सितंबर में सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतों ने भारतीय परिवारों के बजट पर सबसे ज्यादा असर डाला है. अक्टूबर में भी सीमित राहत मिलने की उम्मीद है. सोमवार को प्रकाशित डेटा के मुताबिक सितंबर में भारत की रिटेल महंगाई 5.5% (YoY), जबकि अगस्त में ये 3.65% पर थी.
फूड एंड बेवरेजेज प्राइसेज में सितंबर में 8.36% का इजाफा हुआ, जो चार महीने का उच्चतम है. जबकि इसकी तुलना में अगस्त में इनमें 5.3% की ग्रोथ ही हुई थी.
रिटेल महंगाई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह सब्जियां रहीं, जिनके भाव में सालाना आधार पर 35.99% का इजाफा हुआ. जबकि अगस्त में ये ग्रोथ 10.7% रही थी. अगर मंथली बेसिस पर देखें तो सब्जियों के भाव में 3.5% की ग्रोथ हुई है.
आलू, प्याज और टमाटर जैसी अहम सब्जियों की कीमतों में लगातार हो रही बारिश और सप्लाई में आ रही दिक्कतों के बीच इजाफा लगातार जारी है. अगर मंथली बेसिस पर देखें तो आलू और टमाटर की कीमतें कुछ कम हुई हैं, लेकिन प्याज के दाम बढ़े हैं.
दूसरी सब्जियों के भाव में भी तेजी आई है. बैंगन, गाजर, पत्ता गोभी, परवल, पालक और दूसरी हरे पत्तियों वाली सब्जियों के दाम में 20% से ज्यादा का उछाल है.
इसी तरह इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से मंथली बेसिस पर खाने के तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है, जबकि लहसुन के भाव भी सालाना आधार पर 70% तक बढ़ गए हैं. हालांकि दालों की कीमतें पिछले स्तर से कुछ कम हुई हैं, लेकिन अब भी ये ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं.
Desutche Bank में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट कौशिक दास के एक रिसर्च नोट के मुताबिक, 'अक्टूबर में अब तक की हमारी गणना में सब्जियों की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं. इसके अलावा नेगेटिव बेस इफैक्ट भी है, जिसके चलते अक्टूबर में रिटेल महंगाई 5.5% से 6% के बीच में बनी रहने का अनुमान है. लेकिन बीते साल की तुलना में इस साल मॉनसून की बारिश अच्छी रही है. ऐसे में नवंबर से कीमतों में दबाव कुछ कम होगा, जब सब्जियों की कीमतें कम होना शुरू होंगी.'
अगर यूटिलिटीज की बात करें तो इलेक्ट्रिक महंगाई कम हुई है, जबकि गोल्ड और सिल्वर प्राइसेज ऊपर बने हुए हैं. एक साल पहले की तुलना में इनमें करीब 20% का इजाफा है. डेटा पर भी मोबाइल टैरिफ हाइक का असर जारी है, सितंबर में चार्जेज में 10.3% का इजाफा हुआ.