ऐसी कई स्टडीज और तुलनाएं हैं, जो नियमित अंतराल पर अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स के प्रदर्शन को लेकर की जाती हैं. इनमें ये भी देखा जाता है कि ये म्यूचुअल फंड्स अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कैसा कर रहे हैं. एक अहम क्षेत्र जिस पर लोग अपनी नजर रखते हैं, वो लार्ज कैप फंड्स से जुड़ा है. कई डेटा में दिखा है कि कैसे एक्टिव लार्ज कैप फंड्स ने पिछले कुछ समय में उम्मीद के मुकाबले कम प्रदर्शन किया है.
इन स्टडीज ने ये बहस शुरू कर दी है कि निवेशको को एक्टिव फंड्स चुनना चाहिए या पैसिव फंड्स के साथ बने रहना चाहिए. इन सबके बीच ये समझ लेना बहुत जरूरी हो जाता है कि वो क्या कारण हैं जिनकी वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई, तो चलिए उनमें से कुछ के बारे में जानते हैं
स्टॉक्स ड्राइविंग इंडेक्स का चयन करें
कई बार होता है, जब कुछ ही ऐसे शेयर होते हैं, जो मुख्य इंडेक्स में तेजी की वजह होते हैं. ये एक ग्रुप के शेयर भी हो सकते हैं या ये शेयर ऐसे भी रह सकते हैं, जिनका इंडेक्स में भारी वेटेज हो. लेकिन इनका फंड्स के प्रदर्शन पर बड़ा असर होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर किसी फंड के पास उनके पोर्टफोलियो में ये खास शेयर नहीं हैं, तो उनके खराब प्रदर्शन की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं. ये बात भी सच है कि जब ऐसे शेयरों में तेजी बड़ी हो, क्योंकि वे इंडेक्स की तेजी में एक बड़ा हिस्सा देते हैं. ऐसे में फंड मैनेजर के लिए ये दूसरी होल्डिंग्स से कवर अप करना मुश्किल हो सकता है.
किसी खास सेक्टर का असर
कई मौकों पर ऐसा होता है जब कोई खास सेक्टर बाजार में बड़ी तेजी की वजह बनता है या इसका उल्टा भी हो सकता है, जब कोई खास सेक्टर अच्छा नहीं कर रहा है. इन मामलों में अगर सेक्टर का बड़ी मात्रा में एक्सपोजर है, जिस समय वो अच्छा नहीं कर रहा है, तो प्रदर्शन अच्छा नहीं रहेगा. जबकि, ज्यादा एक्सपोजर नहीं हुआ और इस क्षेत्र में बड़ी रैली आई तो ऊंचा रिटर्न हासिल करने से चूक जाएंगे. ये दोनों स्थितियां समय के साथ-साथ चलती रह सकती हैं, जबकि ओवरऑल प्रदर्शन मजबूत हो सकता है, ये इस बात पर असर डाल सकता है कि फंड मैनेजर बेंचमार्क इंडेक्स को पीछे छोड़ने में सक्षम है या नहीं.
कुल रिटर्न इंडेक्स और एक्सपेंस रेश्यो
अलग-अलग फंड्स की तुलना के लिए जिन बेंचमार्क का इस्तेमाल किया जाता है, वो टोटल रिटर्न इंडेक्स के आंकड़े होते हैं. इसमें कंपोनेंट्स की वैल्यू में बढ़ोतरी के तौर पर दोनों डिविडेंड शामिल होते हैं. एक एक्टिव तौर पर मैनेज फंड में एक्सपेंस रेश्यो स्कीम को बेंचमार्क रिटर्न से नीचे भी कर सकता है. जिस तरीके से खर्चों को एडजस्ट किया जाता है, वो फंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) से घट जाते हैं. एक्सपेंस रेश्यो बहुत से मामलों में 2% से ज्यादा भी हो सकता है ये एक महत्वपूर्ण बिंदु साबित होता है, क्यों कई मामलों में जब फंड ज्यादा रिटर्न देता भी है जो कि बेंचमार्क से ऊपर होता है, तब एक्सपेंस रेश्यो कुल आंकड़े को बेंचमार्क रिटर्न से नीचे ला सकता है.
अलग-अलग मार्केट कैप में धीमा प्रदर्शन
लार्ज कैप फंड के ज्यादातर एसेट्स लार्ज कैप स्टॉक्स में होते हैं, जो कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से बाजार में टॉप 100 शेयर हैं. इन फंड्स के लिये एक छोटी सी गुंजाइश होती है कि वो पोर्टफोलियो में मिडकैप स्टॉक्स का एक छोटा हिस्सा भी रख सकते हैं. फंड्स मैनेजर अक्सर इस छोटी सीमा का इस्तेमाल करते हैं और ये सुनिश्चित करते हैं कि फंड के लिए कुछ अतिरिक्त रिटर्न मिल सके.
हालांकि, ये एक दोधारी तलवार की तरह है, क्योंकि ऐसा मुमकिन नहीं है कि मिड कैप फंड्स पूरे समय अच्छा प्रदर्शन करेंगे और फंड के लिए अतिरिक्त रिटर्न मिलेंगे. अगर मिड कैप लार्ज कैप से ज्यादा बुरा प्रदर्शन करते हैं, तो इससे स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है, क्योंकि कुल रिटर्न जितना सामान्य तौर पर होना चाहिए, उससे भी ज्यादा बुरे होंगे.
पोर्टफोलियो निर्माण और बेंचमार्क
जिस तरीके से फंड मैनेजर पोर्टफोलियो का निर्माण करता है और जिस स्तर तक पोर्टफोलियो बेंचमार्क को ट्रैक करता है, ये दो अहम चीजे हैं. बेंचमार्क के साथ बहुत करीबी से जुड़े होने से बेहतर करने की संभावना घट जाती है. जबकि बेंचमार्क से बहुत दूर जाने से आउटपरफॉर्मेंस देखने को मिलता है. हालांकि, अगर चीजें काम नहीं करतीं, तो दूसरी स्कीम्स के मुकाबले बड़ा अंतर होगा और ये साफ दिख सकता है. इसलिए, इस मामले में सही बैलेंस होना फंड मैनेजर के लिए अनिवार्य है.
अर्णव पंड्या
(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)