दुनिया के औसत तापमान ने सोमवार को सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में सोमवार को औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस (17C) यानी 63 डिग्री फारेनहाइट (63F) पहुंच गया था. इसने अगस्त 2016 के 16.9 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.
धरती के गर्म होने की ये स्थिति जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाले और लगातार बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के खतरों को रेखांकित करती है. नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन (NCEP) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस था, जो अगस्त 2016 के पिछले रिकॉर्ड से थोड़ा ऊपर था.
तापमान में रिकॉर्ड ऊंचाई उत्तरी गोलार्ध में 2023 की गर्मियों की चरम सीमा को रेखांकित करती है और कहती है कि उत्सर्जन पर अंकुश लगाने को लेकर जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसकी गति बढ़ाने की जरूरत है.
ये रिकॉर्ड भी टूटेगा?
ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड द एनवायरनमेंट के एक वरिष्ठ व्याख्याता फ्राइडेरिक ओटो का कहना है, 'ये कोई मील का पत्थर नहीं है, जिसका हमें जश्न मनाना चाहिए. ये दुनियाभर के लोगों और इको-सिस्टम के लिए 'मौत की सजा' की तरह है.
उन्होंने कहा, 'चिंता की बात ये है कि सोमवार, 3 जून का दिन लंबे समय तक सबसे गर्म दिन नहीं रहेगा. अल नीनो की घटना वैश्विक तापमान को बढ़ाने के लिए तैयार है.' यानी उनका इशारा इस रिकॉर्ड के जल्द टूटने की ओर था.
इस समर सीजन में गर्मी ने पहले ही दुनिया भर के लाखों लोगों को खतरे में डाल दिया है. दुनियाभर में पड़ी रिकॉर्डतोड़ गर्मी की कुछ बानगी देखिए.
पिछले महीने भारत में अत्यधिक गर्मी के चलते बिहार और उत्तर प्रदेश में कई लोगों की मौत हुई.
भारत में हर साल जून में गर्मी की लहर से होने वाली मौतें आने वाले समय में और भी बदतर होने का संकेत हैं
राजधानी बीजिंग में तापमान के रिकॉर्ड तोड़ने के बाद दो सप्ताह से भी कम समय में चीन भीषण गर्मी की नई लहर का सामना कर रहा है.
शहर को ठंडा रखने के लिए शंघाई प्लांट में एक घंटे में 800 टन कोयला जलाता है.
अमेरिका के टेक्सास और उत्तरी मैक्सिको में पिछले सप्ताह खतरनाक गर्मी का प्रकोप देखा गया.
टेक्सास 100 डिग्री हीट ग्रिप्स स्टेट के रूप में बिजली-उपयोग के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के लिए तैयार है.
ब्रिटेन में भी जून रिकॉर्ड के हिसाब से सबसे गर्म रहा. ऐसी संभावना है कि ये रिकॉर्ड भी आगे टूट सकता है.
2035 तक लक्ष्य पूरा करना जरूरी, वरना...
IPCC यानी जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change) ने मार्च में अपने 5 वर्षों के रिसर्च के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा था कि निकट अवधि में दुनिया 1.5C ग्लोबल वार्मिंग को पार कर जाएगी और जलवायु परिवर्तन को लेकर किए जा रहे प्रयास अभी भी नाकाफी हैं.
ग्लोबल वार्मिंग में हर बढ़ोतरी के साथ जलवायु संबंधी जोखिम बढ़ रहे हैं और ऐसे में वर्ष 2035 तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2019 के स्तर से 60% तक कम करने की आवश्यकता है.
जारी प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, 7 साल में पहली बार उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो की स्थिति विकसित हुई है और इससे तापमान बढ़ेगा. WMO के महासचिव पेटेरी तालास ने मंगलवार को एक बयान में कहा, 'अल नीनो की शुरुआत से तापमान रिकॉर्ड टूटने की संभावना काफी बढ़ जाएगी.'
संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने IPCC की रिपोर्ट सामने आने के बाद एक बयान में कहा था, 'दुनिया को सभी मोर्चे पर (हर चीज, हर जगह, एक साथ) जलवायु कार्रवाई की जरूरत है.' उन्होंने दुनियाभर के देशों से जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने की योजनाओं में तेजी लाने का आग्रह किया है.
जलवायु शिखर सम्मेलन से उम्मीदें
इस वर्ष के अंत में दुबई में COP28 वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन होना है. राजनयिकों ने पिछले महीने जर्मनी में आयोजित COP28 की दो सप्ताह की तैयारी बैठक को अंतर-देशीय कलह से निराश होकर छोड़ दिया था और कुछ लोगों का कहना था कि इस वर्ष के मेजबान देश UAE की महत्वाकांक्षा में ही कमी है.
वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के लिए दुनियाभर के कई राष्ट्र एकत्रित होंगे. इस सम्मेलन में ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के प्रयासों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित होगा. बहरहाल, वैश्विक औसत तापमान को 1.5 डिग्री वार्मिंग से नीचे रखने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार करना जरूरी होगा.