सैलरीड क्लास से टैक्स का बोझ होगा कम, CBDT ने TDS, TCS के नियमों को किया आसान

आमतौर पर कर्मचारी इन सबकी जानकारी अपने एम्पलॉयर को नहीं देता, जिससे उसका टैक्स का बोझ बढ़ जाता है. अब इस नए फॉर्म के जरिए कर्मचारी इसकी जानकारी एम्पलॉयर को दे सकेंगे.

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सैलरीड क्लास के लिए टैक्स का बोझ कुछ कम हो सकता है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने TCS कलेक्टडे और TDS डिडक्टेड के लिए टैक्स क्लेम के नियमों को और आसान कर दिया है.

नया फॉर्म 12BAA जारी 

इनकम टैक्स विभाग ने सैलरीड क्लास के लिए एक नया फॉर्म जारी किया है - फॉर्म नंबर - 12BAA. अभी एम्पलॉयर कर्मचारी की सैलरी से सीधा TDS काट लेता है, जो कि कर्मचारी की ओर से दिए गए डेक्लेरेशन के हिसाब से होता है. यानी वो किस टैक्स ब्रैकेट में है, उसने कहां कहां कितना निवेश किया है, वगैरह.

लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि कर्मचारी कई और तरीके से भी TDS कटवाता है, जिसकी जानकारी उसके नियोक्ता या एम्पलॉयर को नहीं होती है. जैसे- उसके किसी दूसरे खाते या निवेश से भी TDS कटता है. ऐसे में कर्मचारी के ऊपर टैक्स को बोझ बढ़ जाता है क्योंकि वो इनको क्लेम नहीं कर पाता.

कैसे कम होगा टैक्स का बोझ

अब इनकम टैक्स विभाग ने कर्मचारियों के लिए नियम को आसान कर दिया है, जिसमें वो ऐसे TDS डिडक्टेड और TCS कलेक्टेड के बारे में अपनी कंपनी को बता सकेंगे. जिससे एम्पलॉयर को सैलरी के अलावा भी दूसरी टैक्स डिडक्शंस के बारे में पता चल सकेगा और वो उसको एडजस्ट कर सकेगा.

TDS: ये तब लगता है जब कोई कंपनी किसी इंडिविजुअल (आमतौर पर अपने कर्मचारी) को पेमेंट करती है, तो वो पेमेंट या सैलरी देने से पहले ही उस पर टैक्स काट लेती है. इसको TDS कहते हैं. आयकर कानूनों के अनुसार, नियोक्ता यानी एम्पलॉयर को आयकर अधिनियम की धारा 192 के तहत कर्मचारी को दिए गए वेतन से टैक्स काटना होता है. ये नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है कि वो इस टैक्स को सरकार को जमा कराए.

हालांकि TDS कई और जगह पर भी कटता है, जैसे- रेंट, कमीशन, फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज, प्रोफेशनल फीस वगैरह.

TCS: ये तब लगता है जब कोई वस्तु (Goods) खरीदी जाती है, जैसे कार, टीवी, गैजेट वगैरह. इसमें सेलर की जिम्मेदारी होती है कि वो TCS वसूलकर सरकार को जमा कराए.

आमतौर पर कर्मचारी इन सबकी जानकारी अपने एम्पलॉयर को नहीं देता, जिससे उसका टैक्स का बोझ बढ़ जाता है. अब इस नए फॉर्म के जरिए कर्मचारी इसकी जानकारी एम्पलॉयर को दे सकेंगे. इस कदम से कर्मचारियों के टैक्स का बोझ कुछ कम होगा, हाथ में ज्यादा सैलरी आने की उम्मीद बढ़ जाएगी.

2024 के बजट में, सरकार ने सैलरीड कर्मचारियों के लिए TCS और TDS के लिए क्रेडिट क्लेम की प्रक्रिया को सरल बनाने के उपायों की घोषणा की थी.