बहुत से लोगों के लिए टैक्स कैलकुलेशन करते समय कैपिटल गेंस कैलकुलेशन और इस इनकम पर भुगतान किए जाने वाला टैक्स अहम होता है. आप कैपिटल गेंस टैक्स को सही कैलकुलेट करें, ये बेहद जरूरी है. जिस तरीके से कैपिटल गेंस के बारे में डिटेल्स कलेक्ट की जाती हैं, वो ये सुनिश्चित करेगा कि सही टैक्स का भुगतान होगा या नहीं. क्योंकि अक्सर ये बड़ी राशि होती हैं, इसलिए इसका सही होना ज्यादा अहम हो जाता है. आइए जानते हैं कि कैपिटल गेंस टैक्स को कैलकुलेट करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
अपने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन डिडक्शन को क्लेम करें
कोई भी व्यक्ति जो टैक्स प्लानिंग कर रहा है, उसे समय इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि वो इनकम टैक्स एक्ट के तहत उपलब्ध सभी प्रावधानों का फायदा ले. इक्विटी से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का एक फायदा ये है कि हर साल व्यक्ति इक्विटी से 1 लाख रुपये तक की राशि को टैक्स फ्री के तौर पर क्लेम कर सकता है. इसका मतलब है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के पहले एक लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं देना होगा और इससे व्यक्ति की टैक्स देनदारी घट जाएगी. इसे ट्रांजैक्शन की योजना बनाते समय और टैक्स रिटर्न फाइल करते हुए दोनों के वक्त देखना होगा.
गेंस का सही तरीके से वर्गीकरण करें
ऐसे कई निवेशक होते हैं, जो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अपने पोर्टफोलियो के विभिन्न हिस्सों का इस्तेमाल करते हैं. एक अहम चीज ये है कि आप ट्रेडिंग गेंस और इन्वेस्टमेंट गेंस के बीच फर्क को समझिए. अगर आप ट्रेडिंग को बिजनेस के तौर पर कर रहे हैं, तो फिर इसका निवेश से अलग वर्गीकरण कीजिए. आम तौर पर ये टैक्स विभाग के साथ तनाव की सबसे बड़ी वजह होती है. और इसलिए अब ऐसी गाइडलाइंस मौजूद हैं, जिससे ट्रांजैक्शन्स के टाइप का सही तरीके से पता लगाया जा सके. होल्डिंग्स को निवेश या बिजनेस के उद्देश्य में वर्गीकरण करना अहम है और इसे सही करना जरूरी है.
शेयर की कीमत का सही होना जरूरी
निवेशक जिस एसेट की बिक्री करता है, उसकी कीमत को निकालने में उसे कई बार मुश्किल होती है. ये तब होता है, जब खरीदारी लंबे समय पहले की गई थी और कोई रिकॉर्ड्स नहीं रखे गए थे. इससे चीजें मुश्किल हो सकती हैं, क्योंकि सही टैक्स का भुगतान करने के लिए कैपिटल गेंस का सही कैलकुलेशन करना जरूरी है. इक्विटी शेयर के लिए इसे ब्रोकर के जरिए हासिल किया जा सकता है. उनके पास खरीदारी और बिक्री के रिकॉर्ड्स होंगे और वो मुनाफे और नुकसान के कैलकुलेशन दे सकेंगे.
अगर होल्डिंग्स 31 जनवरी 2018 से पहले की हैं, तो उस तारीख पर फेयर मार्केट वैल्यू को लिया जा सकता है. इसके साथ ही बोनस शेयर या अलग-अलग कीमतों पर लिए गए बोनस शेयर का भी अलग असर होगा. सही गेंस कैलकुलेट करने के लिए इन सभी को सही तरीके से रखना होगा. दूसरे एसेट्स जैसे प्रॉपर्टी के लिए, पर्चेज एग्रीमेंट के साथ अन्य बिलों के भुगतान से सही कीमत पर पहुंचने में मदद मिलेगी.
AIS के साथ मिलान करें
आप साल के दौरान जो भी ट्रांजैक्शन करते हैं, उन्हें रिकॉर्ड और फिर टैक्स रिटर्न में दिखाया जाना चाहिए. ये जरूरी है, क्योंकि अगर कुछ भी छूट जाता है तो टैक्स विभाग एक्शन लेगा. एनुअल इंफोर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में साल के दौरान किए गए शेयरों और प्रॉपर्टी की बिक्री की डिटेल्स होती हैं. इसे देखना चाहिए और इसमें मौजूद सभी एंट्री का टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले मिलान करना होगा. इससे कोई डिटेल नहीं छूटेगी और सही टैक्स फाइलिंग होगी.
ऑफ मार्केट डील
ऐसे कई ट्रांजैक्शन हो सकते हैं, जो ऑफ मार्केट किए जाते हैं. और इस मामले में, इन्हें नहीं छोड़ना चाहिए. ऐसा हो सकता है कि इन ट्रांजैक्शन्स के लिए अलग-अलग कैलकुलेशन हो सकती हैं और इनका ध्यान रखना होगा. अगर ये छूट जाती हैं और फिर इन्हें बाद में डिस्क्लोज करना पड़ता है, तो फिर निवेशक पर जुर्माना और दूसरे चार्ज लग जाएंगे.
अर्णव पंड्या
(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)