म्यूचुअल फंड में और सुरक्षित होगा निवेश, SEBI ने EOPs के लिए जारी की गाइडलाइंस

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तेज ग्रोथ और इन प्लेटफॉर्म्स के लिए कोई फ्रेमवर्क न होने की वजह से मार्केट रेगुलेटर SEBI ने ये गाइडलाइंस जारी की हैं.

Source: Reuters

म्यूचुअल फंड में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए SEBI ने एक और बड़ा कदम उठाया है. SEBI ने उन प्लेटफॉर्म्स के लिए रेगुलेशन जारी किया है जो म्यूचुअल फंड में ट्रांजैक्शन के लिए एग्जीक्यूशन (Execution Only Platforms) की सुविधा देते हैं. मंगलवार को एक सर्कुलर के जरिए SEBI ने इसकी जानकारी दी.

नए नियमों के मुताबिक अब सिर्फ एग्जीक्यूशन की सुविधा देने वाले इन प्लेटफॉर्म्स (EOPs) को या तो एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMCs) के एजेंट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा या फिर उन्हें स्टॉक ब्रोकर्स की तरह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. अगर ये प्लेटफॉर्म्स, AMCs के एजेंट्स के तौर पर काम करना चुनते हैं तो उन्हें म्यूचुअल फंड्स एसोसिएशन के साथ रजिस्टर करना होगा.

वहीं, अगर इन EOPs को स्टॉक ब्रोकर की तरफ फंक्शन करना है तो उसके लिए उन्हे मार्केट रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन करान होगा. दोनों में से किसी एक विकल्प को चुनकर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही ये प्लेटफॉर्म म्यूचुअल फंड्स के 'डायरेक्ट प्लान' में ट्राजैक्शंस करा पाएंगे.

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तेज ग्रोथ और इन प्लेटफॉर्म्स के लिए कोई फ्रेमवर्क न होने की वजह से मार्केट रेगुलेटर SEBI ने ये गाइडलाइंस जारी की हैं. इन गाइडलाइंस में जो एक और जरूरी बात कही गई है वो ये है कि एग्जीक्यूशन की सुविधा देने वाला कोई भी प्लेटफॉर्म, म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान में डील नहीं करेगा.

मार्केट रेगुलेटर ने ये भी साफ कर दिया है कि जो कंपनियां इस वक्त डिस्ट्रिब्यूशन और EOP दोनों सुविधाएं दे रही हैं उन्हें ग्राहकों के स्तर पर दो सेक्शन बनाने होंगे. इसका मतलब ये होगा कि अगर कोई कंपनी किसी व्यक्ति को EOP सर्विसेज दे रही है तो वो फर्म उसी व्यक्ति को या उसके परिवार में किसी सदस्य को डिस्ट्रिब्यूशन की सुविधा नहीं दे सकेगी
मोहित गंग, को-फाउंडर और CEO, मनीफ्रंट

ट्रांजैक्शन और ग्राहक जोड़ने की फीस के मामले में SEBI का कहना है कि ऐसे EOPs जो AMCs के एजेंट के तौर पर काम करेंगे, उन्हें ग्राहकों को जोड़ने और ट्रांजैक्शन के लिए एक निश्चित फीस लेने की परमिशन होगी और ये फीस AMC की तरफ से वहन की जाएगी. हालांकि इस फीस की लिमिट क्या होगी ये AMFI की तरफ से तय होगा.

वहीं ऐसे EOPs जो स्टॉक ब्रोकर्स की तरह फंक्शन करेंगे, वो इन सर्विसेज के लिए एक निश्चित फीस चार्ज कर पाएंगे और ये फीस निवेशकों को वहन करनी होगी. यहां पर फीस की लिमिट स्टॉक एक्सचेंजेज की तरफ से तय की जाएगी. हालांकि SEBI ने ये भी साफ किया कि ऐसी स्थिति में ऑनबोर्डिंग (ग्राहक जोड़ने) की फीस AMC या निवेशक या दोनों को मिलकर वहन करनी होगी.

आपको बता दें कि जो भी संस्थाएं या कंपनियां म्यूचुअल फंड्स के डायरेक्ट प्लान में ट्रांजैक्शन की सुविधा दे रही हैं उन्हें 1 सितंबर 2023 तक अपना रजिस्ट्रेशन पूरा कराना होगा.