Income Tax Return: हम हर साल इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं. ITR में दी गई जानकारी के अनुसार ही हमारी टैक्स देनदारी तय होती है और हमें इनकम टैक्स एक्ट की धाराओं के तहत टैक्स में छूट भी मिलती है.
इसलिए जरूरी है कि ITR भरने से पहले आपको संबंधित प्रावधानों के साथ टैक्स बेनिफिट और कटौतियों के बारे में पहले से जानकारी हो.
आज हम बात कर रहे हैं, होम लोन पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट के बारे में. अगर आपने होम लोन लिया है तो आपको IT एक्ट की धाराओं के तहत टैक्स छूट मिलती है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इनकम टैक्स एक्ट 1961 के नियमों के अनुसार, होम लोन के ब्याज भुगतान पर अतिरिक्त कटौती की समय सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था. 31 मार्च 2022 तक पिछली विस्तार सीमा के बाद, नई समय सीमा 31 मार्च 2024 तक निर्धारित की गई है, जो कि 31 मार्च 2022 से पहले स्वीकृत सारे होम लोन पर लागू होता है.
होम लोन पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट का अधिकतम फायदा कैसे उठाएं, इस बारे में गुरुग्राम स्थित जिंदल स्टील कंपनी के वित्त विभाग में कार्यरत अधिकारी और CA अमित कुमार ने BQ हिंदी से बातचीत के दौरान विस्तार से जानकारी दी, जो आपके बड़े काम आ सकती है.
आगे बढ़ने से पहले एक नजर चार्ट पर
अब थोड़ा विस्तार से समझते हैं.
धारा 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर छूट
होम लोन EMI पर चुकाए गए ब्याज पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24 के तहत आपकी कुल आय से अधिकतम 2 लाख रुपये तक की कटौती का दावा किया जा सकता है. संपत्ति को किराये पर देने के लिए, ब्याज पर टैक्स छूट का दावा करने की कोई ऊपरी सीमा नहीं है, यानी आप पूरे ब्याज पर कटौती का दावा कर सकते हैं.
यदि मकान का निर्माण निर्धारित समय-सीमा यानी 5 वर्ष से अधिक हो जाता है, तो आप वित्तीय वर्ष के लिए केवल 30,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं.
धारा 80C के तहत मूलधन के रीपेमेंट पर कटौती
होम लोन EMI पर भुगतान किए गए मूलधन (प्रिंसिपल अमाउंट) को धारा 80C के तहत कटौती का प्रावधान है. इसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये तक है. इसकी कुछ शर्तें हैं. जैसे- मकान को कब्जे (पजेशन) के 5 साल के भीतर नहीं बेचा जाना चाहिए, नहीं तो पहले क्लेम की गईं कटौतियों को बिक्री के वर्ष में आपकी आय में वापस जोड़ दिया जाएगा और फिर उस पर भी टैक्स लग सकता है.
80C के तहत रजिस्ट्रेशन और स्टांप शुल्क पर छूट
मूलधन के रीपेमेंट के लिए कटौती का दावा करने के अलावा, धारा 80C के तहत ही स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क के लिए कटौती का दावा किया जा सकता है. इसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है. इसका क्लेम केवल उसी वर्ष किया जा सकता है, जस वर्ष ये खर्च किए गए हों.
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धारा 80EE के तहत अतिरिक्त कटौती
इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80EE के तहत घर खरीदारों को अधिकतम 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती की अनुमति है. इस कटौती का दावा करने के लिए कुछ शर्तें हैं.
होम लोन की राशि 35 लाख रुपये या उससे कम होनी चाहिए और संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
लोन 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच स्वीकृत होना चाहिए और लोन अप्रूव होने की तारीख पर व्यक्ति के पास कोई अन्य घर नहीं होना चाहिए.
धारा 80EE को भी फिर से लागू किया गया, लेकिन ये केवल 31 मार्च 2017 तक स्वीकृत होम लोन के लिए मान्य है.
धारा 80EEA के तहत अतिरिक्त कटौती
आवास क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, 2019 के बजट में घर खरीदने वालों के लिए धारा 80EEA के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती का प्रावधान किया गया. इसके तहत टैक्स छूट लेने के लिए कुछ शर्तें तय हैं.
संपत्ति का स्टांप मूल्य 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
होम लोन 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2022 के बीच स्वीकृत होना चाहिए. (पहले ये सीमा 31 मार्च 2021 थी)
लोन अप्रूव होने की तारीख तक व्यक्ति के पास कोई अन्य घर नहीं होना चाहिए.
व्यक्ति धारा 80EE के तहत कटौती का दावा करने के लिए पात्र नहीं होना चाहिए.
जॉइंट होम लोन के लिए कटौती
यदि होम लोन, संयुक्त रूप से लिया गया हो तो लोन लेने वाला हर व्यक्ति अपने टैक्स रिटर्न में ब्याज पर 2 लाख रुपये तक और मूलधन पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट क्लेम कर सकता है. इस कटौती का दावा करने के लिए, कर्जदारों को लोन पर ली गई संपत्ति का को-ओनर यानी सह-मालिक भी होना चाहिए.