Recession In Germany: मंदी की चपेट में आ गया जर्मनी! जानिए क्यों बिगड़े हालात

जर्मनी कोविड की शुरुआत के बाद से पहली बार मंदी का सामना कर रहा है.

Source : BQPrime

इस वक्त दुनिया के कई बड़े देशों की हालत खराब है. हम बात कर रहे हैं यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी की. जर्मनी में मंदी आ गयी है. जर्मनी कोविड की शुरुआत के बाद से पहली बार मंदी का सामना कर रहा है.

जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय से जारी हुए तिमाही आंकड़ों के मुताबिक, इस साल की पहली तिमाही में जर्मनी की GDP 0.3% कम हुई थी. वहीं, साल 2022 की चौथी तिमाही में यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच जर्मनी की GDP 0.5% घटी थी.

कम खर्च कर रहे हैं नागरिक

जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय ने कहा कि - करीब करीब सभी सेक्टर में आम नागरिकों ने खरीदारी नहीं की है. परिवारों ने भोजन और पेय पदार्थों, कपड़ों और जूतों के साथ साज-सज्जा पर भी कम खर्च किया है. इतना ही नहीं लोगों ने इंसेंटिव घटने की वजह से इलेक्ट्रिक कारें भी कम खरीदीं.

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घरेलू कार ऑर्डर एक तिहाई कम हो गए

जर्मनी में Zalando SE जैसी कंपनियां कंज्यूमर सेंटीमेंट को दर्शाती हैं. फैशन रिटेलर कंपनी ने पहली तिमाही में गिरती मांग के कारण इन्वेंट्री का लेवल बढ़ते हुए देखा है. VDA ऑटो इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक, घरेलू कार ऑर्डर जनवरी और अप्रैल के बीच लगभग एक तिहाई कम हो गए थे.

जर्मनी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी एक समस्या साबित हो रहा है क्योंकि मंदी की वजह से लोगों में संदेह बना हुआ है. ये सेक्टर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. जिसकी वजह से इकोनॉमी के खराब हालात बने हुए हैं.

इंडस्ट्रियल ऑर्डर में कमी

ING बैंक के अर्थशास्त्री कार्स्टन ब्रजेस्की ने क्लाइंट रिपोर्ट में लोगों की परचेजिंग पॉवर में गिरावट, इंडस्ट्रियल ऑर्डर में कमी के साथ-साथ दशकों में सबसे आक्रामक मौद्रिक नीति का असर और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की संभावित मंदी, सभी कमजोर आर्थिक गतिविधि के पक्ष में तर्क दिया है. उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में आशावाद ने वास्तविकता की भावना का रास्ता पक्का किया है. Bundesbank के मुताबिक, महंगाई अभी भी 7% से अधिक है और इसके कम होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि बढ़ती मजदूरी दबावों को दर्शाती है.