RBI MPC Minutes: विकास को दें रफ्तार या महंगाई को करें काबू; सदस्यों में मतभेद

RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि फूड इन्फ्लेशन का दबाव जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा है, ऊपर से हाउसहोल्ड इन्फ्लेशन के भी बढ़ने का अनुमान है. ऐसे में जरूरी है कि मॉनिटरी पॉलिसी विजिलेंट बनी रहे.

Source:Reuters/Canva

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने इस महीने की शुरुआत में हुई मीटिंग में ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया था.

जहां फूड इन्फ्लेशन से जुड़ी चिंता के चलते ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, वहीं दूसरी तरफ एक्टर्नल मेंबर्स जयंत वर्मा और आशिमा गोयल ने विकास की रफ्तार से हो रहे समझौते पर चिंता जताई है.

मॉनिटरी पॉलिसी को सतर्क बने रहना होगा: दास

RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि 'फूड इन्फ्लेशन का दबाव जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा है, ऊपर से हाउसहोल्ड इन्फ्लेशन के भी बढ़ने का अनुमान है. ऐसे में जरूरी है कि मॉनिटरी पॉलिसी सतर्क बनी रहे, ताकि फूड प्राइस दबाव का असर दूसरे कोर कंपोनेंट्स पर ना पड़े.'

दास ने आगे कहा कि 'जब ड्यूरेबल डिसइन्फ्लेशन को टारगेट तक पहुंचाने का काम अब भी जारी है, तब नेचुरल ब्याज दरों (स्वाभाविक ढंग से बिना किसी हस्तक्षेप) के चलने देने की बात प्रीमैच्योर होगी.'

उन्होंने आगे कहा, 'वास्तविक दुनिया में पॉलिसी मेकिंग महज थ्योरी और किसी खास मॉडल पर आधारित नहीं हो सकती. ऐसे में तथाकथित ऊंची ब्याज दरों को कम करने से जुड़ा कोई भी अनुमान भ्रामक साबित हो सकता है.'

दास ने कहा, 'धीरे-धीरे इन्फ्लेशन नीचे आ रहा है, लेकिन इसकी गति धीमी है, एक जैसी भी नहीं है. 4% के टारगेट पर महंगाई के लंबे वक्त तक बने रहने की स्थिति अब भी दूर है. मौजूदा फूड इन्फ्लेशन, हेडलाइन इन्फ्लेशन को कम नहीं होने दे रहा है.'

माइकल पात्रा ने जताई गवर्नर दास से सहमति

वहीं RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि टएक शॉक के बाद फूड इन्फ्लेशन अपनी मूल गति की तरफ लौटने में काफी वक्त ले रहा है. फिर फूड इन्फ्लेशन में बदलते ट्रेंड के भी पर्याप्त सबूत मिले हैं, जिससे कोर डिसइन्फ्लेशन से हुआ फायदा खत्म हो रहा है.'

मॉनिटरी पॉलिसी एक इंस्ट्रूमेंट है, जिसका उपयोग एग्रीगेट डिमांड को कम-ज्यादा करने के लिए होता है. फूड प्राइस शॉक मॉनिटरी पॉलिसी के दायरे के बाहर से भी उपज सकते हैं और शुरुआत में ऐसे लग सकते हैं कि जैसे सप्लाई की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिससे दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन जब इनका उपयोग इन्फ्लेशन बढ़ने के क्रम में ठहरने लगता है, तो ये सेकंड-ऑर्डर इफेक्ट से और बढ़ सकते हैं और इनका जनरलाइजेशन हो सकता है, जिसे मॉनिटरी पॉलिसी नजरअंदाज नहीं कर सकती.
माइकल पात्रा, RBI डिप्टी गवर्नर

पात्रा ने कहा, 'RBI की MPC का लक्ष्य है कि महंगाई अपने टारगेट के दायरे में आए. ये अब भी हासिल नहीं हो सका है.'

विकास की रफ्तार से समझौता चिंतित करने वाला

एक्सटर्नल मेंबर जयंत वर्मा ने बेहद रिस्ट्रिक्टिव मॉनिटरी पॉलिसी के चलते 'विकास की रफ्तार से हो रहे समझौते' पर चिंता जताई है. वर्मा ने कहा कि RBI के तमाम सर्वे में भी ये बात साफ नजर आती है कि हमारी ग्रोथ धीमी पड़ रही है.

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एक और एक्सटर्नल मेंबर आशिमा गोयल ने कहा, 'क्योंकि भारत में इन्फ्लेशन का सटीक मापन नहीं है, ऐसे में संभव है कि ये ओवर या अंडर एस्टीमेट हो, ऐसे में एक टारगेट पर बहुत ज्यादा जोर देना प्रोडक्टिव नहीं है.'

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि एक तरफ इन्फ्लेशन नीचे जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ इकोनॉमी के धीमे होने के संकेत भी आ रहे हैं.

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