसलिंग) में एडमिशन के लिए सीट-ब्लॉकिंग जैसे मिसकंडक्ट को डील करने के लिए निर्देश जारी किए हैं.

पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज के लिए काउंसलिंग के दौरान सीटें ब्लॉक करने से हाई रैंक वाले कैंडिडेट्स को नुकसान होता है और योग्यता आधारित चयन को नुकसान पहुंचता है.

जस्टिस JB पारदीवाला और जस्टिस R महादेवन की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए चिंता जताई कि बड़ी संख्या में PG मेडिकल सीटें ब्लॉक की जाती हैं और फिर खाली रह जाती हैं.

फीस डिटेल्‍स पहले डालनी होगी

NEET-PG की काउंसलिंग से पहले अब सभी प्राइवेट और डीम्‍ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी फीस डिटेल्‍स जारी करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश गुरुवार को NEET-PG में ट्रांसपेरेंसी से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने ये दिशा-निर्देश जारी किए

  • आल इंडिया कोटा और सीट ब्लॉकिंग को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काउंसलिंग कैलेंडर लागू किया जाएगा.

  • सभी निजी/डीम्ड विश्वविद्यालयों द्वारा ट्यूशन, छात्रावास, सिक्योरिटी फीस जमा और शुल्कों की डिटेल देते हुए प्री-काउंसलिंग शुल्क को अनिवार्य किया जाएगा.

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के तहत एक सेंट्रलाइज्ड फीस रेगुलेशन फ्रेमवर्क बनाया जाए.

  • नए कैंडिडेट्स के लिए काउंसलिंग को फिर से खोले बिना भर्ती किए गए कैंडिडेट्स को बेहतर सीटों पर शिफ्ट करने के लिए राउंड 2 के बाद अपग्रेड विंडो की अनुमति दी जाए.

  • सीट ब्लॉकिंग के लिए सख्त पनिशमेंट लागू किया जाए, करें जिसमें जमा सिक्योरिटी फीस को जब्त किया जाएगा. साथ भविष्य की NEET-PG

  • परीक्षाओं से अयोग्य घोषित जाए. मिलीभगत वाले कॉलेजों को ब्लैकलिस्ट किया जाए.

  • आधार कार्ड आधारित सीट ट्रैकिंग लागू किया जाए.

इससे पहले, 2017-2018 सेशन के NEET-PG उम्मीदवारों ने सीट ब्लॉकिंग की अपनी शिकायतों के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाई कोर्ट ने पाया कि निचली रैंक वाले उम्मीदवारों को सीटें आवंटित होने के बावजूद मॉप-अप काउंसलिंग राउंड में भाग लेने की अनुमति दी गई और इससे हाई रैंक वाले उम्मीदवारों को नुकसान हुआ.

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया और अधिकारियों को सुधार करने का निर्देश दिया. उत्तर प्रदेश राज्य और चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण महानिदेशक ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसने 2018 में इस पर रोक लगा दी.

आज के फैसले में कोर्ट ने मुआवजे की राशि को संशोधित कर 1-1 लाख रुपये कर दिया. इसने 2021 में किए गए नीतिगत सुधारों को स्वीकार किया और अधिकारियों से निर्देशों को लागू करने का आग्रह किया.