शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करते समय निवेशक कई बार सिर्फ स्टॉक्स (Stocks) की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी पर ही ध्यान देते हैं. निवेश का एक और महत्वपूर्ण पहलू जो अक्सर अनदेखा रह जाता है, वो है डिविडेंड (Dividend) यानी लाभांश. डिविडेंड न केवल कंपनियों की स्थिरता और मुनाफे का संकेत देते हैं, बल्कि निवेशकों के कुल रिटर्न में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
आगे जानेंगे कि डिविडेंड कैसे आपके मुनाफे में एक्स्ट्रा रिटर्न जोड़ते हैं और निवेशकों को इससे क्या-क्या फायदे होते हैं.
कंपनियों की मजबूती का संकेत है डिविडेंड
डिविडेंड के जरिए कोई कंपनी अपने शेयरधारकों के बीच अपने प्रॉफिट यानी मुनाफे का एक हिस्सा बांटती है. जो कंपनियां लगातार डिविडेंड देती हैं, वो आमतौर पर मुनाफा कमाने वाली और वित्तीय रूप से मजबूत मानी जाती हैं. उसके लगातार डिविडेंड देने से संकेत मिलता है कि वो फ्री कैश फ्लो जेनरेट करने में सक्षम है और अपनी ग्रोथ को जारी रख सकती है. इस तरह से डिविडेंड पेमेंट, कंपनी की वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेत होता है.
डिविडेंड देने वाली कंपनियां अक्सर ज्यादा स्थिर होती हैं. जब शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव होता है, तो इन कंपनियों के स्टॉक्स तुलनात्मक रूप से स्थिर रहते हैं. खास बात ये भी है कि डिविडेंड का पेमेंट केवल बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है. मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियां भी अच्छा डिविडेंड देती हैं. ऐसी कंपनियों के शेयर आम निवेशकों के लिए निवेश के आकर्षक विकल्प हो सकते हैं.
डिविडेंड से कैसे मिलता है डबल बेनेफिट?
डिविडेंड दो तरह से आपके मुनाफे को बढ़ाने में मदद करता है. डिविडेंड देने वाली कंपनियां मजबूत मानी जाती हैं, जिसके कारण लंबी अवधि में उनके शेयरों की कीमतों में बढ़ोतरी होती है और दूसरे डिविडेंड पेमेंट के तौर पर निवेशकों को सीधे कंपनी से पैसे मिल जाते हैं. कंपनी से मिलने वाली इस डिविडेंड इनकम को आप अतिरिक्त आय भी मान सकते हैं. आइए इसे एक उदाहरण से समझें:
मान लीजिए आपने किसी कंपनी के 500 शेयर 400 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर खरीदे हैं.
आपके कुल निवेश की राशि होगी: 2,00,000 रुपये.
कंपनी का सालाना रिटर्न 15% है, जिससे आपको 30,000 रुपये का लाभ होगा.
इसके अलावा कंपनी प्रति शेयर 12 रुपये का डिविडेंड देती है जिससे आपको 6000 रुपये का डिविडेंड मिलेगा.
इस तरह आपका कुल मुनाफा 36,000 रुपये (30,000 + 6,000 रुपये) हो जाएगा.
डिविडेंड को फिर से निवेश करने का फायदा
अगर आप डिविडेंड के तौर पर मिली रकम को फिर से निवेश कर देते हैं तो आपका कुल निवेश बढ़ता है और आपको लंबे समय में और भी अधिक रिटर्न मिलता है. इस तरह से डिविडेंड आपके कुल रिटर्न में कंपाउंडिंग की ताकत को भी जोड़ सकता है, जो आपके मुनाफे को कई गुना बढ़ा सकता है.
डिविडेंड के कंपाउंडिंग रिटर्न की मिसाल
डिविडेंड निवेशकों के मुनाफे में एक्स्ट्रा रिटर्न कैसे जोड़ता है और इसका कंपाउंडिंग इफेक्ट क्या होता है, इसे आप निफ्टी 500 इंडेक्स और निफ्टी 500 टोटल रिटर्न इंडेक्स (Nifty 500 TRI) की तुलना से भी समझ सकते हैं. निफ्टी 500 टोटल रिटर्न इंडेक्स में डिविडेंड के तौर पर मिला रिटर्न भी शामिल है. बड़ौदा BNP पारिबा म्यूचुअल फंड के अनुसार जनवरी 2000 से जुलाई 2024 तक निफ्टी 500 इंडेक्स की कंपाउंडिंग ग्रोथ 12.5% थी, जबकि निफ्टी500TRI की ग्रोथ रेट 14.2% रही.
इससे पता चलता है कि डिविडेंड ने इस अहम इंडेक्स में 1.7% एक्स्ट्रा रिटर्न जोड़ा. इस अंतर की अहमियत को ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर जनवरी 2000 में निफ्टी500 TRI में 1 लाख रुपये का निवेश किया गया होता तो आज उसकी वैल्यू 26 लाख रुपये होती. वहीं निफ्टी 500 इंडेक्स (डिविडेंड के बिना) में इसी निवेश की वैल्यू 18 लाख रुपये होती. यानी 24 साल के कुल रिटर्न में 30% से ज्यादा योगदान अकेले डिविडेंड का रहा है.
कुल मिलाकर देखें, तो डिविडेंड पेमेंट करने वाले स्टॉक निवेश में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये न केवल आपके मुनाफे को बढ़ाते हैं, बल्कि लंबी अवधि में स्थिर आय का एक स्रोत भी बनते हैं. इसलिए अगर आप अपने निवेश से अधिकतम रिटर्न पाना चाहते हैं तो डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स को अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाना समझदारी भरा कदम हो सकता है.