Insurtech कंपनी प्लम की 'हेल्थ रिपोर्ट ऑफ कॉरपोरेट इंडिया 2023' से पता चलता है कि 71% कर्मचारी अपने हेल्थकेयर खर्चों की भरपाई अपनी जेब से ही करते है.
भारत के शहरी इलाकों में जनरल फिजीशियन से कंसल्ट करने में औसतन 300 रुपये, स्पेशलिस्ट से 1,000 रुपये और मेंटल हेल्थ सेवाओं पर 25,000 रुपये खर्च होते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, हेल्थ चेकअप की औसत लागत 1,500 रुपये है, और लैब टेस्ट की कीमत 1,500 रुपये से शुरू होती है.
लगातार बढ़ रहा हेल्थकेयर खर्च
वित्त मंत्रालय की प्रेस रिलीज के अनुसार, FY18 और FY24 के बीच, स्वास्थ्य पर खर्च 15.8% की CAGR से बढ़ा है.
हेल्थकेयर पर भारत का खर्च FY18 में GDP का 1.4% था, जो बढ़कर FY24 में 1.9% हो गया है. FY24 में हेल्थकेयर खर्च 5.85 लाख करोड़ रुपये था, जो FY18 में 2.43 लाख करोड़ रुपये था यानि 140.7% की ग्रोथ. इसके अलावा, इकोनॉमिक सर्वे 2023-2024 में कहा गया है कि स्वास्थ्य पर सोशल सिक्योरिटी एक्सपेंडिचर FY20 में बढ़कर 9.3% हो गया, जो FY15 में 5.7% था.
एशियाई देशों में, भारत में सबसे ज्यादा मेडिकल महंगाई दर दर्ज की गई है. साल 2021 में ये 14% थी, जबकि चीन में 12%, इंडोनेशिया में 10%, वियतनाम में 10% और और फिलीपींस में 9% रही थी.
इंश्योरेंस क्लेम करने में होती है दिक्कतें
प्लम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एम्प्लॉयर स्पॉन्सर इंश्योरेंस कवरेज ठीक नहीं है. यानी जो कंपनियां अपने कर्मचारियों का बीमा कराती हैं, वो सही नहीं है.
NITI आयोग की रिपोर्ट, 'हेल्थ इंश्योरेंस फॉर इंडियाज मिसिंग मिडल', भारत की स्वास्थ्य बीमा प्रणाली में कवरेज के अंतर पर रौशनी डालती है. जिसमें लगभग 30% आबादी (400 मिलियन व्यक्ति) शामिल हैं, जिनके पास हेल्थकेयर खर्चों को पूरा का अभाव है.
हालांकि, जिनके पास पहले से ही भारत में मेडिकल इंश्योरेंस है, वे कभी-कभी इंश्योरेंस को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं. लोकल सर्किल्स के सर्वे में शामिल 52% इंश्योरेंस होल्डर ने बताया कि पिछले 12 महीनों में उनका प्रीमियम 25% बढ़ा है. और पिछले तीन सालों में इंश्योरेंस क्लेम करने वालों में से 43% लोग ने क्लेम को पाने के लिए संघर्ष किया है.