Old Vs New Tax Regime Comparison: अगर आप टैक्सपेयर हैं, तो आपके लिए ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में फर्क को समझ लेना जरूरी है, जिससे आपको कोई नुकसान न हो. केंद्रीय बजट में आम तौर पर इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slabs) में बदलाव भी किया जाता है. बजट 2024 के दौरान न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव पेश किए गए थे. इसके साथ छूट और डिडक्शन (Tax Deduction) में भी कुछ कदमों का ऐलान हुआ था.
न्यू टैक्स रिजीम में किसी भी डिडक्शन के बिना कम टैक्स दरों का फायदा मिलता है. दूसरी तरफ ओल्ड टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अलग-अलग सेक्शंस के तहत कई डिडक्शन मिलते हैं. हालांकि इसमें टैक्स ज्यादा लगता है. आइए दोनों रिजीम के बीच अंतर को डिटेल में समझ लेते हैं.
न्यू टैक्स रिजीम के मुताबिक स्लैब्स
न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स के लिए ये इनकम टैक्स स्लैब्स हैं:
3 लाख रुपये तक: कोई टैक्स नहीं
3 लाख से 7 लाख रुपये: 5%
7 लाख से 10 लाख रुपये: 10%
10 लाख से 12 लाख रुपये: 15%
12 लाख से 15 लाख रुपये: 20%
15 लाख रुपये से ज्यादा: 30%
ओल्ड टैक्स रिजीम स्लैब्स
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत ये इनकम टैक्स स्लैब्स हैं:
2.5 लाख रुपये तक: कोई टैक्स नहीं
2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक: 5%
5 लाख से 10 लाख रुपये तक: 20%
10 लाख रुपये और ज्यादा: 30%
न्यू रिजीम, ओल्ड रिजीम से कैसे अलग है?
न्यू टैक्स रिजीम, ओल्ड टैक्स रिजीम से तीन मामलों में अलग है.
1. न्यू टैक्स रिजीम में ओल्ड के मुकाबले ज्यादा स्लैब्स हैं. ये कम टैक्स की वजह से लोगों के लिए आकर्षक है. न्यू टैक्स रिजीम में रेट्स 0%, 5%, 10%, 15%, 20% और 30% हैं. जबकि ओल्ड रिजीम में टैक्स रेट्स 0%, 5%, 20% और 30% हैं.
2. ओल्ड रिजीम के अंदर मौजूद छूट और डिडक्शन का फायदा आपको न्यू रिजीम में नहीं मिलेगा. न्यू रिजीम में सिर्फ एक फायदा आपको मिलेगा, वो है 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन. हालांकि ओल्ड रिजीम वाले टैक्सपेयर्स के लिए ये सिर्फ 50,000 रुपये है.
3. अगर सभी डिडक्शन के बाद ओल्ड रिजीम के तहत टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम है, तो व्यक्ति को किसी टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा. वहीं न्यू रिजीम के तहत अगर टैक्सेबल इनकम 7 लाख रुपये से कम है तो पूरी इनकम टैक्स फ्री हो जाएगी.
दोनों रिजीम में से कैसे चुनें?
ओल्ड रिजीम: ओल्ड रिजीम में अलग-अलग छूट और डिडक्शन का विकल्प मिलता है. जैसे निवेश के लिए सेक्शन 80C और इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए सेक्शन 80D. इसके अलावा लोग होन लोन के ब्याज और HRA (हाउस रेंट अलाउंस) पर डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं. ओल्ड रिजीम उन लोगों के लिए फायदेमंद हैं, जो बड़ा डिडक्शन चाहते हैं.
न्यू रिजीम: न्यू टैक्स रिजीम में कम रेट्स हैं. हालांकि इसमें छूट और डिडक्शन ओल्ड के समान नहीं मिलेंगी. ये उन लोगों के लिए बेहतर है जो कम निवेश करते हैं और उन्हें टैक्स फाइलिंग आसान चाहिए, जिससे टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स की जरूरत खत्म हो जाए.
टैक्स कैसे कैलकुलेट करें?
किसी भी रिजीम के तहत अपनी टैक्स लायबिलिटी को कैलकुलेट करने के लिए आपको अपनी टैक्सेबल इनकम निकालनी है:
ओल्ड रिजीम: अपनी कुल इनकम से शुरू करें, सभी उपयुक्त डिडक्शन (80C, 80D और अन्य) को कैलकुलेट करें और फिर टैक्स स्लैब्स को अप्लाई करके देख लें.
न्यू रिजीम: आप अपनी कुल इनकम के आधार पर ही टैक्स कैलकुलेट करेंगे. क्योंकि इस रिजीम में कोई डिडक्शन नहीं मिलता है. आपकी टैक्स लायबिलिटी सीधे टैक्स स्लैब्स अप्लाई करके कैलकुलेट हो जाएगी.
अपने एंप्लॉयर को जानकारी दें
सबसे अहम चीज है कि आप अपनी कंपनी को टैक्स रिजीम के बारे में जानकारी जरूर दें. इसका असर आपकी सैलरी से कटने वाले TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) पर होगा. आपका एंप्लॉयर आपकी ओर से चुनी गई रिजीम के आधार पर टैक्स कैलकुलेट करेगा, जिससे सही टैक्स का डिडक्शन हो.