ग्रैंडपैरेंट स्कैम में फंसकर कहीं अकाउंट खाली न हो जाए! बचने के तरीके जान लीजिए

साइबर फ्रॉड के मामले दिनों दिन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लोगों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन जालसाज कोई न कोई नया तरीका लेकर हाजिर हो जाते हैं.

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साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) के मामले दिनों दिन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लोगों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन जालसाज कोई न कोई नया तरीका लेकर हाजिर हो जाते हैं. इन्हीं में से एक है ग्रैंडपैरेंट स्कैम (Grandparent Scam), जिसमें बुजुर्ग लोगों को जाल में फंसाकर अकाउंट से पैसे उड़ाए जाते हैं. ऐसे धोखेबाजों की करतूतों को ठीक से समझने की जरूरत है, जिससे अकाउंट सेफ रह सके.

ग्रैंडपैरेंट स्कैम नाम क्यों?

साइबर फ्रॉड करने वाले आजकल बड़े पैमाने पर सीनियर सिटिजन को निशाना बना रहे हैं. फोन कॉल करके उनके पोते-पोतियों या करीबियों के किसी मुसीबत में फंसे होने की झूठी कहानी सुनाते हैं. जब बुजुर्ग पूरी तरह जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं, तो उनसे ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं. ध्यान रहे कि इस तरह की धोखाधड़ी किसी के साथ भी हो सकती है, चाहे वे किसी के दादा-दादी हों, माता-पिता या कोई और करीबी रिश्तेदार.

कैसे बुनते हैं जाल?

अपराधी सबसे पहले किसी का फोन नंबर और उसके करीबियों के बारे में कुछ जानकारी जुटाते हैं. इतना मालूम करना आज के समय में कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है. इस तरह की जानकारी किसी हाउसिंग सोसायटी, स्कूल-कॉलेज, कोचिंग इंस्टीट्यूट, फोन बिल, ऑनलाइन डिलीवरी के बाद लापरवाही से फेंके गए रैपर से भी जुटाई जा सकती है. इसके बाद शुरू होता है कॉल करके झांसा देने का खेल.

फोन पर कैसे ठगते हैं?

फोन पर सीधे-सीधे ओटीपी मांगने का धंधा अब मंदा पड़ चुका है. लोग ओटीपी को लेकर अब काफी हद तक जागरूक हो चुके हैं. इसलिए ठग अब झूठी कहानियां गढ़कर लोगों को जाल में फंसाते हैं. इसे कुछ उदाहरणों से समझना आसान होगा.

केस-1

पटना में आईटी सेक्टर में काम करने वाले एक शख्स को किसी अनजान व्यक्ति का वॉट्सऐप कॉल आया. कॉल करने वाले ने उनके 'बेटे' का नाम लेकर बताया कि आपका जो लड़का दिल्ली में पढ़ता है, वह रेप केस में अरेस्ट हो गया है. उसके कुछ और साथी भी पकड़े गए हैं. फ्रॉडिए ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए उस शख्स से केस हटाने के नाम पर मोटी रकम मांगी.

गनीमत की बात ये रही कि ठग से 'होमवर्क' करने में एक बड़ी चूक हो गई और सामने वाले को चूना लगते-लगते रह गया. दरअसल, ठग सिर्फ नाम के आधार पर जिसे लड़का समझ रहा था और झूठे रेप केस की बात कर रहा था, वह उस शख्स की बेटी थी. ठग ने वॉट्सऐप में प्रोफाइल पिक्चर की जगह पुलिस का लोगो लगाया हुआ था.

केस-2

जालसाजों ने एक बुजुर्ग व्यक्ति को फोन कर कहा कि उनकी पोती बेंगलुरु में रैगिंग के मामले में गिरफ्तार हो गई है. ठग ने कहा कि कॉलेज में रैगिंग से तंग आकर एक लड़की ने सुसाइड कर लिया है. इसी केस में जांच चल रही है. यहां भी ठग ने खुद को क्राइम ब्रांच ऑफिसर बताते हुए पैसे मांगे.

मामला एकदम सच्चा लगे, जालसाजों ने इसका भी पूरा इंतजाम कर रखा था. फोन पर बातचीत के दौरान पीछे से किसी लड़की के रोने-बिलखने की आवाज भी आ रही थी. यहां बुजुर्ग ने धीरज से काम लिया. जब उन्होंने अपनी पोती को कॉल लगाया, तो वह कॉलेज में आराम से क्लास अटेंड कर रही थी.

ऐसे जालसाजों के पास कहानियों की कोई कमी नहीं होती. ये कभी ड्रग्स केस, कभी मर्डर केस, कभी एक्सीडेंट या मेडिकल इमरजेंसी को लेकर कहानियां बुनते और ठगी करते हैं.

ठगों को कैसे पहचानें?

  • ऐसे अपराधी फोन पर ज्यादा देर तक बात करने से बचना चाहते हैं. ये जल्दी से जल्दी मनगढ़ंत कहानी सुनाकर तुरंत पैसे की डिमांड कर देते हैं.

  • जालसाज किसी मुसीबत में फंसे बच्चे से बात करवाने से बचना चाहते हैं, क्योंकि इनकी कहानी फर्जी होती है.

  • फोन पर सीधे-सीधे रिश्वत मांगे जाने पर शक होना लाजिमी है. टेक्नोलॉजी के जमाने में आज कोई भी इस तरह रिश्वत नहीं मांगता.

  • फोन के शुरुआती नंबर पर गौर करें. एरिया कोड देखकर भी शक होना चाहिए.

  • ऐसे लोग घटना के बारे में किसी और से जानकारी साझा करने से साफ तौर पर मना करते हैं.

कैसे करें बचाव?

  • कॉल आने पर सबसे पहले अपने स्तर से घटना की सच्चाई का पता लगाएं. अपने जिस करीबी के बारे में जानकारी दी जा रही हो, उससे फोन पर बात करें. तुरंत बात न हो, तो कुछ देर इंतजार करें.

  • कॉल आते ही बिना सोचे-समझे, तुरंत पैसे ट्रांसफर करने से बचें. ट्रांजेक्शन में देरी होते जाने से ठगों की साजिश पर पानी फिरता जाता है.

  • फोन पर ठगों को अपनी ओर से कोई नई जानकारी न दें, चाहे वह जानकारी बैंक खाते से जुड़ी हो या परिवार या किसी रिश्तेदार से जुड़ी हो.

  • एक बार जब बात पक्की हो जाए कि यह किसी जालसाज की करतूत है, तो इसकी रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं.

  • अपने करीबी संबंधियों और दोस्तों से या सोशल मीडिया पर घटना की जानकारी जरूर साझा करें. मुमकिन है कि आपके अनुभव से दूसरे लोग भी ठगी का शिकार होने से बच सकें.

  • सबसे बड़ी बात यह है कि चाहे कैसी भी स्थिति हो, अपना धीरज बनाए रखें. घबराए बिना, ठंडे दिमाग से काम लें. सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!

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